वरिष्ठता का रखा ध्यान, जानिए नए आर्मी चीफ की नियुक्ति में क्यों नहीं बदला नियम?

नई दिल्ली: कुछ दिन पहले जब सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे को उनके रिटायरमेंट से छह दिन पहले एक महीने का एक्सटेंशन मिला तब इस फैसले ने कई सारी अटकलों को जन्म दे दिया था। चुनाव नतीजों से ठीक पहले दिए गए सेवा विस्तार के फैसले को कई तरीके से देखा गया। वजह भी साफ थी क्योंकि कई दशकों में सरकार से किसी आर्मी चीफ को मिला पहला एक्सटेंशन था। नए आर्मी चीफ की घोषणा में हो रही देरी के बीच सरकार की ओर से बड़ा फैसला लिया गया। लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी 30 जून को अगले सेना प्रमुख के रूप में पदभार संभालेंगे, सरकार ने मंगलवार देर रात घोषणा की। इसके साथ ही वह सभी सभी अटकलें खारिज हो गईं कि इस पद के लिए किसी की वरिष्ठता बढ़ाई जा सकती है।

सरकार ने वरिष्ठता का रखा ध्यान, जनरल द्विवेदी के सामने बड़ी चुनौती

सरकार ने वरिष्ठता के सिद्धांत के आधार पर लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी को 30वें सेना प्रमुख के रूप में नियुक्त किया है। उपेंद्र द्विवेदी को दिसंबर 1984 में 18 जम्मू और कश्मीर राइफल्स में कमीशन दिया गया था और वर्तमान में वे उप प्रमुख हैं। वे ऐसे समय में 12 लाख जवानों वाले बल की बागडोर संभालेंगे, जब भारत 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ तनावपूर्ण सैन्य टकराव में फंसा हुआ है। यह टकराव अपने पांचवें वर्ष में है, जबकि सीमा पार आतंकवाद को सक्रिय रूप से सहायता और बढ़ावा देने के पाकिस्तान के प्रयासों में भी कोई कमी नहीं आई है।

मनोज पांडे को मिला था एक्सटेंशन तब उठे थे ये सवाल

जब सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे को एक्सटेंशन मिला था तब यह सवाल खड़े हुए थे कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) द्वारा विस्तार से मामले में और पेच फंस जाएगा। वजह थी कि अगले सबसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, वाइस चीफ लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी और उनके बाद दक्षिणी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह दोनों 30 जून को रिटायर होने वाले थे। सेना, नौसेना और वायुसेना प्रमुख 62 वर्ष या तीन साल तक, जो भी पहले हो, तब तक सेवा दे सकते हैं। वहीं लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारी 60 वर्ष की आयु में रिटायर हो जाते हैं यदि उन्हें फोर स्टार रैंक के लिए मंजूरी नहीं मिलती।

दो बार मोदी सरकार ने किया था इस नियम को दरकिनार

मोदी सरकार के पहले और दूसरे कार्यकाल में दो बार ऐसे मौके आए जब सरकार ने वरिष्ठता के नियम की अनदेखी की। दिसंबर 2016 में पहली बार लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बक्शी और पी. एम. हारिज को नजरअंदाज कर बिपिन रावत को आर्मी चीफ बनाया गया। दूसरी बार मई 2019 में एडमिरल करमबीर सिंह को नौसेना प्रमुख बनाया गया। इस दौरान बिमल वर्मा को नजरअंदाज किया गया, जो उस वक्त अंडमान और निकोबार कमान के प्रमुख थे। हालांकि सरकार ने इस बार कोई ऐसा फैसला नहीं किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *