इस्लामाबाद: एक तरफ जब पूरी दुनिया का ध्यान इजरायल और हमास के युद्ध पर है, तब पाकिस्तान के साथ अफगानिस्तान का तनाव बढ़ रहा है। तालिबानी नेता सीधे तौर पर पाकिस्तान को धमकी दे रहे हैं। दरअसल पाकिस्तान ने अक्टूबर में घोषणा की थी कि वह 17 लाख विदेशी नागरिकों को बाहर करेगा, जो बिना दस्तावेज के देश में रह रहे हैं। पाकिस्तान सीधे तौर पर यहां रहने वाले अफगान नागरिकों को बाहर करना चाह रहा था। उसने अब तक हजारों लोगों को वापस भी भेजा है, जिसके बाद अब अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच संबंध खराब हो रहे हैं।
अफगान तालिबान के वरिष्ठ नेता कलीमुल्ला अफगान ने कहा, ‘पंजाब (पाकिस्तान) एक फांसीवादी शासन है, जो जिहाद की तो बात करता है, लेकिन असल में अमेरिका का पिट्ठू है। अंग्रेज जिन्ना को 4 कुत्तों के साथ लाए और उन्हें पाकिस्तान दे दिया। बांग्लादेशियों ने खुद को इनसे आजाद करा लिया। अब अफगान शरणार्थियों को कब्जे वाले पश्तूनिस्तान से निकाला जा रहा है।’ इसके अलावा उन्होंने कहा कि मैं फिर कहता हूं कि सभी तालिबानी नेता पाकिस्तान के गुलाम नहीं हैं।
पाकिस्तान लगा रहा फाइन
तालिबान जब 2021 में सत्ता में आया, तब हजारों की संख्या में लोग अफगानिस्तान छोड़कर पाकिस्तान आ गए थे। जिन लोगों का वीजा खत्म हो गया है, उन पर पाकिस्तान फीस भी लगा रहा है। पाकिस्तान शरणार्थी सम्मेलन का सदस्य नहीं है। इसके अलावा उसने कहा कि वह अपनी सीमा में रहने वाले किसी भी अफगान को शरणार्थी के रूप में मान्यता नहीं देता। एक्सपर्ट्स का कहना है कि पाकिस्तान का यह कदम अमानवीय होने के अलावा भाईचारे के उस दावे के विपरीत है, जिसके मुताबिक इस्लामाबाद अफगानों को अपना भाई बताता है।
पाकिस्तान रोके निष्कासन’
जिन शरणार्थियों को निकाला जा रहा है, उनमें से कुछ ने अब तक पूरा जीवन पाकिस्तान में बिताया है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने अफगान नागरिकों को निकालने पर चिंता जाहिर की और इसे रोकने को कहा है। अफगानिस्तान स्थित खामा प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक यूएन ने पाकिस्तानी सरकार को यह निष्कासन कम से कम ठंड तक रोकने को कहा है। शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त ने निष्कासन रोकने का आग्रह किया है।