मुद्दों से ज्यादा चर्चा इस बात की, कौन बनेगा CM? भाजपा के पास वसुंधरा के साथ दावेदारों की नहीं कमी

सीकर। कुछ दिन पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी जब जयपुर आए थे, तब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने फूलों के बड़े-बड़े बुके भेंटकर उनकी अगुआनी की थी। गहलोत के हाथों से बुके लेकर राहुल गांधी ने पायलट की पीठ पर हाथ रखा, तो कांग्रेस की राजनीति को समझने वाले सब कुछ समझ गए।

भाजपा ने ऐसा कोई इशारा नहीं किया, जिसमें अंदाजा लगाया जा सके कि राजस्थान में उनकी पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा। भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने झालावाड़ में एक जनसभा के दौरान अपने पुत्र व सांसद दुष्यंत सिंह के भाषण और उस पर जनता की वाहवाही से गदगद होकर कह दिया था कि अब मैं रिटायर हो सकती हूं। उनका यह भाषण सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ।

क्या रिटायर हो रहीं वसुंधरा?

अगले दिन ही वसुंधरा ने झालारापाटन से नामांकन दाखिल करने के बाद स्पष्ट कर दिया कि मैं रिटायर होने वाली नहीं हूं। मैंने दुष्यंत सिंह की राजनीतिक परिपक्वता से खुश होकर मां के नाते कहा था कि वह झालावाड़-बारां में अच्छा काम कर रहे हैं। यानी मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी बरकरार रखी।

भाजपा से मुख्यमंत्री का चेहरा कौन?

राजस्थान के रण में जहां भी जाओ, वहीं यह सवाल एक सहज जिज्ञासा के रूप में शुरू से ही पूछा जा रहा है कि भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा। यह सवाल इसलिए ज्यादा जोर पकड़ रहा है, क्योंकि भाजपा ने एक सोची-समझी रणनीति के तहत मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया है। यहां मुद्दों से ज्यादा चर्चा इस बात की है कि प्रदेश की सत्ता कौन संभालने जा रहा है।

इन नामों पर हो रही खूब चर्चा

भाजपा के पास मुख्यमंत्री के लिए चेहरों की कमी नहीं है। इसमें पहला नाम लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का लिया जा रहा है, जो कोटा से हैं। पहली बार 2003 में कोटा दक्षिण से विधायक बने थे और कांग्रेस के दिग्गज नेता शांति धारीवाल को हरा चुके हैं। 2003 से 2008 के दौरान वसुंधरा के मुख्यमंत्री काल में वह संसदीय सचिव रहे हैं। 2008 और 2013 में विधायक बनने के बावजूद वसुंधरा ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया था।

राजनीति के गलियारों में दूसरा बड़ा नाम जयपुर के पूर्व राजपरिवार की बेटी दीया कुमारी का लिया जा रहा है, जिनके पिता ब्रिगेडियर भवानी सिंह कांग्रेस से जुड़े रहे और उन्हें भाजपा के गिरधारी लाल भार्गव ने हराया था। दीया कुमारी जयपुर के अंतिम महाराजा और राजस्थान के राज प्रमुख रहे मान सिंह द्वितीय और गायत्रीदेवी की पोती हैं। पार्टी ने इस बार उन्हें उस विद्याधर नगर से टिकट देकर चौंका दिया, जहां भैरो सिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी तीन बार से लगातार विधायक बन रहे थे।

कौन हैं बाबा बालकनाथ?

हरियाणा के रोहतक से संबंध रखने वाले बाबा बालकनाथ भी राजस्थान में भाजपा का मुख्यमंत्री का चेहरा हो सकते हैं। पार्टी ने उन्हें अलवर जिले की तिजारा सीट से उतारा है। रोहतक स्थित बोहर नाथ आश्रम के महंत के नाते बाबा बालकनाथ को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का करीबी माना जाता है। वह सांसद होने के साथ ही धर्मगुरु, लेकिन जाति से यादव (ओबीसी) हैं।

महंत चांदनाथ ने अपनी मृत्यु से पहले ही उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। धार्मिक कट्टरता की राजनीति में इसलिए आसानी से फिट होते हैं, क्योंकि मेवों से उनका संघर्ष लगातार रहा है। वह जितने हरियाणा में जुड़े हैं, उतने ही राजस्थान में भी, लेकिन इन दोनों राज्यों की सीमा को छूते उत्तर प्रदेश की यादव आबादी को भी प्रभावित करते हैं।

राजेंद्र राठौड़ का नाम भी चर्चा में

वसुंधरा के मुख्यमंत्री के दोनों कार्यकाल में काफी पावरफुल मंत्री रहे राजेंद्र राठौड़ का नाम भी राजनीतिक गलियारों में खूब चल रहा है। राजस्थान की राजनीति में भैरो सिंह शेखावत और अशोक गहलोत की शैली वाली राजनीति में वह फिट बैठते हैं।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रहे सतीश पूनिया, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल, अश्विनी वैष्णव, सीपी जोशी और ओमप्रकाश माथुर के नाम भी चर्चा में हैं। इसके बाद भी एक चौंकाने वाला नाम बार-बार आ रहा है, वह संघ के स्वयंसेवक प्रकाशचंद्र का है, मौन रहकर मुखर राजनीति करने में दक्ष माने जाते हैं।

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