मुरैना। ग्वालियर से आगरा के बीच प्रस्तावित ग्रीनफील्ड सिक्सलेन एक्सप्रेस-वे मुरैना में जमीनों के अधिग्रहण के मुद्दे पर फंस गया है। एक्सप्रेस-वे के लिए प्रशासन की कार्रवाई जमीन अधिग्रहण के अंतिम चरण यानी मुआवजा वितरण तक पहुंच चुकी है, लेकिन अधिकांश किसान मुआवजा के लिए बैंक खाता, आधार कार्ड व अन्य जरूरी दस्तावेज नहीं दे रहे।
किसानों का कहना है कि सरकार जमीन के बदले एक हेक्टेयर का कलेक्ट्रेट रेट 10 लाख तक दे रही है जबकि गांवों में कीमत 50 लाख तक पहुंच गई है। मुरैना में किसानों की इसी तरह की असहमति व विरोध के कारण मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को जोड़ने के लिए प्रस्तावित अटल प्रगति पथ की प्रक्रिया भी लगभग एक साल से ठंडे बस्ते में चली गई है।
ग्वालियर-आगरा ग्रीनफील्ड सिक्सलेन एक्सप्रेस-वे के निर्माण में के लिए मध्य प्रदेश के ग्वालियर, मुरैना, राजस्थान के धौलपुर और उत्तर प्रदेश के आगरा में जमीनों को अधिग्रहण होना है, इनमें सबसे अधिक मुरैना जिले में 42 गांवों में जमीन का अधिग्रहण के लिए चिन्हित किया गया है।
मुरैना ब्लाक के 22 गांवों के 6765 किसानों की 180.9205 हेक्टेयर जमीन और अंबाह ब्लाक के तीन गांवों के 582 किसानों की 20.2470 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित कर मुआवजा देना है, लेकिन इन 7347 किसानों में से प्रशासन को 2645 किसानों के बैंक खाते व अन्य जानकारी ही उपलब्ध हो पाई हैं, इनमें से भी अधिकांश किसानों का आरोप है कि प्रशासन ने यह जानकारी पीएम किसान सम्मान निधि के उनके रिकार्ड से उठा ली है। जिसमें उनकी सहमति नहीं है। 17 गांवों में करीब 3000 किसानों तो अधिग्रहण के लिए जमीन का सर्वे करने तक का विरोध कर रहे हैं।
इसलिए जरूरी है यह सिक्सलेन एक्सप्रेस-वे
ग्वालियर-मुरैना-आगरा होकर दिल्ली से जोड़ने वाले नेशनल हाईवे 44 पर क्षमता से तीन गुना तक वाहन दौड़ रहे हैं, इस कारण हादसों का ग्राफ भी लगातार बढ़ रहा है। इसीलिए आगरा से लेकर ग्वालियर तक ग्रीनफील्ड सिक्सलेन एक्सप्रेस-वे को सरकार ने मंजूरी दी है। 4600 करोड़ से ज्यादा में बनने वाले इस एक्सप्रेस-वे ग्वालियर से आगरा की दूरी 120 किमी से घटकर 88 रह जाएगी।
सड़क मार्ग से ग्वालियर से आगरा पहुंचने में ढाई से पौने तीन घंटे का जो समय लगता है, वह सफर एक घंटे में पूरा हो जाएगा और लगातार बढ़ रहे हादसों में भी कमी आएगी। यह सिक्सलेन एक्सप्रेस-वे यमुना एक्सप्रेस-वे से कनेक्ट होगा, जिससे दिल्ली से लेकर उत्तराखंड तक का सफर आसान हो जाएगा।
16 महीने से अटका है अटल प्रगति पथ
चंबल अंचल के मुरैना, श्योपुर और भिंड जिलों से होकर 199 किमी का सिक्सलेन एक्सप्रेस-वे अटल प्रगति पथ भी प्रस्तावित है। मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान को जोड़ने वाले भारत माला परियोजना के तहत बजट भी स्वीकृत हो गया, तीन बार सर्वे हो गया और अंतिम सर्वे अलाइनमेंट में चंबल के किसानों ने जमीन अधिग्रहण का ऐसा विरोध किया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 27 मार्च 2023 को सर्वे को निरस्त कर दिया। 16 माह से यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में है। कागजों में न पुराना सर्वे निरस्त हुआ, न नया सर्वे हो रहा।