MP में अमित शाह का चुनावी मंत्र कहीं भाजपा को ही भारी ना पड़ जाए

केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को चुनाव मैदान में उतारने के बावजूद बीजेपी को मध्य प्रदेश में बागियों से जूझना पड़ रहा है. माना जाता है कि 2018 में भी नेताओं की बगावत और कार्यकर्ताओं की नाराजगी बीजेपी पर भारी पड़ी थी – देखा जाये तो पांच साल बाद भी हालात बहुत बदले हुए नहीं लगते. 

मध्य प्रदेश चुनाव में 3 केंद्रीय मंत्रियों और 4 सांसदों को विधानसभा का टिकट देने जैसा एक्सपेरिमेंट कहीं बीजेपी को भारी तो नहीं पड़ने वाला है. मध्य प्रदेश में बीजेपी कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र देकर अमित शाह लौट चुके हैं, उनके दौरे में नेताओं की बगावत और कार्यकर्ताओं की नाराजगी का मुद्दा छाया रहा है. 

अमित शाह ने बागी नेताओं से सीधे बात भी की है, लेकिन ऐसे मुश्किल हालात में भी वो बीजेपी कार्यकर्ताओं से कह रहे हैं कि बागी नेताओं की बहुत परवाह करने की जरूरत नहीं है. 

बीजेपी नेतृत्व की तरफ से वैसे तो आश्वस्त किया गया है कि टिकट नहीं पा सके नेताओं को सरकार बनने पर उनकी वरिष्ठता और योग्यता के आधार कोई न कोई पद देकर समायोजित भी किया जाएगा – लेकिन कल देखा किसने है? बागियों का तेवर देख कर तो कुछ ठीक नहीं लग रहा है.

बागियों को हल्के में लेने की भूल कर रही है बीजेपी

ग्वालियर में बीजेपी कार्यकर्ताओं से अमित शाह ने जो कुछ कहा है उसका लब्बोलुआब यही है कि नाराज नेताओं को मनाने की कोशिश तो हो, लेकिन अगर वे नहीं मानते हैं तो ज्यादा वक्त जाया करने की कोई जरूरत भी नहीं है. 

बीजेपी कार्यकर्ताओं से बातचीत में अमित शाह ने कहा था कि एक दो बार बागियों के घर जाकर वे मनाने की कोशिश जरूर करें. फिर भी अगर वे नहीं मानते हैं तो, अमित शाह की सलाह है, कार्यकर्ता अपने अपने काम पर लग जायें. माहौल बदल जाने के बाद ऐसे लोग खुद चल कर वापस आएंगे और काम करते नजर आएंगे. 

हालांकि, खबर ये भी है कि जाते जाते मध्य प्रदेश बीजेपी के नेताओं को अमित शाह ने ये भी निर्देश दिया है कि बागी नेताओं और कार्यकर्ताओं को हर हाल में मनाने की कोशिश की जाये. अपनी तरफ से अमित शाह ने बागी नेताओं से अलग अलग बात कर वस्तुस्थिति को समझाने की कोशिश भी की है. 

सुनने में आ रहा है कि जमीनी स्तर के कार्यकर्ता बीजेपी विधायकों और मंत्रियों से भी बहुत नाराज हैं. प्रदेश बीजेपी के सीनियर नेताओं के साथ साथ उम्मीदवारों को अमित शाह की खास हिदायत है कि वे बूथ लेवल पर पन्ना प्रमुख जैसे कार्यकर्ताओं को हर हाल में खुश रहें – और इस बात के लिए मोटिवेट करें कि उनको बीजेपी के चुनाव निशान कमल के अलावा कुछ नजर ही न आये.

लेकिन, इस बीच, कई ऐसे उदाहरण भी सामने आ रहे हैं जो बीजेपी के लिए काफी खतरनाक नतीजे के रूप में सामने आ सकते हैं. बुरहानपुर से ऐसा ही एक मामला सामने आया है. पता चला है कि बीजेपी से बगावत करके बुरहानपुर से चुनाव मैदान में उतर चुके हर्षवर्धन सिंह चौहान ने तो अमित शाह को यहां तक कह डाला है कि बीजेपी का अधिकृत उम्मीदवार तो चुनाव जीतने से रहा. 

