भारत के खिलाफ अमेरिकी प्रोपेगैंडा की खुली पोल, धार्मिक स्वतंत्रता पर रिपोर्ट बनाने वाले आयोग में एक भी हिंदू नहीं

वाशिंगटन : अमेरिका में रह रहे भारतवंशी समुदाय ने धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (USCIRF) के ऊपर भारत और हिंदुओं को लेकर पक्षपाती रिपोर्ट तैयार करने का आरोप लगाया है। भारतीय प्रवासियों के संगठन फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (FIIDS) ने कहा है कि अमेरिका के धार्मिक स्वतंत्रता आयोग में दुनिया के तीसरे सबसे बड़े धर्म का एक भी प्रतिनिधि नहीं है, लेकिन यह हिंदुओं के ऊपर रिपोर्ट तैयार करता है। एफआईआईडीएस ने अमेरिकी धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की रिपोर्ट में विविधता और संतुलन की कमी बताई।

अमेरिकी आयोग में हिंदुओं का प्रतिनिधित्व नहीं

समाचार एजेंसी पीटीआई से FIIDS के रणनीति प्रमुख खंडेराव कांड ने शुक्रवार को बताया, पृथ्वी पर हर छह में से एक व्यक्ति हिंदू धर्म से है। आयोग में इसका प्रतिनिधित्व नहीं है। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट में विविधता लाने और उचित संतुलन बनाने के मामले में यह बड़ी चूक होगी।

खंडेराव अमेरिकी धार्मिक स्वतंत्रता आयोग में तीन नए आयुक्तों की नियुक्ति पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। नए नियुक्त मॉरीन फर्ग्यूसन, विकी हार्टजलर और आसिफ महमूद हैं। इसी 14 मई को आयोग के पिछले आयुक्तों अब्राहम कूपर, डेविड करी, फ्रेडरिक डेवी, मोहम्मद माजिद, नूरी तुर्केल और फ्रैंक वुल्फ का कार्यकाल समाप्त हो गया था। खंडेराव ने जोर दिया कि नई नियुक्तियां दर्शाती हैं कि अमेरिकी सरकार ने यूएससीआईआरएफ में विविधता और संतुलन के लिए एक प्रतिनिधि रखने का ऐतिहासिक अवसर गंवा दिया है। भारत को लेकर संस्था की हालिया वार्षिक रिपोर्ट को लेकर उन्होंने ध्यान दिलाया कि ऐसी रिपोर्ट हमेशा चूक से भरी होती हैं।

अमेरिका की रिपोर्ट में तथ्यों की कमी

कांड ने कहा, ‘अध्ययन संदर्भों को नहीं दर्शाता है। यह ऐतिहासिक तथ्य या रुझान नहीं देता है। इस तरह रिपोर्ट एक नैरेटिव के हिसाब से चलने लगती है और इसलिए यह तथ्यात्मक रूप से पूर्ण नहीं होती है, और यह एक विवाद बन जाती है। यह निश्चित रूप से भारत विरोधी है।’ उन्होंने कहा, ‘अध्ययन में इस बात पर पारदर्शिता का अभाव है कि विशेषज्ञों का चयन कैसे किया जाता है या साक्ष्य कैसे एकत्र किए जाते हैं। इसमें विविधता की कमी है, जिसके चलते रिपोर्ट विवादात्मक और पक्षपाती लगती है।’

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