कभी तो झुकोगे! चीन ने माना भारत का लोहा, मैन्‍युफैक्‍चरिंग में तेजी से ड्रैगन की गर्दन पकड़ रहा है इंडिया

नई दिल्‍ली. भारत दुनिया का मैन्‍युफैक्‍चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है. इस सच्‍चाई से दुनिया वाकिफ है, लेकिन हमारा पड़ोसी भारत की विनिर्माण क्षमता पर अब तक उंगली उठाता रहा था. पर अब उसके सुर भी बदल गए हैं. ड्रैगन ने भी अब मान लिया है कि मैन्‍युफैक्‍चरिंग में भारत अब एक बड़ी ताकत बन रहा है. चीन के सरकारी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स ने मैन्‍युफैक्‍चरिंग आउटपुट में दुनिया के शीर्ष 10 देशों की सूची जारी है. इस सूची में भारत का पांचवां स्‍थान है. खास बात यह है कि ग्‍लोबल टाइम्‍स ने ‘एक्‍स’ पर शेयर की गई अपनी पोस्‍ट में खासतौर से भारत का उल्‍लेख किया है.

ग्‍लोबल टाइम्‍स ने अपनी पोस्‍ट में लिखा, ‘चीन दुनिया का मैन्‍युफैक्‍चरिंग पावरहाउस बना हुआ है.’ इसी पोस्‍ट में भारत के बारे में लिखा गया, ‘भारत 456 बिलियन डॉलर के विनिर्माण मूल्य के साथ शीर्ष 5 में जगह बना चुका है.’ ग्‍लोबल टाइम्‍स ने यह सूची वर्ल्‍ड बैंक के आंकड़ों के आधार पर तैयार की है. हमेशा ही भारत की आलोचना करने वाले ग्‍लोबल टाइम्‍स के सुर कुछ समय से भारत के प्रति नरम पड़े हैं और धीरे-धीरे ही सही, पर अब चीन भारत को दुनिया की एक ताकत मानना शुरू कर दिया है.

मैन्‍युफैक्‍चरिंग में चीन शीर्ष पर

ग्‍लोबल टाइम्‍स की सूची में मैन्‍युफैक्‍चरिंग आउटपुट में चीन 4659 बिलियन डॉलर के साथ शीर्ष पर है. 2497 बिलियन डॉलर मैन्‍युफैक्‍चरिंग आउटपुट के साथ अमेरिका दूसरे स्‍थान पर है. 845 बिलियन डॉलर के साथ जर्मनी तीसरे, जापान 818 बिलियन डॉलर के साथ चौथे और 456 बिलियन डॉलर के साथ भारत पांचवे स्‍थान पर है. साउथ कोरिया का इस सूची में छठा, मैक्सिको का सातवां, इटली का आठवां, फ्रांस का नौवां और ब्राजील का दसवां स्‍थान है.

बता चुका है दुनिया की तेजी से बढती शक्ति

गलवान में भारत और चीन की सेना में हुई झड़प और उसके बाद चीन के प्रति भारत के कड़े रुख ने चीन को ‘नरम’होने पर मजबूर कर दिया है. जनवरी, 2024 में भी चीन के सरकारी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स ने भारत और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुलकर तारीफ की थी. ग्‍लोबल टाइम्‍स के एक लेख में कहा गया था कि भारत दुनिया की तेजी से बढती शक्ति है. लेख में भारत की चार साल की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि, शहरी शासन में सुधार और अंतरराष्‍ट्रीय संबंधों, खासकर चीन के साथ दृष्टिकोण में आए बदलाव के बारे में बताया गया था.

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