भारत से दुश्मनी मोल लेकर ट्रूडो ने कर दी बड़ी गलती, कनाडा का हो जाएगा पाकिस्तान जैसा हाल

भारत को अपना दुश्मन बनाने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। लिबरल सांसदों ने उनके खिलाफ बगावत कर दी है। कनाडाई पीएम पर इस्तीफे का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। आंतरिक राजनीतिक कलह से उनके लिए इस्तीफा से कहीं अधिक गंभीर खतरे की स्थिति उत्पन्न होती जा रही है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर वह खालिस्तानी अलगाववाद पर अपना निष्क्रिय रुख जारी रखते हैं, तो उनके देश का हाल पाकिस्तान की तरह खतरनाक हो सकता है।

दुनिया ने देखा है कि कैसे पाकिस्तान द्वारा आतंकवादी गुटों को बढ़ावा देने से उसका हाल फटेहाल हो गया। कई विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि कनाडा भी इसी तरह के खतरनाक रास्ते पर चल सकता है। पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा और तालिबान जैसे आतंकवादी संगठनों का समर्थन किया। पाकिस्तान ने ऐसा करके भारत और अफगानिस्तान में रणनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की। हालांकि, समूह इतने शक्तिशाली हो गए कि उन्हें नियंत्रित करना मुश्किल हो गया। अब वे वहां की सरकार के विरुद्ध हो गए।

क्लिंटन ने भी चेताया था
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हिलेरी क्लिंटन ने अमेरिकी विदेश मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा था, “आप अपने पिछवाड़े में सांप नहीं पाल सकते और उम्मीद नहीं कर सकते कि वे केवल आपके पड़ोसी को ही काटेंगे।” आज के समय में यही चेतावनी कनाडा के लिए भी सच हो सकती है यदि वह खालिस्तानी आंदोलन की गतिविधियों पर आंखें मूंद लेता है।

सरकार बचाने के लिए सारा खेल
ट्रूडो का दृष्टिकोण राजनीतिक रूप से सुविधाजनक लग सकता है। जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ उनकी पार्टी के गठबंधन ने उनकी अल्पमत सरकार को बचाए रखा है। उन्हें संसद में विश्वास मत हासिल करने में मदद मिली। सिख आबादी की संख्या भले ही कनाडा में कम है, लेकिन कुछ ही हिस्सों में होने के कारण उनका अपना एक राजनीतिक प्रभाव है।

उग्रवाद का सेंटर बना कनाडा
भारत ने बार-बार चिंता जताई है कि कनाडा भारत के बाहर सिख उग्रवाद का केंद्र बन चुका है। ट्रूडो पर राजनीतिक लाभ के लिए भारत विरोधी अलगाववादी गतिविधियों को पनपने देने का आरोप लगाया है। इससे दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंध बन गए हैं। दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध ऐतिहासिक रूप से सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। इसे और बदतर बनाने के लिए ट्रूडो ने अब एक सार्वजनिक जांच में स्वीकार किया है कि जब उन्होंने भारत के खिलाफ आरोप लगाए थे तो उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं था।

कनाडा में ड्रग तस्करी से लेकर मनी लॉन्ड्रिंग तक का एक मजबूत नेटवर्क फैल गया है। 1990 के दशक में कनाडाई अधिकारियों को इन गतिविधियों के बारे में तब पता चला जब खालिस्तानी संगठनों से जुड़े ड्रग डीलरों की हत्या कर दी गई। हाल ही में 2023 तक भारतीय मूल के प्रमुख कनाडाई पत्रकारों को खालिस्तानियों के खिलाफ बोलने के लिए हिंसक हमलों का सामना करना पड़ा है। इसके बावजूद ट्रूडो की सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया।

सरकारी विशेषज्ञों ने एक बार खालिस्तानी उग्रवाद को गंभीरता से लिया था। आतंकवाद पर अपनी वार्षिक सार्वजनिक रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया था। लेकिन अब उन संदर्भों को हटा दिया गया है। कहा जाता है कि शक्तिशाली सिख लॉबी ने इसके लिए दबाव बनाया।

पाकिस्तान जैसा हा

जिस तरह पाकिस्तान अब चरमपंथी गुटों के प्रति अपनी नरमी के परिणामों से जूझ रहा है, कनाडा भी खुद को इसी तरह की स्थिति में पा सकता है। अगर उसने अपनी नीतियों में तेजी से बदलाव नहीं किया तो कनाडा का पाकिस्तान जैसा हाल हो सकता है। कनाडा में सरकार द्वारा मिल रहे संरक्षण से उत्साहित खालिस्तानी जल्द ही अपनी हिंसा का शिकार कनाडा को बना सकते हैं। वहां पहले से ही पत्रकारों और बिजनेसमैन सहित भारतीय-कनाडाई नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्हें धमकी दी जा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *