इस्लामाबाद: पाकिस्तान और तालिबान के बीच तहरीक-ए- तालिबान यानि टीटीपी आतंकियों को लेकर तनाव गहराता जा रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकर की धमकी के बाद भी तालिबान ने साफ कर दिया है कि वह टीटीपी के खिलाफ सैन्य कार्रवाई नहीं करने जा रही है। यही नहीं अब तालिबान ने पाकिस्तान के पाले में गेंद डालते हुए कहा है कि वह टीटीपी समस्या का वैकल्पिक हल बताए। पाकिस्तान और उसके पालतू रहे तालिबान के बीच टीटीपी आतंकियों को लेकर पिछले कई महीने से तनाव बना हुआ है। पाकिस्तान की सरकार धमकी दे चुकी है कि अगर तालिबान ने कार्रवाई नहीं की तो वह अफगानिस्तान के अंदर सैन्य कार्रवाई करेगी।
पाकिस्तान की इस धमकी के भी तालिबान पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। यही नहीं पाकिस्तान ने मास्टरस्ट्रोक चलते हुए 17 लाख अफगान शरणार्थियों को देश से चले जाने के लिए कहा है। यही नहीं लाखों की तादाद में अफगान शरणार्थियों को जबरन अफगानिस्तान भेज दिया गया है। उनकी पाकिस्तान के अंदर मौजूद संपत्ति को जब्त कर लिया गया है। इसको लेकर तालिबान और पाकिस्तान के बीच तनाव काफी गहरा गया है। तालिबानी रक्षा मंत्री और मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब से लेकर कई तालिबानी मंत्री पाकिस्तान को चेतावनी दे चुके हैं।
टीटीपी के खिलाफ क्यों ऐक्शन नहीं ले रहा तालिबान?
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने एक बार फिर से तालिबान को मनाने की कोशिश की लेकिन यह विफल रही। टीटीपी पर कार्रवाई को लेकर तालिबानी सरकार तैयार नहीं हुई। पाकिस्तान चाहता है कि तालिबानी सेना टीटीपी के खिलाफ ऐक्शन ले लेकिन तालिबानी शासन इस समस्या के हल के लिए वैकल्पिक तरीके पर पूरी तरह से डटे हुए हैं। अफगान मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक तालिबानी दो कारणों से टीटीपी के खिलाफ ऐक्शन नहीं ले रहे हैं। पहला- टीटीपी आतंकियों ने अमेरिका के खिलाफ उनके साथ मिलकर लड़ाई लड़ी थी।
दूसरा- तालिबान का मानना है कि टीटीपी उनके ‘अतिथि’ हैं और अफगान परंपरा के मुताबिक ‘अतिथि’ के खिलाफ कार्रवाई नहीं किया जा सकता है। यही नहीं तालिबान को यह भी डर सता रहा है कि अगर टीटीपी के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई तो उसके सदस्य आईएसआईएस में चले जाएंगे जिसे तालिबानी अपना दुश्मन नंबर एक मानते हैं। तालिबान ने अपनी इन वजहों के बारे में पाकिस्तान को बता दिया है। वहीं पाकिस्तान का कहना है कि वह इस नीति को स्वीकार नहीं करता है। तालिबान चाहता है कि पाकिस्तान और टीटीपी के बीच फिर से बातचीत शुरू हो लेकिन जनरल बाजवा की जगह पर जनरल असीम मुनीर के सेना प्रमुख बनने के बाद इस नीति को पलट दिया गया था। टीटीपी के पाकिस्तानी सेना पर हमले में 60 फीसदी की वृद्धि हुई है।