रूसी तेल पर कसा शिकंजा तो इस देश से सस्ता तेल खरीदने लगा भारत, हो रहा फायदा

रूसी तेल पर सख्त होते अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच खबर आई है कि भारत ने एक बार फिर वेनेजुएला से तेल की खरीद शुरू कर दी है. मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया है कि भारतीय रिफाइनरी कंपनियां बिचौलियों के माध्यम से वेनेजुएला से तेल खरीद रही हैं. इसी हफ्ते रिलायंस रिफाइनरी के अधिकारी वेनेजुएला की सरकारी तेल कंपनी PDVSA के अधिकारियों से मिलने वाले हैं. खबर है कि वेनेजुएला भारत को बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड से सस्ते दाम पर अपना तेल बेच रहा है.

अक्टूबर के महीने में अमेरिका ने वेनेजुएला के तेल आयात पर लगे प्रतिबंध को अस्थायी रूप से हटा दिया था. इसके बाद से ही तेल उत्पादक देशों ओपेक के सदस्य वेनेजुएला कई देशों को अपना तेल बेच रहा है. वेनेजुएला बिचौलियों और व्यापारियों के माध्यम से भारी मात्रा में दूसरे देशों को अपना तेल बेच रहा है, खासकर चीन को.

प्रतिबंधों के हटने के बाद वेनेजुएला का पास अपने तेल को बेचने का बड़ा अवसर है लेकिन उसका तेल उत्पादन अस्थिर रहा है जिससे वो चाहकर भी ज्यादा तेल नहीं बेच सकता है.

कम कीमत पर भारत को तेल दे रहा वेनेजुएला

भारत ने आखिरी बार 2020 में वेनेजुएला से कच्चे तेल का आयात किया था. वेनेजुएला से तेल की खरीद भारत के लिए फायदे का सौदा है. भारत फिलहाल सबसे अधिक कच्चा तेल रूस से खरीद रहा है जिसकी आयात लागत काफी ज्यादा है. रूस ने अब अपने तेल पर भारत को दी जानेवाली छूट भी कम कर दी है जिससे भारतीय रिफाइनरों को ज्यादा लाभ नहीं हो रहा है.

भारत और रूस के बीच दूरी अधिक होने से भारत को रूसी तेल का शिपिंग चार्ज काफी ज्यादा देना पड़ता है लेकिन वेनेजुएला से तेल खरीद की लागत सीमित है जो भारत के लिए फायदेमंद है. इसके साथ ही रूसी तेल पर अमेरिकी प्रतिबंध सख्त होते जा रहे हैं जिस कारण रूस से तेल खरीद में मुश्किलें आ रही हैं.

वेनेजुएला से कच्चा तेल खरीद की जानकारी रखने वाले पांच व्यापार सूत्रों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया है कि तीन भारतीय रिफाइनरों ने डिलीवरी एक्स-शिप के आधार पर कच्चे तेल के वैश्विक मानक ब्रेंट से 7.50 डॉलर और 8 डॉलर प्रति बैरल कम कीमत पर वेनेजुएला से लगभग 40 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदा है. इस तेल की डिलीवरी फरवरी में होने वाली है.

40 लाख बैरल की इस तेल खरीद में ट्रेडिंग हाउस Vitol शामिल रहा है जिसने वेनेजुएला का 15 लाख बैरल तेल इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन और पांच लाख बैरल HPCL-मित्तल एनर्जी को बेचा है.

एक अन्य सूत्र ने बताया कि रिलायंस को पहले फ्री-ऑन-बोर्ड आधार पर ब्रेंट से 16 डॉलर प्रति बैरल कम कीमत पर तेल का प्रस्ताव मिला था लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह डील हुई या नहीं.

वेनेजुएला के उप तेल मंत्री ने पिछले महीने कहा था कि उनका देश लगभग 850,000 बैरल प्रति दिन कच्चे तेल का उत्पादन कर रहा है, जिसे जल्द ही 10 लाख बैरल प्रतिदिन तक पहुंचाने का लक्ष्य है. वेनेजुएला बार-बार 10 लाख बैरल प्रतिदिन तेल उत्पादन का लक्ष्य तय करता है लेकिन वो बार-बार इससे चूक जाता है.

