G-20 में पीएम मोदी बोले- जंग से दुनिया में गहराया संकट, ग्लोबल साउथ पर इसका सबसे ज्यादा प्रभाव

ब्राजील की राजधानी रियो डी जेनेरियो में G-20 शिखर सम्मेलन चल रहा है. इस सम्मेलन के पहले दिन सोमवार (18 नवंबर) को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय मुलाकातें की. पीएम मोदी ने इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों, ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो, पुर्तगाल के पीएम लुइस मोंटेनेग्रो और नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोना गैर स्टोर के साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर वार्ता की. इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मेलन में दुनिया में खाद्य, तेज और उर्वरक के संकट पर चर्चा की.

शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने क्या कहा?

G-20 शिखर सम्मेलन के पहले दो सेशन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए. इन दो सेशन्स में पीएम मोदी ने ‘भुखमरी और गरीबी के खिलाफ एकजुटता’ और ‘सरकारों के कामकाज में सुधार’ को लेकर अपने सुझाव दिए. इसके अलावा उन्होंने ग्लोबल साउथ को लेकर भी महत्वपूर्ण चर्चा की.

भुखमरी और गरीबी के खिलाफ एकजुटता पर क्या बोले मोदी

G-20 सम्मेलन के पहले सेशन का विषय ‘भुखमरी और गरीबी के खिलाफ एकजुटता’ था. जिसमें संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने सबसे पहले G-20 के सफल आयोजन के लिए ब्राजील के राष्ट्रपति को बधाई दी. उन्होंने कहा कि ब्राजील ने अपनी अध्यक्षता में नई दिल्ली समिट के दौरान लिए गए फैसलों को आगे बढ़ाया है.

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “भारत ने 10 साल में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है. हम 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज दे रहे हैं. 55 करोड़ लोग मुफ्त स्वास्थ्य बीमा का लाभ ले रहे हैं. किसानों को 20 बिलियन डॉलर की सहायता दी है. इसके साथ ही भारत वैश्विक खाद्य सुरक्षा में योगदान दे रहा है. हाल ही में भारत ने मलावी, जाम्बिया और जिम्बाबे में भी सहायता पहुंचाई है.”

इसके अलावा पीएम मोदी ने अपने संबोधन में ‘एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य’ की प्रासंगिकता को लेकर भी चर्चा की. वहीं, जी20 में अफ्रीकन यूनियन को शामिल कराया और कहा कि अन्य प्रशासनिक संस्थानों में ऐसे ही सुधार करेंगे. जबकि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जारी युद्ध् को लेकर कहा, ‘जंग की वजह से दुनिया में खाद्य, तेल और उर्वरक का संकट पैदा हुआ है और इसका सबसे ज्यादा प्रभाव ग्लोबल साउथ के देशों पर पड़ा है. उन्होंने कहा कि जी-20 की चर्चा तभी सफल होगी, जब हम ग्लोबल साउथ की चुनौतियों और उसकी प्राथमिकताओं को ध्यान में रखेंगे.’

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