आंध्र प्रदेश में TDP की NDA में वापसी तय, चंद्रबाबू की पार्टी भाजपा को लोकसभा की छह और विधानसभा की 20 सीटें देने को तैयार

नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश में एक बार फिर तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) की राजग में वापसी तय मानी जा रही है। दो-तीन दिनों में इसका एलान हो जाएगा। सीटों के बंटवारे के फार्मूले पर बातचीत अंतिम दौर में है। माना जा रहा है कि तेदेपा भाजपा को लोकसभा की छह और विधानसभा की 20 सीटें देने को तैयार है, लेकिन भाजपा इससे अधिक सीटों के लिए दबाव बना रही है।

दो-तीन दिनों में हो सकता है एलान

आंध्र प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ होना है। 2018 में आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जे और बंटवारे के तहत तय पैकेज की मांग पर अड़े तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू राजग से बाहर हो गए थे। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार पिछले हफ्ते चंद्रबाबू नायडू के साथ भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह की मुलाकात में ही समझौते पर सैद्धांतिक सहमति बन गई थी। सीटों के बंटवारे के फाइनल होने पर इसका एलान करना तय किया गया था।

400 पार के नारे को बल भी मिलेगा

तेदेपा की वापसी में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले जनसेना पार्टी के मुखिया पवन कल्याण भी सीटों के बंटवारे के फॉर्मूले पर सहमत हैं, उन्हें लोकसभा की तीन सीटें मिलने जा रही हैं। तेदेपा की राजग में वापसी से भाजपा को आंध्र प्रदेश के साथ-साथ तेलंगाना में भी लाभ मिलने की उम्मीद की जा रही है। तेदेपा राजग की सबसे पुरानी सहयोगी रही है।

तेदेपा की राजग में वापसी के बाद जहां एक ओर वाईएसआर कांग्रेस के जगन मोहन रेड्डी को आगामी चुनावों में कड़ी टक्कर मिल सकती है, वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राजग के 400 पार के नारे को बल भी मिलेगा। दरअसल भाजपा का आंध्र प्रदेश में अपना कोई जनाधार नहीं है और पिछली बार उसे विधानसभा और लोकसभा में एक प्रतिशत से भी कम वोट मिले थे। वहीं भाजपा की सहयोगी रही जनसेना को लगभग छह प्रतिशत वोट लाने में कामयाब रही थी।

बदल सकता है सीटों का समीकरण

275 सीटों वाली राज्य विधानसभा के चुनाव में महज 23 सीटों पर सिमटने के बावजूद तेदेपा का वोट शेयर लगभग 40 प्रतिशत बना हुआ था और 151 सीटें जीतने वाली वाइएसआर कांग्रेस को 50 फीसद वोट मिले थे। लोकसभा में भी वाईएसआर कांग्रेस लगभग 50 प्रतिशत वोट के साथ 25 में से 22 सीटें जीतने में सफल रही थी और तेदेपा तीन सीटों पर सिमट गई थी। वैसे तेदेपा, जनसेना और भाजपा का वोटवैंक लोकसभा के समान ही रहा था। ऐसे में तेदेपा, भाजपा और जनसेना के मिलने से वाईएसआर कांग्रेस के साथ वोट शेयर का अंतर काफी कम हो सकता है।

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