एक वक्त रिलायंस वेनेजुएला की सरकारी तेल कंपनी PDVSA का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल खरीददार था. बदले में वो वेनेजुएला को भारी मात्रा में ईंधन का आपूर्ति करता था.

एक सूत्र ने बताया, ‘रिलायंस की टीम ने पहले ही कराकस (वेनेजुएला की राजधानी) में PDVSA के अधिकारियों के साथ बैठकें निर्धारित कर ली हैं. उम्मीद है कि चर्चा में भारत को कच्चे तेल की बिक्री और वेनेजुएला के लिए ईंधन आयात शामिल हो सकता है.’

वेनेजुएला से कितना तेल भारत आ चुका है?

अभी तक वेनेजुएला से तेल का एक भी कार्गो भारत नहीं पहुंचा है, लेकिन नवंबर के अंत में वेनेजुएला के कुछ जहाजों में भारत के लिए तेल की लोडिंग हो गई है. टैंकर ट्रैकिंग डेटा और शिपिंग शेड्यूल के अनुसार, तेल टैंकरों को दिसंबर में भारत के लिए वेनेजुएला से रवाना किया जा सकता है.

रूस से तेल खरीद में बाधा के बीच वेनेजुएला ने जगाई उम्मीद

कुछ दिनों पहले ब्लूमबर्ग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि कच्चे तेल से भरा रूस का एक टैंकर भारत के तट के पास पिछले कई दिनों से भटक रहा है लेकिन उसे गुजरात के वाडिनार बंदरगाह पर ठहरने की इजाजत नहीं दी जा रही है.

रिपोर्ट में कहा गया कि रूसी तेल टैंकर भारत के तट से 1,600 मील दूरी पर भटक रहा है. रूसी तेल जहाज एनएस सेंचुरी दक्षिण कोरिया के जरिए आ रहा था और भारत के बंदरगाह पर रुकने वाला था लेकिन अब पिछले 10 दिनों से समुद्र में ही भटक रहा है. यह जहाज उन पांच जहाजों में शामिल है जिनपर अमेरिका ने नए प्रतिबंध लगाए हैं. 

भारत के नौवहन महानिदेशालय (Directorate Generale of Shipping) ने जानकारी दी थी कि भारत के अधिकारी फिलहाल यह निर्णय नहीं ले पा रहे हैं कि भारत में टैंकर से कच्चा तेल उतारने दिया जाए या नहीं.

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस भारत की शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों की सख्ती भारत के लिए मुश्किलें पैदा कर रही है. भारत पर अमेरिका के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने का भी दबाव है. माना जा रहा है कि इसी कारण रूसी टैंकर को भारतीय बंदरगाह पर उतरने की इजाजत देने में असमंजस की स्थिति बनी हुई है.

भारत अपने इस्तेमाल का 80 फीसद से ज्यादा तेल आयात करता है, ऐसे में रूसी तेल पर अमेरिकी शिकंजा भारत के लिए भी दिक्कतें पैदा कर रहा है. वेनेजुएला के रूप में भारत को एक बेहतरीन विकल्प मिल गया है जिससे अब भारत तेल की खरीद शुरू कर चुका है.

वेनेजुएला से क्यों बंद हुई थी तेल की खरीद?

साल 2019 में वेनेजुएला में निकोलस मादुरो दोबारा राष्ट्रपति चुने गए थे जिसे लेकर अमेरिका और पश्चिमी देशों ने चुनावों में धांधली का आरोप लगाया था. मादुरो के दोबारा राष्ट्रपति बनने पर अमेरिका ने वेनेजुएला पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया और उसकी सरकारी तेल कंपनी को तेल बेचने से रोक दिया था. लेकिन अब अमेरिका ने वेनेजुएला पर लगे प्रतिबंधों में कुछ समय की ढील दे दी है.

दरअसल, अगले साल वेनेजुएला में फिर से चुनाव होने हैं जिसे लेकर सरकार और विपक्ष के बीच एक समझौता हुआ है. समझौते के तहत, अगला चुनाव यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र के अधिकारयों की निगरानी में कराया जाएगा. इस समझौते के बाद अमेरिका ने वेनेजुएला पर लगे प्रतिबंधों को अस्थायी रूप से हटा दिया है.

 

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