एमपी की वह सीट जिस पर शिवराज और कमलनाथ की प्रतिष्ठा लगी है दांव पर, क्या है इसका सियासी गणित?

बैतूल। महाकौशल से सटे बैतूल जिले की मुलताई विधानसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सरकार में पीएचई मंत्री रहे सुखदेव पांसे एक बार फिर से मैदान में हैं। उनका सीधा मुकाबला भाजपा के चंद्रशेखर देशमुख से हो रहा है।

पिछले चुनाव में विधायक रहते हुए भाजपा ने चंद्रशेखर देशमुख का टिकट काट दिया था, लेकिन जिन राजा पंवार को टिकट दिया गया वह जीतने में सफल नहीं हुए और कांग्रेस ने सीट पर कब्जा जमा लिया था। इस बार के चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की पसंद के चंद्रशेखर देशमुख को मौका दिया गया है। कांग्रेस ने पूर्व पीएचई मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के कट्टर समर्थक सुखदेव पांसे को टिकट दिया है।

इस सीट पर भाजपा, कांग्रेस, बसपा, सपा और निर्दलीय मिलाकर 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में डटे हुए हैं। मुलताई विधानसभा क्षेत्र में दोनों की प्रमुख दलों के प्रत्याशी अपने समर्थकों के साथ हर गांव में पहुंचकर मतदाताओं से सहयोग मांग रहे हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस 17,250 वोट से जीत हासिल करने में सफल रही थी, लेकिन भाजपा का संगठन और प्रत्याशी जिस तरह से मतदाताओं के बीच पहुंच रहे हैं और जो समर्थन मिल रहा है उससे हार और जीत का अंतर बेहद नजदीकी रहने की स्थिति नजर आ रही है।

काम गिनाने में जुटे नेतागण

विधानसभा क्षेत्र के ग्राम ससुंद्रा निवासी रघुनाथ लोखंडे ने बताया कि चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस के प्रत्याशी अपने कार्यकाल में 15 महीने की कांग्रेस सरकार के दौरान क्षेत्र में कराए गए विकास कार्य गिना रहे हैं और तमाम वायदे भी कर रहे हैं। हालांकि जनता के द्वारा रोजगार के साधनों की कमी को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इधर भाजपा प्रत्याशी पिछले कार्यकाल में बुनियादी सुविधाओं का विस्तार करने से लेकर भाजपा की सरकार द्वारा दी गई सिंचाई योजनाओं, अस्पताल भवन, स्कूल, सड़क और हर घर पानी पहुंचाने के नाम पर जनता से समर्थन मांगा जा रहा है।

मुख्यमंत्री के आश्वासन पर थमा विरोध

मुलताई विधानसभा क्षेत्र के 35 गांवों में किसानों को जलाशयों का पानी सिंचाई के लिए न मिलने का मुद्दा चुनाव के पहले तेजी से गरमा गया था। 35 गांवों के लोग पारसडोह जलाशय का पानी खेतों तक पहुंचाने, चंदोरा जलाशय की ओपन नहर को पाइप लाइन में तब्दील करने, वर्धा जलाशय स्वीकृति देने अंभोरा नदी पर नया जलाशय बनाने, मोरंड नदी पर नया बांध बनाने की मांग को लेकर बेहद नाराज थे।

इस नाराजगी को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुलताई में आयोजित सभा में किसानों को सिंचाई की सुविधाओं का विस्तार करने का भरोसा दिला दिया। इससे इन गांवों के किसानों को उम्मीद है कि अब उनके खेतों में फसलें लहलहाने लगेंगी। विरोध के स्वर थमने का भाजपा को कितना लाभ मिलता है यह तो नतीजे आने पर ही सामने आ पाएगा।

पांच बार निर्दलीयों को मिली है जीत

मुलताई विधानसभा सीट पर वर्ष 1977 से लेकर 2018 तक हुए कुल 11 चुनाव में मतदाताओं ने पांच बार निर्दलीय प्रत्याशी को पसंद किया है। कांग्रेस और भाजपा को दो-दो बार जीत मिली है। वर्ष 1972 में राधाकृष्ण गर्ग, 1977 में मनीराम बारंगे, 1980 में मनीराम बारंगे,1993 में पीआर बोड़खे और 1998 में डा सुनीलम ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव में जीत पाई है।

वर्ष 2003 में डा सुनीलम सपा की टिकट पर दूसरी बार चुनाव जीते थे। वर्ष 2013 के चुनाव में भाजपा के चंद्र शेखर देशमुख जीते थे। वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस के सुखदेव पांसे जीतने में सफल हो गए थे। जिला बनाने का मुद्दा छाया मुलताई विधानसभा क्षेत्र में मुलताई को जिला बनाने का मुद्दा भी छाया हुआ है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिला बनाने के संबंध में सभी से सहमति लेकर सकारात्मक निर्णय लेने का भरोसा दिया है तो कांग्रेस के नकुल नाथ ने मुलताई में चुनावी सभा में कांग्रेस की सरकार बनते ही मुलताई को जिला और पांसे को मंत्री बनाने का वादा जनता से किया है।

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