मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे. लेकिन इससे पहले एग्जिट पोल के नतीजे आ गए हैं. एग्जिट पोल में कमल खिलता नजर आ रहा है. आजतक-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक, मध्य प्रदेश में बीजेपी प्रचंड बहुमत से वापसी करती हुई नजर आ रही है. एग्जिट पोल के अनुसार सूबे में बीजेपी को 230 में से 140 से 162 सीटें मिल सकती हैं, जबकि कांग्रेस को 68 से 90 सीटें मिलने का अनुमान है. एग्जिट पोल में बीजेपी की हैवीवेट उम्मीदवारों को चुनाव में उतारने की रणनीति सफल होती दिख रही है.
दरअसल, बीजेपी ने एमपी विधानसभा चुनाव में सीएम चेहरे का ऐलान नहीं किया. इसके साथ रणनीति के तहत 3 केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते को विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया. इसके अलावा सांसद राकेश सिंह, गणेश सिंह, राव उदय प्रताप सिंह, रीति पाठक को भी टिकट दिया. इतना ही नहीं संगठन के बड़े चेहरे कैलाश विजयवर्गीय कैलाश विजयवर्गीय को भी टिकट दिया था. इन नेताओं को उम्मीदवार बनाकर बीजेपी की कोशिश न सिर्फ इनकी सीटों पर प्रभाव डालने की थी, बल्कि पूरे क्षेत्र में पार्टी के लिए माहौल बनाना चाहती थी. आईए एग्जिट पोल के नतीजों में देखते हैं कि ये हैवीवेट उम्मीदवार अपने अपने क्षेत्रों में बीजेपी को कितनी सफलता दिलाने में सफल रहे…
नरेंद्र सिंह तोमर के चंबल में क्या रहा हाल?
नरेंद्र सिंह तोमर को इस बार मुरैना की दिमनी सीट से उतारा गया था. यह सीट चंबल क्षेत्र में आती है. नरेंद्र सिंह ग्वालियर से दो बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं. वे अभी मुरैना से सांसद भी हैं. एग्जिट पोल में बीजेपी को चंबल में फायद होते दिख रहा है. चंबल की 34 सीटों में से बीजेपी को 19, कांग्रेस को 14 सीटें मिलती दिख रही हैं. अन्य के खाते में एक सीट जा रही है. 2018 चुनाव में बीजेपी ने यहां सिर्फ 7, कांग्रेस ने 26 सीटें जीती थीं.
विजयवर्गीय को उतारना मालवा में कितना फायदेमंद?
बीजेपी ने मालवा की इंदौर एक विधानसभा सीट से 6 बार के विधायक और मंत्री रहे भाजपा के स्टार प्रचारक कैलाश विजयवर्गीय को उतारा था. मालवा की 55 सीटों में बीजेपी को 41, कांग्रेस को 14 सीटे मिलती दिख रही हैं. 2018 चुनाव में यहां बीजेपी को 26, कांग्रेस को 28 और अन्य को 1 सीट मिली थी.
महाकौशल में 4 सांसदों को उतारने का बीजेपी को क्या फायदा मिला?
प्रहलाद सिंह पटेल को बीजेपी ने महाकौशल की नरसिंहपुर सीट से चुनाव लड़ाया है. यहां से उनके भाई जालम सिंह सिटिंग विधायक हैं. प्रहलाद पटेल पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े हैं. फग्गन सिंह कुलस्ते भी इसी क्षेत्र से आते हैं. आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते 33 साल बाद विधानसभा चुनाव लड़े. फग्गन को निवास सीट से उतारा है. इससे पहले निवास सीट से उनके भाई राम प्यारे चुनाव लड़े थे और हार गए थे. फग्गन 6 बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा सांसद रहे. अभी मंडला सीट से सांसद हैं. इतना ही नहीं बीजेपी ने जबलपुर से सांसद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह और राव उदय प्रताप सिंह को भी विधानसभा में उतारा है. राकेश सिंह को जबलपुर पश्चिम से तो होशंगाबाद सांसद राव उदय प्रताप सिंह को नरसिंहपुर की गाडरवारा सीट से टिकट दिया गया.
महाकौशल की 47 सीटों में बीजेपी को 32, कांग्रेस को 15 सीटें मिलती दिख रही हैं. पिछले चुनाव की बात करें तो बीजेपी को यहां 18, कांग्रेस को 28, जबकि अन्य को 1 सीट मिली थी.
बघेलखंड में बीजेपी को नहीं मिला फायदा
बघेलखंड ऐसा क्षेत्र है, जहां बीजेपी को सांसदों को उतारने का फायदा होता नहीं दिख रहा है. यहां बीजेपी ने चार बार के सांसद गणेश सिंह को सतना विधानसभा सीट से टिकट दिया था. जबकि सीधी से सांसद रीति पाठक को सीधी विधानसभा से टिकट दिया. हालांकि, बीजेपी की रणनीति का इस क्षेत्र में नुकसान होता दिख रहा है. बघेलखंड की 30 सीटों में से बीजेपी को 18, कांग्रेस को 11 और अन्य को 1 सीट मिलती दिख रही है. 2018 चुनाव में बीजेपी को यहां से 24, जबकि कांग्रेस को 6 सीटें मिली थीं.
अन्य इलाकों का क्या रहा हाल?
निमाड़ की 18 सीटों में से 12 बीजेपी को 6 कांग्रेस को मिल रही हैं. पिछली बार बीजेपी को यहां 6, कांग्रेस 10 और अन्य को दो सीटें मिली थीं. वहीं, भोपाल की 20 सीटों में बीजेपी को 12, कांग्रेस को 8 सीटें मिली हैं. पिछली बार बीजेपी को 14, जबकि कांग्रेस को 6 सीटें मिली थीं.