चारों ओर दुश्मनों से घिरे इजरायल ने अपनी सुरक्षा को और अभेद्य बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। पहले से ही आयरन डोम सिस्टम के लिए मशहूर इजरायल, अब अत्याधुनिक लेजर डिफेंस सिस्टम ‘आयरन बीम’ को अपनी सुरक्षा में शामिल करने जा रहा है। इजरायली रक्षा मंत्रालय की योजना है कि इस हाई-पावर लेजर सिस्टम को अगले एक साल में पूरी तरह ऑपरेशनल बनाया जाए। माना जा रहा है कि यह तकनीक इजरायल के डिफेंस सिस्टम्स को नई ऊंचाई पर पहुंचाएगी और एक नए युग की शुरुआत करेगी।
आयरन बीम को दरअसल राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स और एल्बिट सिस्टम्स के द्वारा विकसित किया गया है। इस लेजर तकनीक का उपयोग करके मिसाइलों, ड्रोन, रॉकेट और मोर्टार जैसे खतरनाक हथियारों को बड़ी ही कुशलता से नष्ट किया जा सकता है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह बहुत ही कम लागत पर दुश्मन की मिलाइलों को रोक सकता है और बार-बार उपयोग किया जा सकता है। आयरन डोम की तुलना में, आयरन बीम बहुत अधिक प्रभावशीलता और कुशल है, जिससे यह अधिक किफायती भी साबित होता है। हालांकि, आयरन बीम की कुछ सीमाएं भी हैं जैसे- खराब मौसम या कम दृश्यता में इसे ऑपरेट करने में कठिनाई हो सकती है।
इस प्रणाली की खूबियों में यह भी है कि यह सैकड़ों मीटर से लेकर कई किलोमीटर की दूरी तक काम कर सकता है और अपने इंटरसेप्शन में कोई कोलैटरल डैमेज नहीं करता। इसका मतलब है कि इसे शहरी क्षेत्रों में भी बिना किसी जोखिम के इस्तेमाल किया जा सकता है। इजरायल इस नई प्रणाली का उपयोग लेबनान में ईरान समर्थित हिजबुल्लाह और गाजा में हमास के खतरों से निपटने के लिए करेगा। 7 अक्टूबर, 2023 को हमास के हमले में 1,206 नागरिकों की जान जाने के बाद इजरायल की यह तकनीकी तैयारी काभी अहम मानी जा रही है।
इसी बीच, अमेरिका ने भी अपनी सैन्य मौजूदगी को मध्य पूर्व में मजबूत करने का निर्णय लिया है। अमेरिका ने अपने बी-52 बॉम्बर्स, फाइटर जेट्स और नेवी डेस्ट्रॉयर्स को वहां तैनात करने की घोषणा की है। ऐसे में आयरन बीम की यह नई प्रणाली इजरायल के लिए आने वाले समय में एक महत्वपूर्ण हथियार साबित हो सकती है, जो न केवल दुश्मन के हमलों को विफल करने में मदद करेगी, बल्कि युद्ध की नई तकनीकी चुनौतियों का भी सामना कर सकेगी।