संदेशखाली का ‘भाई’, फिश मार्केट का दबंग और ‘कुर्सी’ का चहेता… जानें सहजहान शेख को, जिसके गुंडों ने ED अफसरों को किया लहुलूहान

पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखली में शुक्रवार को छापेमारी के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम पर हमला हो गया. इस घटना के बाद ‘भाई’ के नाम से मशहूर सहजहान शेख की चर्चा है, जो टीएमसी के स्थानीय नेता हैं. उन्हें ईडी अधिकारियों पर हमले के पीछे का मास्टरमाइंड माना जा रहा है. ईडी अधिकारियों पर हुए क्रूर हमले ने राजनीतिक गरमाहट पैदा कर दी है. विपक्ष पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग कर रहा है, जबकि राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राज्य सरकार से ‘बर्बरता’ को खत्म करने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि बंगाल कोई ‘बनाना रिपब्लिक’ नहीं है. 

यह घटना तब हुई जब ईडी टीम राशन वितरण घोटाले की जांच के सिलसिले में टीएमसी नेता सहजहान शेख के आवास पर छापा मारने पहुंची. शेख के समर्थकों ने ईडी अधिकारियों और उनके वाहनों को निशाना बनाया. उपद्रवियों ने जब हमला बोला, उस समय ईडी अधिकारियों के साथ सीआरपीएफ के 27 जवान भी मौजूद थे. हमले में 3 ईडी अधिकारियों को गंभीर चोटें आई हैं. उग्र भीड़ ने अधिकारियों का मोबाइल फोन, लैपटॉप, नकदी और वॉलेट भी छीन लिया. भाजपा आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में इस हमले के लिए सहजहान शेख को जिम्मेदार ठहराया और उनका बचाव करने के लिए टीएमसी नेताओं की आलोचना की.

कभी ईंट भट्ठे और मछली मार्केट में काम करते थे शेख

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक सहजहान शेख बांग्लादेश की सीमा के पास स्थित उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली ब्लॉक में मछली व्यवसाय से जुड़े थे. चार भाई-बहनों में सबसे बड़े, शेख ने संदेशखाली में मछली पालन और ईंट भट्टों में एक श्रमिक के रूप में शुरुआत की थी और वर्तमान में वह राज्य के मत्स्य पालन क्षेत्र में बड़े नाम बन चुके हैं. साल 2004 में, उन्होंने ईंट भट्ठा यूनियन के नेता के रूप में राजनीति में कदम रखा. बाद में वह पश्चिम बंगाल में बदलते राजनीतिक परिदृश्य के बावजूद अपनी उपस्थिति बनाए रखते हुए स्थानीय सीपीआई (एम) इकाई में शामिल हो गए. अपने उग्र भाषणों और संगठनात्मक कौशल के लिए जाने जाने वाले सहजहान शेख ने 2012 में टीएमसी नेतृत्व का ध्यान आकर्षित किया.

संदेशखाली का ‘भाई’ नाम से जाने जाते हैं सहज​हान शेख

टीएमसी के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव मुकुल रॉय और उत्तर 24 परगना टीएमसी जिला अध्यक्ष ज्योतिप्रिय मल्लिक के नेतृत्व में, वह पार्टी में शामिल हो गए. टीएमसी सत्ता में आई तो वह ही पावरफुल बने, और मल्लिक के करीबी सहयोगी बन गए. तब से, सत्ता के गलियारों में उनकी हनक लगातार बढ़ी है. शेख को 2018 में, सरबेरिया अग्रघाटी ग्राम पंचायत के उप प्रमुख के रूप में पहचान मिली. वह वर्तमान में संदेशखाली टीएमसी इकाई के अध्यक्ष हैं. टीएमसी में उनका राजनीतिक कद तब और बढ़ गया, जब उन्होंने पिछले साल जिला परिषद की सीट हासिल की. उत्तर 24 परगना जिले के मछली कारोबार की देखरेख वही करते हैं, जो राजनीतिक और आर्थिक दोनों क्षेत्रों में उनकी प्रभावशाली स्थिति को दर्शाता है.

अपनी राजनीतिक भूमिकाओं के अलावा, सहजहान शेख क्षेत्र में पारिवारिक और भूमि विवाद सुलझाने के लिए लोक​प्रिय हैं. शेख के छोटे भाई सक्रिय टीएमसी कार्यकर्ता हैं. स्थानीय लोगों में कुछ शेख को मसीहा और कुछ बाहुबली मानते हैं. उन्हें क्षेत्र में ‘भाई’ के नाम से जाना जाता है. उत्तर 24 परगना और खासकर संदेशखाली में सहजहान शेख के प्रति सम्मान और उनसे भय, दोनों का माहौल है. जून 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद संदेशखाली में भाजपा और टीएमसी कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़पें हुईं और दोनों पक्षों से मौतें भी. इन घटनाओं के साथ सहजहान शेख का नाम भी जुड़ा और उनके खिलाफ एफआईआर भी हुई है. 

अनुब्रत मंडल की तरह होगा सहजहान शेख का हश्र: बीजेपी

अमित मालवीय ने लिखा, ‘कल संदेशखली में ईडी अधिकारियों और मीडिया पर हमले का आदेश देने वाले अपराधी शाहजहाँ शेख का बचाव करने के लिए ममता बनर्जी के प्रवक्ता पूरी ताकत से सामने आए. 1 जनवरी 2024 को एक सार्वजनिक भाषण में, शेख ने दावा किया कि सीबीआई और ईडी उनका ‘बाल’ भी नहीं छू पाएंगे. उन्होंने सभी से प्रार्थना करने को भी कहा ताकि उन्हें गुस्सा न आए, नहीं तो वह बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं के दांत तोड़ देंगे. सहजहान शेख ने खुले तौर पर धमकी दी कि 2024 के बाद वह बीजेपी कार्यकर्ताओं को मार डालेंगे और उनके शरीर की खाल उधेड़ देंगे. शेख सहजहान में भी ममता बनर्जी के पालतू गुर्गे अनुब्रतो मंडल के सभी गुण मौजूद हैं, जो अब जेल में है. शेख का भी वही हश्र होगा, और जल्द होगा’.

 

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