जिम्मेदार देखते रहे, बिगड़ते गए हालात, अब जहरीली हुई हवा

ग्वालियर। शहर में प्रदूषण अब भी खतरनाक स्थिति में है। केंद्र सरकार के पैसे से खर्चा तो खूब हुआ, लेकिन असर कहीं दिखाई नहीं दे रहा। जिन सड़कों को डस्ट फ्री बनाया, वहां अब भी धूल उड़ रही है, पैवर्स भी उखड़ चुके हैं। सीएनडी वेस्ट प्लांट भी कोई खास काम नहीं आया है। हालत ये है कि सिटी सेंटर और महाराज बाड़े पर पीएम 2.5 का स्तर 100 से अधिक है। पीएम-10 भी 200 से ज्यादा है। ग्वालियर में यह स्थिति करीब 25 दिन से है और शहरवासी खराब हवा में सांस लेने को मजबूर हैं।

जानें स्थिति

डस्ट फ्री एरिया:- बाल भवन मार्ग और सचिन तेंदुलकर मार्ग के साथ ही कुछ अन्य छोटे मार्गों पर पैवर्स लगाकर डस्ट फ्री का दावा किया था। हकीकत ये है कि रेसकोर्स रोड पर पैवर्स जगह-जगह टूट चुके हैं। साथ ही पुराना रेलवे पुलिया वाला पूरा मार्ग कच्चा पड़ा है, जिससे दिन भर धूल उड़ती रहती है। सचिन तेंदुलकर मार्ग पर भी आसपास के कच्चे मार्ग से उड़ती धूल लोगों की परेशानी बनी हुई है।

मशीनें:-सरकार से मिले पैसे का बड़ा हिस्सा स्वीपिंग मशीन और फागर मशीन पर खर्च हुआ था। जिनका उपयोग प्रदूषण कम करने के लिए कुछ दिन तो हुआ, बाद में केवल स्वीपिंग मशीन ही सड़कों की सफाई करती दिखी। जबकि फागर मशीन का प्रयोग पानी देने में किया जाने लगा।

सीएनडी वेस्ट प्लांट:- निर्माण कार्य के दौरान निकलने वाले मलबे को सीएनडी वेस्ट कहा जाता है। इस प्लांट का उद्देश्य था कि लोग सड़कों पर मलबा फेंकने की जगह प्लांट पर पहुंचाएं। क्योंकि इस मलबे के कारण आसपास काफी धूल मिट्टी उड़ती है। लेकिन लोग मलबा सड़कों पर ही फेंक रहे हैं, इसलिए इसका भी पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है।

कचरा पार्क:- बरा में कचरा पार्क तैयार किया गया है। पहले फेज का काम हो चुका है, सेकंड फेज का काम अभी होना है।

शहर में प्रदूषण नहीं हुआ कम

ग्वालियर के डीडी नगर में पीएम-10 का स्तर 260.87, सिटी सेंटर पर 244.20 और महाराज बाड़े पर 315.38 है। जबकि पीएम 2.5 का स्तर डीडी नगर में 96.97, सिटी सेंटर में 166.30 और महाराज बाड़े पर 132.25 है। बता दें कि पीएम 2.5 का 60 से अधिक होना हानिकारक होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *