अमेरिकी सरजमीं पर खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साजिश रचने का इल्जाम भारत पर लगा है. ये इल्जाम अमेरिका ने लगाया है. अमेरिका ने पन्नू की हत्या की कथित साजिश को नाकाम करने का दावा किया है और इसमें भारत के शामिल होने का आरोप लगाया है.
अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने इस मामले को लेकर न्यूयॉर्क डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में एक अभियोग भी दायर किया है. इसमें निखिल गुप्ता नाम के भारतीय नागरिक और अज्ञात भारतीय सरकारी अधिकारी पर पन्नू की हत्या करने की प्लानिंग करने का आरोप लगाया गया है.
पन्नू अमेरिकी नागरिक है. जबकि भारत सरकार ने उसे आतंकवादी घोषित कर रखा है. भारत में पन्नू के खिलाफ दो दर्जन मामले दर्ज हैं.
इन सबके बीच एक नाम जो चर्चा में आ रहा है, वो है डेमियन विलियम्स का. 43 साल के विलियम्स एक फेडरल प्रोसिक्यूटर हैं और इन्होंने ही अदालत में अभियोग दायर किया है. अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट का चेहरा माने जाने वाले विलियम्स ने कई हाई प्रोफाइल मामलों पर काम किया है.
कौन हैं डेमियन विलियम्स?
डेमियन विलियम्स न्यूयॉर्क के सदर्न डिस्ट्रिक्ट के अटॉर्नी हैं. वो अमेरिकी सरकार के लिए मैनहट्टन में सबसे ताकतवर वकीलों में से एक हैं.
सदर्न डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के अटॉर्नी बनने वाले विलियम्स पहले अश्वेत व्यक्ति हैं. 1789 में सदर्न डिस्ट्रिक्ट का गठन होने के बाद से कोई भी अश्वेत व्यक्ति यहां का अटॉर्नी नहीं बना है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की ओर से नॉमिनेट किए जाने के बाद अक्टूबर 2021 में सीनेट ने उनके नाम को मंजूरी दी थी. पद संभालने के बाद विलियम्स ने कहा था, हमारे फाइनेंशियल मार्केट से भ्रष्टाचार को खत्म करना उनकी प्राथमिकताओं में से एक है.
अटॉर्नी होने के नाते विलियम्स उन सभी क्रिमिनल और सिविल मामलों की मुकदमेबाजी लड़ते हैं, जिनमें अमेरिकी सरकार का हित होता है.
डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के मुताबिक, विलियम्स के स्टाफ में करीब 450 वकील, स्पेशल एजेंट, पैरालीगल और बाकी सपोर्ट स्टाफ है. विलियम्स अटॉर्नी जनरल एडवाइजरी कमेटी (AGAC) के अध्यक्ष भी हैं. ये उन वकीलों की कमेटी है जो अटॉर्नी जनरल को सलाह देती है.
जमैका से अमेरिका आया था परिवार
विलियम्स का जन्म ब्रुकलीन में हुआ था. 1970 के दशक में उनका परिवार जमैका से अमेरिका आकर बस गया था. विलियम्स का ज्यादातर बचपन अटलांटा में ही बीता. उनके पिता ने मेडिसिन की पढ़ाई की थी. जबकि, उनकी मां नर्सिंग की स्टूडटें थीं.
विलियम्स हार्वर्ड और येल यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हैं. उन्होंने हार्वर्ड से इकोनॉमिक्स में बैचलर डिग्री हासिल की है. इसके अलावा उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल रिलेशंस में मास्टर्स डिग्री ली है.
वकालत के साथ-साथ विलियम्स कुछ समय तक राजनीति में रहे हैं. 2004 में उन्होंने जॉन कैरी का राष्ट्रपति चुनाव के कैंपेन में फील्ड ऑर्गनाइजर के तौर पर भी काम किया है.
कई हाई प्रोफाइल मामले लड़ चुके हैं विलियम्स
न्यूयॉर्क के सदर्न डिस्ट्रिक्ट के अटॉर्नी होने के नाते विलियम्स ने बीते दो साल में कई प्रोफाइल मामलों को हैंडल किया है. हालांकि, पन्नू वाला मामला इतना आसान नहीं होगा, क्योंकि ये भारत और अमेरिका के लिए राजनयिक चुनौती है.
इस मामले पर विलियम्स का कहना है, ‘जैसा कि आरोप है कि भारत से ही न्यूयॉर्क में भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक की हत्या की साजिश रची गई. हम अमेरिकी धरती पर अमेरिकी नागरिक की हत्या की कोशिश को बर्दाश्त नहीं करेंगे.’
