ग्वालियर। ग्वालियर अब गंभीर जल संकट की स्थिति में आ गया है। अभी तक एक दिन छोड़कर पानी सप्लाई दी जा रही थी लेकिन अब दो दिन छोड़कर पानी दिए जाने का प्रस्ताव जल संसाधन विभाग ने निगम को भेज दिया है। तिघरा में 31 जुलाई तक का 523 एमसीएफटी पानी बचा है,438 एमसीएफटी के बाद पानी नहीं लिया जा सकता। हर साल पानी की कमी का हवाला देने वाले अफसर तिघरा का जल स्तर बढ़ते ही लीकेज और बर्बादी जैसे मुद्दे भूल जाते हैं। उधर ठोस इंतजाम की बजाए दिखावे के लिए पानी लिफ्टिंग का प्रस्ताव भोपाल भेजा जिसकी स्वीकृति का प्रविधान ही नहीं था तो वही हुआ अस्वीकृति का पत्र भी नगर निगम को आ गया।
जल संसाधन विभाग ने दो दिन में एक बार पानी छोड़ने का प्रस्ताव भेजा
अब जब कोई उपाय ही नहीं तो जल संसाधन विभाग ने एक दिन छोड़कर पानी देने की बजाए दो दिन पानी छोड़कर देने का प्रस्ताव नगर निगम को भेज दिया है। राहत आयुक्त की ओर से सिर्फ टैंकरों से पानी के परिवहन के लिए बजट दिया जा सकता है। जनता के लिए जो सबसे जरूरी है उसको लेकर ही सबसे बड़ी बेपरवाही ग्वालियर में सामने आती है। नगरीय प्रशासन विभाग से भी लिफ्टिंग की प्रशासकीय स्वीकृति जारी नहीं हुई है। उधर जलसंसाधन विभाग और नगर निगम के अधिकारी पानी लिफ्टिंग की तैयारी में हैं, लेकिन इसके लिए भी टेंडर प्रक्रिया की जाएगी, जिसमें कम से कम 30 दिन का समय लगेगा।
तिघरा में 31 जुलाई तक के लिए ही पानी उपलब्ध
उधर एक दिन छोड़कर पानी की सप्लाइ होने की स्थिति में 31 जुलाई तक का पानी ही मौजूद है। यदि समय से मानसून मेहरबान नहीं होता है, तो सरकारी सिस्टम की लेटलतीफी के कारण शहर में भीषण जल संकट के हालात बन सकते हैं। इसको देखते हुए नगर निगम आयुक्त हर्ष सिंह भी सोमवार की शाम को भोपाल के लिए रवाना हो गए हैं और वे खुद वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर शहर के हालातों की पूरी रिपोर्ट सौंपेंगे, ताकि जल्द से जल्द मंजूरी मिल सके और शहर में पानी की आपूर्ति के लिए पानी लिफ्ट किया जा सके। पानी लिफ्ट होने की स्थिति में अगस्त माह तक आपूर्ति हो सकेगी। वहीं जलसंसाधन विभाग ने भी शहर में अब एक के बजाय दो दिन छोड़कर पानी की आपूर्ति करने का प्रस्ताव नगर निगम को भेजा है।
एक दिन में साढ़े आठ एमसीएफटी की आपूर्ति, डेढ़ एमसीएफटी बर्बाद, इसलिए लीकेज जांचेगी टीम
शहर में तिघरा से हर दिन 11 एमसीएफटी पानी लिया जा रहा है। इसमें से साढ़े आठ एमसीएफटी पानी की आपूर्ति शहर में हो रही है, जो अपर्याप्त साबित हो रही है। कई इलाकों में लोगों को पांच से 10 मिनट ही पानी मिल पा रहा है। तिघरा बांध से मोतीझील प्लांट तक आने वाली पाइपलाइन के लीकेज वर्षों बाद अब भी बरकरार हैं, जिससे हर रोज डेढ़ एमसीएफटी पानी बर्बाद हो जाता है। अब जब जल संकट की स्थिति बनी है, तो इस लीकेज का पता लगाने के लिए पांच सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। इसमें सहायक यंत्री मोतीझील हेमंत शर्मा, महेश चंद्र यादव, उपयंत्री महेश कुमार मगरैया, देवराज बिसारिया और मैसर्स कंक्रीट उद्योग झांसी के प्रोजेक्ट मैनेजर एके भटनागर को शामिल किया गया है। ये दल प्रतिदिन तिघरा से मोतीझील तक दो किमी तक वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कर लीकेज का पता लगाएगा तथा इसकी जीपीएस लोकेशन भी टैग करेगा।