बीजिंग: भारत अपनी नौसैनिक ताकत को बढ़ाने के लिए तीसरे विमानवाहक पोत को बनाने जा रहा है। इस बात से चीन को मिर्ची लग गई है। चीन ने अपने कागजी ड्रैगन ग्लोबल टाइम्स के जरिए भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला है। चीन पर एकछत्र राज करने वाली चीनी कम्युनिस्ट पार्टी जो बात खुलेआम नहीं कह सकती, उसे वह ग्लोबल टाइम्स के जरिए सामने रखती है। इसी ग्लोबल टाइम्स ने भारत के तीसरे विमानवाहक पोत को लेकर खूब बयानबाजी की है। उसने उत्तराखंड में हुए सुंरग हादसे को विमानवाहक पोत निर्माण से जोड़कर तंज भी कसा है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इस पिट्ठू अखबार ने लिखा है कि चीन किसी भी देश का दुश्मन नहीं है, जब तक उसे उकसाया नहीं जाए। उसने अपने नए नवेले एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान से भी भारत के विमानवाहक पोतों की तुलना की है।
ग्लोबल टाइम्स ने भारत पर किया ‘कटाक्ष’
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि भारत कथित तौर पर चीन का मुकाबला करने के लिए अपना दूसरा स्वदेशी विमान वाहक हासिल करने के लिए तैयार है। उसने चीनी सैन्य विश्लेषकों के हवाले से लिखा कि अपने खुद के विमानवाहक पोत को बनाने में सक्षम होना एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन चीन का मुकाबला करने के लिए उसका निर्माण करना भारत के ‘सुरंग दृष्टि’ को दर्शाता है। ग्लोबल टाइम्स ने ब्लूमबर्ग का हवाला देते हुए कहा कि भारत की रक्षा अधिग्रहण परिषद से शुक्रवार को देश के दूसरे स्वदेशी विमान वाहक पोत के अधिग्रहण को मंजूरी मिलने की उम्मीद है, जिसकी कीमत लगभग 4.8 बिलियन डॉलर है।
चीन को बताया भारत का दोस्त
ग्लोबल टाइम्स ने बीजिंग में मौजूद एक सैन्य विशेषज्ञ के हवाले से लिखा, “दुनिया में बहुत से देश स्वतंत्र रूप से विमानवाहक पोत नहीं बना सकते हैं, इसलिए इस लिहाज से भारत ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। भारत अपनी नौसेना विकसित कर सकता है, लेकिन अगर उसकी रणनीति चीन पर केंद्रित है, तो उसके पास सुरंग बनाने की दृष्टि है। विशेषज्ञ ने कहा, चीन एक राष्ट्रीय रक्षा नीति अपनाता है जो प्रकृति में रक्षात्मक है, और इसलिए जब तक भारत चीन को उकसाता नहीं है, चीन भारत का दुश्मन नहीं है।
हिंद महासागर में चीनी नौसेना की मौजूदगी पर यह कहा
चीनी विशेषज्ञ ने दावा किया कि हिंद महासागर में पीएलए नौसेना की उपस्थिति भारत पर लक्षित नहीं है, बल्कि शांतिपूर्ण उद्देश्यों और एस्कॉर्ट कर्तव्यों सहित अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक सुरक्षा सामान प्रदान करने, वाणिज्यिक समुद्री मार्गों की सुरक्षा और मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए है, जिससे भारत को भी लाभ होता है। चीन नियमित रूप से अदन की खाड़ी और सोमालिया के जल क्षेत्र में नियमित एस्कॉर्ट मिशन पर नेवी एस्कॉर्ट टास्क फोर्स भेजता है। प्रत्येक टास्क फोर्स में आमतौर पर एक विध्वंसक, एक फ्रिगेट और एक री-सप्लाई शिप शामिल होता है, और एक चीनी विमानवाहक पोत को अभी तक हिंद महासागर में जाना बाकी है।
ग्लोबल टाइम्स ने चीन के फुजियान से की तुलना
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के नए विमानवाहक पोत पर फ्रांसीसी राफेल लड़ाकू जेट सहित कम से कम 28 लड़ाकू जेट और हेलीकॉप्टर को तैनात किए जाने की उम्मीद है। यह विमानवाहक पोत 45,000 टन पानी विस्थापित करेगा। ग्लोबस टाइम्स ने भारत के प्रस्तावित विमानवाहक पोत की तुलना अपने नए नवेले एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान से करते हुए कहा कि चीन का दूसरा घरेलू रूप से विकसित विमानवाहक पोत और कुल मिलाकर तीसरा पोत फुजियान को पहले ही जून 2022 में लॉन्च किया जा चुका है। फुजियान 80,000 टन से अधिक विस्थापन कर सकता है। यह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापुल्ट से लैस है जो स्की-जंप रैंप की तुलना में भारी युद्धक विमानों को तेजी से लॉन्च कर सकता है, जिससे यह भारत की योजना से कहीं बेहतर विमानवाहक बन जाता है।
आईएनएस विक्रांत को बताया शैंडोंग से कमजोर
ग्लोबल टाइम्स ने शेखी बघारते हुए लिखा कि भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक आईएनएस विक्रांत का चीन के पहले स्वदेशी विमानवाहक शेडोंग से कोई मुकाबला नहीं है। आईएनएस विक्रांत आज भी विश्वसनीय परिचालन क्षमता तक नहीं पहुंच पाया है, हालांकि इसका निर्माण शेडोंग की तुलना में बहुत पहले शुरू हुआ था, जबकि शेडोंग ने इस साल पश्चिम प्रशांत क्षेत्र में कई सुदूर समुद्री अभ्यासों में अपनी लड़ाकू क्षमताओं का प्रदर्शन किया है। हालांकि, ग्लोबल टाइम्स यहां यह बताना भूल गया कि चीन ने अपने पहले विमानवाहक पोत को यूक्रेन से कबाड़ में खरीदकर और रूस से तकनीक चुराकर विकसित किया था।