हाल ही में अमेरिकी फर्म FTX के फाउंडर सैम बैंकमैन-फ्राइड को मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के मामले में दोषी करार दिया गया है. सैम बैंकमैन को क्रिप्टो किंग भी कहा जाता था. उनके खिलाफ भी डेवियन विलियम्स ने ही केस लड़ा था. विलियम्स ने इसे अमेरिकी इतिहास की सबसे बड़ी वित्तीय धोखाधड़ी बताया था.
पन्नू को लेकर क्या आरोप लगाए हैं?
– डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में दाखिल अभियोग के मुताबिक, निखिल गुप्ता पर एक लाख डॉलर कैश के बदले न्यूयॉर्क में एक अमेरिकी नागरिक की हत्या की सुपारी देने के आरोप लगाए गए हैं.
– हालांकि, अभियोग में अमेरिकी नागरिक का नाम नहीं बताया गया था. लेकिन हफ्तेभर पहले ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि अमेरिकी सरकार ने गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साजिश को नाकाम कर दिया था. और इसे लेकर भारत सरकार को चेतावनी भी जारी की थी.
– अभियोग में आरोप लगाया है कि एक भारतीय सरकारी अधिकारी ने गुप्ता को इस हत्या के लिए हायर किया था. इसमें सरकारी अधिकारी का नाम नहीं लिया गया है. उसे CC-1 नाम दिया गया है.
– अभियोग के मुताबिक, मई 2023 की शुरुआत में CC-1 ने एन्क्रिप्टेड ऐप्लीकेशन के जरिए कई बार निखिल गुप्ता से बात की. निखिल गुप्ता पर गुजरात में एक क्रिमिनल केस भी दर्ज है. CC-1 ने इस केस को रफा-दफा करने के बदले में उसे न्यूयॉर्क में टारगेट की हत्या करने को कहा. इस साजिश को अंजाम देने के मकसद से गुप्ता ने नई दिल्ली में CC-1 से मुलाकात भी की थी.
CC-1 ने भारत से ही अमेरिकी सरजमीं पर एक वकील और पॉलिटिकल एक्टिविस्ट की हत्या की साजिश रचने का निर्देश दिया था. 6 मई 2023 को उसने निखिल गुप्ता को मैसेज किया था और अपना नाम CC-1 बताया था.
– गुप्ता ने अपने फोन में उसका नंबर CC-1 नाम से सेव किया. थोड़ी देर बाद CC-1 ने गुप्ता को मैसेज किया कि एक टारगेट ‘न्यूयॉर्क’ और दूसरा ‘कैलिफोर्निया’ में है.
– अभियोग के मुताबिक, 23 मई 2023 को CC-1 ने गुप्ता को फिर मैसेज किया और कहा कि उसने उसके गुजरात वाले मामले को लेकर बॉस से बात की है और उसे अब कोई दोबारा परेशान नहीं करेगा. उसने ये भी कहा कि वो उसकी मीटिंग ‘डीसीपी’ से भी करवाएगा.
– अभियोग में कहा गया है कि CC-1 के निर्देश पर गुप्ता ने मर्डर के लिए एक किलर की तलाश शुरू की. इस दौरान गुप्ता की मुलाकात एक शख्स से हुई. इस शख्स ने गुप्ता को एक हिटमैन (सुपारी किलर) से मिलवाया. लेकिन असल में ये दोनों ही अमेरिकी सरकार के लिए काम करने वाले खुफिया सोर्स थे.
इसके बाद CC-1 ने खुफिया एजेंट को ही हिटमैन मानते हुए उसे ‘टारगेट’ की हत्या के लिए एक लाख डॉलर (83 लाख रुपये) की सुपारी देने पर राजी हुए. उसे मैनहट्टन में 15 हजार डॉलर एडवांस में दे भी दिए गए.
– अभियोग में निखिल गुप्ता को ‘अंतरराष्ट्रीय नशीले पदार्थों का तस्कर’ बताया गया है. इस हत्या की साजिश रचने के इल्जाम में गुप्ता को अमेरिका के अनुरोध पर जून 2023 में चेक रिपब्लिक से गिरफ्तार किया गया था.
भारत क्या कर रहा है?
अमेरिका के इन आरोपों को भारत ने ‘मैटर ऑफ कंसर्न’ यानी ‘चिंता का विषय’ बताया है. और कहा कि हाईलेवल कमेटी इस पूरे मामले की जांच करेगी.
भारत के इस फैसले का अमेरिका ने स्वागत किया है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि भारत सरकार ने कहा है कि वो जांच कर रही है. ये एक अच्छा और उचित कदम है. और हम इस जांच के नतीजे देखने के लिए उत्सुक हैं.