विदेश मंत्री एस जयशंकर की पाक यात्रा से बना पॉजिटिव संकेत, नवाज शरीफ ने कहा- PAK आतंक पर कसे शिकंजा

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर की हालिया पाकिस्तान यात्रा ने दोनों देशों के रिश्तों में जिस तरह पॉजिटिविटी का माहौल बनाया है, वह इस बात का अच्छा उदाहरण है कि बेहद प्रतिकूल हालात में भी कुशल डिप्लोमेसी से कुछ न कुछ बेहतर नतीजे हासिल किए जा सकते हैं। हालांकि यह पॉजिटिविटी कब तक कायम रहती है और द्विपक्षीय रिश्तों को कितनी गर्मजोशी दे पाती है, यह देखना अभी बाकी है।

शिखर बैठक में विदेश मंत्री
शांघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) की शिखर बैठक के सिलसिले में विदेश मंत्री का पाकिस्तान जाना अपने आप में इस बात का उदाहरण था कि दोनों देशों के बीच रिश्ते अच्छे नहीं हैं। कायदे से इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शिरकत होनी चाहिए थी, लेकिन स्थिति यह थी कि विदेश मंत्री जयशंकर के रूप में एक वरिष्ठ मंत्री का जाना भी एक पॉजिटिव डिवेलपमेंट माना गया। खुद जयशंकर ने भी जाने से पहले ही साफ कर दिया था कि इस यात्रा में द्विपक्षीय रिश्तों पर किसी तरह की बातचीत वह नहीं करने वाले हैं। इसके बावजूद पाकिस्तानी मीडिया में इसे दोस्ती की तरफ बढ़ा कदम माना गया। इसके बाद अब नवाज शरीफ का इस सिलसिले में आया बयान भी पॉजिटिव है।

पिछली यात्रा का अनुभव
विदेश मंत्री जयशंकर की पाकिस्तान में मौजूदगी में निहित शालीनता और गरिमा को रेखांकित करना हो तो इसे पिछले साल हुई पाकिस्तानी के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी की यात्रा के संदर्भ में देखना होगा। वह भी SCO के विदेशमंत्रियों की बैठक के ही सिलसिले में आए थे। वह भी 12 साल के अंतराल के बाद पाकिस्तान के किसी वरिष्ठ नेता की भारत यात्रा थी। लेकिन वह यात्रा उनके तीखे और कड़वे बयानों के लिए चर्चित हुई। उससे दोनों देशों के रिश्तों की गुत्थी सुलझाने में कोई मदद नहीं मिली।

रिश्ते सुधारने की अपील
इसके उलट जयशंकर ने न केवल SCO के मंच का इस्तेमाल विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मसलों पर भारत के स्टैंड की अहमियत समझाने में की, बल्कि अपने बॉडी लैंग्वेज और व्यक्तित्व से मेजबान को भी प्रभावित किया। यही वजह रही कि उनके लौटने के बाद पाकिस्तान में सत्तारूढ़ PML (N) के सबसे बड़े नेता और तीन बार के पीएम नवाज शरीफ ने भारत के साथ रिश्ते सुधारने का आह्वान कर दिया। उन्होंने न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछली पाकिस्तान यात्रा को भावुक अंदाज में याद किया बल्कि मोदी के खिलाफ की गई घटिया बयानबाजी के लिए पूर्व पीएम इमरान खान की भी लानत-मलामत की।

माहौल तो बना निश्चित रूप से इस तरह की पहलकदमी का अपना महत्व है। इनसे रिश्तों को बेहतरी की दिशा देने वाले प्रयासों के अनुकूल माहौल बनता है। लेकिन रिश्तों की बेहतरी वास्तव में बहुत सी अन्य बातों पर निर्भर करती है। भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में सबसे बड़ा मसला है आतंकवाद को वहां मिल रहा संरक्षण। देखना होगा कि पाकिस्तान के मौजूदा निजाम इस मोर्चे पर कितने ठोस कदम उठाते और कितना भरोसा जगा पाते हैं।

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