श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क की सीमाएं लांघकर मादा चीता वीरा मुरैना के जौरा और पहाड़गढ़ होते हुए ग्वालियर पहुंच गई है। ग्वालियर-मुरैना की सीमा पर बसे भंवरपुरा के बाग वाला गांव में वीरा बकरियों के झुंड पर झपटी। तीन बकरियों को चरवाहे के सामने ही खींचकर ले गई।
वीरा इस इलाके में पहली बार आई है। कूनो की टीम उसकी निगरानी कर रही है। उसे बिना रेस्क्यू कर वापस नेशनल पार्क ले जाने की प्लानिंग है। भंवरपुरा और आसपास के गांव के लोग दहशत में है। लोग ग्रुप में ही घरों से बाहर आ-जा रहे हैं।
कूनो नेशनल पार्क की सीमाएं चीता पवन और मादा चीता वीरा को रास नहीं आ रही हैं। अभी कुछ दिन पहले पवन को राजस्थान के करोली से वापस लाया गया है।
सुबह 9 से शाम 5 बजे तक खेत की मेढ़ पर सुस्ताती रही
बाग वाला गांव मुरैना जिले की सीमा से करीब दो से ढाई किलोमीटर दूर है। चरवाहे धर्मवीर गुर्जर ने चीता की जानकारी सरपंच शिव सिंह गुर्जर को दी। गांव वाले पहुंचे तो खेत की मेढ़ पर पेड़ की छांव में चीता सुस्ताती दिखी। उसके पास उसका शिकार था। थोड़ी दूर दो बकरियां घायल पड़ी थीं।
ग्वालियर से वन विभाग के रेंजर अंकित पांडे, रेंजर शैलेंद्र गुर्जर, रेंजर मोहना सचिन गुप्ता स्टाफ के साथ पहुंचे। चीता शनिवार सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खेत की मेढ़ पर बैठी रही। इसके बाद जंगल में आगे की ओर बढ़ गई।
चीता वीरा के कूनो नेशनल पार्क से बाहर आने की सूचना पार्क प्रबंधन ने ग्वालियर वन मंडल के अफसरों तक पहुंचाई थी। इसके बाद घाटीगांव गेम रेंज के स्टाफ को मौके पर निगरानी के लिए पहुंचा दिया है। वन मंडल ने अपना स्टाफ भी सुरक्षा व्यवस्था के लिए लगा दिया है।
ग्रामीण पहुंचे तो वन विभाग की टीम ने वापस किया
चीता के आने की खबर सुनकर आसपास के गांव के लोग पहुंचने लगे थे। लोगों को नुकसान न हो, इसे ध्यान में रखकर पुलिस और वन विभाग की टीम के सदस्यों ने गांव वालों को मौके से लौटा दिया। चीता वीरा की जो लोकेशन है, वहां से कुछ ही दूरी पर आसन नदी भी बहती है। इसलिए वीरा को यह जगह पसंद आ रही है।
हम निगरानी कर रहे है
कूनो नेशनल पार्क के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि वीरा बाहर है। हम निगरानी कर रहे हैं। टीम उसे जल्द से जल्द वापस नेशनल पार्क में ले आएगी।