हर्षवर्धन चौहान, खंडवा-बुरहानपुर यानी पूर्वी निमाड़ में बीजेपी के दिग्गज नेता रहे नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हैं – और टिकट न मिलने के कारण बागी होकर चुनाव लड़ रहे हैं. खबर है कि अमित शाह ने हर्षवर्धन चौहान को भी समझाने बुझाने की अपनी तरफ से बहुत कोशिश की है, लेकिन बात नहीं बनी. 

अमित शाह की पूरी बात सुनने के बाद क्षमा मांगते हुए हर्षवर्धन चौहान ने कहा, भाई साहब, कुछ देना चाहते हों तो आशीर्वाद दे दीजिये… आपकी पार्टी का उम्मीदवार बुरहानपुर में नहीं जीत रहा है… मैं चुनाव जीतूंगा – और जीत कर ही आपके पास आऊंगा.

राजनीति में पैसा कमा चुके लोग खर्च क्यों नहीं करते?

चुनाव जीतने के लिए अमित शाह ने बीजेपी कार्यकर्ताओं से दूसरे दलों के उम्मीदवारों की मदद करने की भी सलाह दी है. अमित शाह ने बीजेपी कार्यकर्ताओं से कहा कि वे चुनाव लड़ रहे समाजवादी पार्टी और बीएसपी के उम्मीदवारों की जम कर मदद करें. बोले, उनको दानापानी दें. निश्चित रूप से कोडवर्ड का मतलब कार्यकर्ता समझ ही गये होंगे. अमित शाह के कहने का मतलब है कि सपा-बसपा उम्मीदवारों के खड़े होने और उनकी ताकत बढ़ने से बीजेपी को ही फायदा होगा, क्योंकि वे कांग्रेस का वोट काटेंगे और बीजेपी जीत जाएगी. 

जब बीजेपी कार्यकर्ताओं ने बताया कि उनके इलाके में सपा-बसपा के टिकट पर जो नेता चुनाव लड़ रहे हैं वे खुद ही काफी पैसे वाले हैं. भला उनको किस तरह का दानापानी दिया जा सकता है, अपनेआप में सक्षम हैं. 

कहते हैं, ये बात सुनकर अमित शाह ने मुस्कुराते हुए कहा, राजनीति में जो लोग पैसे कमा लेते हैं, वे कमाने के बाद फिर उसे खर्च नहीं करना चाहते… आप इस चक्कर में मत रहना कि वे पैसे वाले हैं इसलिए उनकी मदद न की जाये.

सच में अनुभव बोलता है. अमित शाह यूं ही चाणक्य नहीं कहे जाते.

चुनाव जीतने का अमित शाह का फॉर्मूला

‘एमपी के मन में मोदी हैं’ – इसी स्लोगन के साथ बीजेपी मध्य प्रदेश के चुनाव मैदान में उतरी है, और मोदी के भरोसे ही सत्ता में वापसी की उम्मीद और कोशिश कर रही है. 

1. अमित शाह का सबसे मंत्र है कि बीजेपी कार्यकर्ता लोगों के बीच जाकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के काम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट देने की अपील करें और बीजेपी के चुनाव अभियान को आगे बढ़ायें.

2. अमित शाह ने सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों पर फोकस करने की भी सलाह दी है. बीजेपी सरकार की बाकी स्कीम में सबसे असरदार तो लाडली बहना योजना ही है. 

3. बीजेपी कार्यकर्ताओं को अमित शाह की एक सलाह ये भी है कि मतदान के दिन पूरे परिवार के साथ बूथ पर जाकर वोट डालें और अपने चार परिचित परिवारों से भी ऐसा ही कराने की कोशिश करें. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी तो बीजेपी कार्यकर्ताओं से यही कहते हैं, आप बूथ जीत लो… हम चुनाव जीत जाएंगे.

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