राजस्थान के जयपुर में टैंकर से एलपीजी रिसाव की वजह से आग लगने के बाद जले हुए 30 पीड़ितों ने जयपुर-अजमेर हाईवे से सटे एक फार्महाउस में शरण ली थी। खेत के बीच में एक अस्थायी घर में रहने वाले परिवार ने मदद के लिए चिल्लाने की आवाजें सुनीं। इसके बाद उन्होंने अपने घर के गेट खोले और बाहर का डराने वाला मंजर देखा। परिवार के मुखिया भंवर लाल ने बताया वे कपड़े, पानी और अपने दर्द को कम करने के लिए कुछ मांग रहे थे।’ उन्होंने आगे बताया कि उनकी स्किन जल गई थी और उनमें से कई के मुंह में से आवाज भी नहीं निकल पा रही थी।
कंडोई अस्तपाल करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर था, लेकिन वहां पर पहुंचने के लिए खेत और आठ फीट की दीवार को पार करके जाना पड़ता। आग में झुलसे लोग गंभीर तरीके से घायल थे और उनके लिए दीवार को पार करना आसान नहीं लग रहा था। तभी किसान परिवार के एक सदस्य राकेश सैनी ने मदद करने की ठानी। उसने एक सीढ़ी को लिया और दीवार के सहारे टेक दिया। इस सीढ़ी की वजह से पीड़ितो को नई जिंदगी भी मिली।
लोग दर्द से बुरी तरह चिल्ला रहे थे
सैनी ने बताया, ‘मैंने कम से कम 30 लोगों को आग की लपटों से भागते हुए हमारे खेतों की ओर जाते देखा। वे दर्द से कराह रहे थे और बुरी तरह से चिल्ला रहे थे। इतना ही नहीं उनके कपड़े भी जल चुके थे। मैंने बिना सोचे समझे सीढ़ी उठा ली।’ हालांकि, सैनी को एहसास हुआ कि कई लोग इतने कमजोर थे कि वे खुद सीढ़ी पर चढ़ नहीं सकते थे। एक-एक करके उन्होंने उन सभी को सीढ़ी पर चढ़ने में और दीवार को फांदने में मदद की।
लोगों को जल्दी से हॉस्पिटल पहुंचाया
कंडोई अस्पताल के डॉक्टर रमन कंडोई ने टॉइम्स ऑफ इंडिया को उस भयावह मंजर के बारे में बताया। उन्होंने कहा, ‘लगभग 30 लोग अस्पताल पहुंचे और इलाज की मदद मांग रहे थे। उनकी स्किन जल चुकी थी और वह दर्द से तड़प रहे थे।’ डॉ कंडोई और उनकी पत्नी ने भी तुरंत इलाज करना शुरू कर दिया। डॉक्टर ने बताया कि हम हाईवे से बहुत ही पास में हैं तो हमारे पास में हमेशा दो एंबुलेंस रहती हैं। हमने लोगों को एसएमएस हॉस्पिटल पहुंचाया। उन्होंने कहा कि कम से कम 10 लोग तो 60 फीसदी से ज्यादा जले हुए थे। हमारे पास में एंबुलेंस की कमी थी तो लोगों को जल्दी से अस्तपाल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस ने कई बार चक्कर लगाए।