ग्वालियर । खाद्य सुरक्षा प्रशासन ने दीपावली त्योहार पर खाद्य पदार्थो में मिलावट रोकने के लिए बेशक अभियान चलाया। इस दौरान मावा, मिठाई की दुकानों से सैंपल भी लिए गए। 150 से अधिक सैंपल जांच के लिए राज्य स्तरीय लैब भेजे गए, लेकिन रिपोर्ट आने में एक माह का समय लगेगा। ग्रामीण क्षेत्र समेत शहर के अन्य हिस्सों में मिठाई की दुकानों से मावा बर्फी, गुलाब जामुन, रसगुल्ले, पनीर, लड्डू व मावा समेत अन्य मिठाइयों के सैंपल लिए गए हैं।
दरअसल रिपोर्ट आने में देरी इसलिए होती है कि भोपाल स्थित लैब में राज्य भर से सैंपल जांच के लिए भेजे जाते हैं। त्योहार पर अधिक सैंपल पहुंचने से लोड बढ़ जाता हैं। ऐसे में 14 दिन में आने वाली रिपोर्ट को एक माह लग जाता है। इस बार न्यायालय के निर्देश पर खाद्य सुरक्षा प्रशासन ने खाद्य पदार्थ की जांच के लिए लगातार अभियान चलाया। इस दौरान न केवल भिंड, मुरैना, बल्कि राजस्थान से लाया गया मावा पकड़ा गया। इस मावा के नमूने लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं।
यह है प्रक्रिया
मिठाइयों की जांच के लिए प्रदेश के सभी जिलों से सैंपल लेकर भोपाल लैब में भेजे जाते हैं। खाद्य सुरक्षा अधिकारी सैंपल लेकर पार्सल के माध्यम से लैब में भेजते हैं। लैब तक सैंपल पहुंचने में करीब तीन से पांच दिन लगते हैं। लैब की ओर से सैंपल रिसीव करने के 14 दिन बाद रिपोर्ट भेजी जाती है, लेकिन त्योहार पर सभी जिलों में ताबड़तोड़ कार्रवाई होने के कारण ज्यादा संख्या में नमूने पहुंचने पर रिपोर्ट आने में एक माह का समय लग जाता है।
सैंपल को तीन श्रेणी में विभाजित किया जाता है
-सब-स्टैंडर्ड, मिक्स ब्रांडेड और अनसेफ। सैंपल के सब-स्टैंडर्ड मिलने पर संबंधित दुकान पर पांच लाख रुपये तक का जुर्माना, अनसेफ मिलने पर दुकानदार या विक्रेता को तीन साल की सजा। इतना ही नहीं मिलावटी या खराब मिठाई खाने से यदि किसी व्यक्ति के शरीर का कोई हिस्सा खराब हो जाता है तो विक्रेता को उम्र कैद की सजा का प्रावधान है। मिलावटी मिठाई की रिपोर्ट के बाद उपभोक्ता या खाद्य सुरक्षा अधिकारी सैंपल रिपोर्ट को कोर्ट में पेश करेगा। मामला कोर्ट में जाने से पहले विभाग की ओर से विक्रेता को दूसरी लैब से उसी सैंपल की जांच करवाने के एक महीने का समय दिया जाता है। दूसरी लैब की रिपोर्ट को ही फाइनल रिपोर्ट मानी जाती है।