महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शपथ ग्रहण के बाद अपने सहयोगी चेहरों – एकनाथ शिंदे और अजित पवार को लेकर खुलकर बातचीत की है। उन्होंने हालिया इंटरव्यू में संकेत किया कि आखिर एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम के पद के लिए कैसे राजी हुए। फडणवीस ने विभागों के बंटवारे को लेकर भी अपनी बाद सामने रखी।
इंटरव्यू में अपनी सरकार के कार्यशैली और सहयोगियों के साथ रिश्तों पर खुलकर चर्चा की। फडणवीस ने कहा कि तीन दलों की सरकार होने के कारण हर मुद्दे पर चर्चा और सामूहिक निर्णय आवश्यक है। उन्होंने यह साफ किया कि सरकार के गठन में कोई अनावश्यक देरी नहीं हुई और शिंदे किसी बात पर नाराज नहीं थे।
फडणवीस ने कहा, “दिल्ली में हुई बैठक में शिंदे जी ने मान लिया था कि अधिक विधायकों के होने के कारण मुख्यमंत्री भाजपा का होना चाहिए।” जब उनसे शिंदे के डिप्टी सीएम बनने पर असहमति की खबरों पर सवाल किया गया तो फडणवीस ने कहा, “अगर पार्टी प्रमुख सरकार के बाहर रहे तो पार्टी नहीं चल सकती। मैंने शिंदे जी को यह समझाया।”
फडणवीस ने कहा, “शिंदे जी भावुक स्वभाव के हैं, जबकि अजित दादा व्यावहारिक राजनीति करते हैं। मैंने दोनों से तालमेल बिठा लिया है।” फडणवीस ने यह भी बताया कि बीते ढाई साल उनके लिए किसी रोलर कोस्टर सफर से कम नहीं थे।
पोर्टफोलियो आवंटन और राजनीतिक चुनौतियां
फडणवीस ने बताया कि विभागों का बंटवारा सामूहिक निर्णय से होगा। उन्होंने कहा, “चाहे गृह मंत्रालय हो या कोई और, हम सब मिलकर निर्णय लेंगे।” राजनीतिक चुनौतियों पर बात करते हुए फडणवीस ने कहा कि 2019 में उद्धव ठाकरे के धोखे के बाद भाजपा ने लगातार संघर्ष किया। उन्होंने कहा, “हमने 2.5 साल तक लड़ाई लड़ी और हमारे सभी सहयोगी हमारे साथ रहे।”
लोकसभा चुनाव और अजित पवार के बयान पर बोले फडणवीस
फडणवीस ने माना कि 2014 से महाराष्ट्र की जनता मोदी जी के साथ है। उन्होंने लोकसभा चुनाव में विरोधियों के हमलों को अपनी सहानुभूति बढ़ाने वाला करार दिया। साथ ही उन्होंने अजित पवार के प्रदर्शन की तारीफ करते हुए कहा, “लोकसभा चुनावों के बाद अजित दादा पर सवाल खड़े हुए थे, लेकिन उन्होंने अच्छा काम किया।”
आमंत्रण कार्ड को लेकर हुए विवाद पर दी सफाई
आमंत्रण कार्ड विवाद पर फडणवीस ने कहा कि कार्ड नियमों के अनुसार बनाया गया था। उन्होंने कहा, “बालासाहेब ठाकरे हमारे दिलों में हैं, हमें उनकी छवि दिखाने की जरूरत नहीं।”