बांग्लादेशी हिंदुओं पर अत्याचार के खिलाफ उठाई थी आवाज, छिन गया सम्मान

यूके में दो ब्रिटिश भारतीय कम्युनिटी की बड़ी हस्तियों से उन के पद छिन लिए गए हैं. कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्य रामी रेंजर और हिंदू काउंसिल यूके मैनेजिंग ट्रस्टी के अनिल भनोट से उन का सम्मान वापस ले लिया गया है. करोड़पति रामी रेंजर को सीबीई (कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर) के पद से हटाया गया है. वहीं, अनिल भनोट को ओबीई (ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर) के पद से हटाया गया है.

इसी के बाद दोनों ही हस्तियों से बकिंघम पैलेस में अपना प्रतीक चिन्ह लौटाने के लिए कहा जाएगा. अनिल भनोट को सामुदायिक एकजुटता को बढ़ावा देने के लिए ओबीई के पद से सम्मानित किया गया था. पद छिने जाने की वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ दर्ज शिकायत में इस्लामोफोबिया का आरोप लगाया गया है.

अनिल भनोट पर क्या है आरोप?

अनिल भनोट ने कहा कि साल 2021 में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा को लेकर उन्होंने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट किए थे. उनके इन्हीं पोस्ट को लेकर इस्लामोफोबिया का आरोप लगाया गया है. हालांकि, उन्होंने कहा कि इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और चैरिटी कमीशन ने उन्हें इस मामले में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के आधार पर बरी कर दिया था, इस के बावजूद भी वह इस बात को नहीं जानते हैं कि जब्ती समिति को इस बात की सूचना किसने दी थी.

रामी रेंजर के खिलाफ क्या है आरोप?

रामी रेंजर के खिलाफ शिकायत है कि जब बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री “इंडिया: द मोदी क्वेश्चन” प्रकाशित हुई थी, तब वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बचाव में उतरे थे और उन्होंने डॉक्यूमेंट्री की आलोचना की थी. साथ ही भारत में प्रतिबंधित अमेरिका स्थित समूह सिख्स फॉर जस्टिस को लेकर भी एक आरोप है. उन के खिलाफ एक अन्य शिकायत साउथहॉल गुरुद्वारे के एक ट्रस्टी के बारे में की गई टिप्पणियों से संबंधित है.

अनिल भनोट ने शिकायतों को लेकर क्या कहा?

अनिल भनोट ने खुद पर लगे आरोपों को नकारा है. उन्होंने कहा, जब बांग्लादेश में मंदिर तोड़े गए थे और हिंदूओं पर हमला हुआ था, तब बीबीसी ने उसको कवर नहीं किया था और मुझे लगा था कि किसी को तो इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए. मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है और मैंने सम्मान सिस्टम को बदनाम नहीं किया है. साथ ही उन्होंने आगे कहा, इंग्लैंड में अभिव्यक्ति की आजादी इतिहास बन चुकी है. मुझे इस पर दुख है.

रामी रेंजर लेंगे लीगल एक्शन

रामी रेंजर को साल 2016 में सीबीई के सम्मान से सम्मानित किया गया था. उन्हें ब्रिटिश बिजनेस और कम्युनिटी सर्विस के लिए यह सम्मान दिया गया था. रेंजर ने सम्मान छिने जाने पर कहा, मुझे सीबीई के पद की फिक्र नहीं है, लेकिन मुझे लगता है कि बोलने की आजादी को कम कर दिया गया है और वो अब गलत लोगों को सम्मानित कर रहे हैं. साथ ही रामी रेंजर ने कहा, वो इस मामले में कानून की मदद लेंगे और वो
ज्यूडिशियल रिव्यू करने और मामले को यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय में ले जाने का प्लान बना रहे हैं.

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