खालिस्तानी कट्टरपंथियों और ट्रूडो सरकार को अदालत ने दिखाया आईना, मंदिर की सुरक्षा के लिए दिया आदेश

कनाडा की एक अदालत ने हिंदुओं के मंदिर की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा आदेश दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक, ओंटारियो सुपीरियर कोर्ट ऑफ जस्टिस ने टोरंटो में एक मंदिर को निषेधाज्ञा दी है, जिसके तहत प्रदर्शनकारियों को आज (30 नवंबर 2024) को मंदिर के परिसर के 100 मीटर के दायरे में इकट्ठा होने से रोका गया है.

दरअसल, आज मंदिर परिसर में एक कांसुलर कैंप का आयोजन होगा. अदालत के इस आदेश का हिंदू संगठनों ने स्वागत किया है. कैनेडियन ऑर्गेनाइजेशन फोर हिंदू हेरिटेज एजुकेशन ने इस फैसले पर कहा, “यह एक मिसाल कायम करने वाला फैसला है जो सभी कनाडाई राजनेताओं, पुलिस बलों और, सबसे महत्वपूर्ण रूप से मंदिरों में होने वाले कार्यक्रमों में विरोध प्रदर्शन करने की योजना बना रहे खालिस्तानियों को एक सख्त मैसेज भेज रहा है.”

पील पुलिस और ब्रैम्पटन के मेयर पर भी उठाया सवाल

इस संगठन ने आगे कहा, “पील पुलिस और पैट्रिक ब्राउन (मेयर ब्रैम्पटन) ने मंदिरों को दी गई धमकियों को कितनी बुरी तरह से संभाला है, इसे देखते हुए यह एक बड़ा सबक है कि अधिकारी किस तरह से पूजा स्थलों पर घृणा अपराधों और हिंसा को रोक सकते हैं. हम लक्ष्मी नारायण मंदिर की इस न्यायालयी निषेधाज्ञा को हासिल करने के उनके प्रयासों की सराहना करते हैं और आशा करते हैं कि उनका कार्यक्रम शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न होगा. हम मंदिर कार्यक्रम के लिए सुरक्षित योजना बनाने में उनके समर्थन के लिए टोरेंटो पुलिस की सराहना करते हैं.”

इससे पहले भी खालिस्तानी कट्टरपंथी कर चुके हैं हमला

रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने सुनवाई के दौरान पाया कि अगर वह निषेधाज्ञा देने से इनकार करती है तो नुकसान होने की अधिक आशंका है. मंदिर में वाणिज्य दूतावास शिविर को पहले से ही खालिस्तान समर्थक समूहों द्वारा निशाना बनाया जा चुका है, जिसमें अलगाववादी सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) भी शामिल है, जिसने टोरंटो में भारत के वाणिज्य दूतावास की ओर से वहां वाणिज्य दूतावास शिविर आयोजित करने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है.

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