टैक्स जमा नहीं, तो आनलाइन लाल रंग में नजर आएगी संपत्ति

ग्वालियर: शहर के 400 वर्ग किमी से अधिक क्षेत्र में निजी व सरकारी संपत्तियों की जियोग्राफिक इंफार्मेशन सिस्टम (जीआइएस) मैपिंग नगर निगम ने शुरू करा दी है। नगर निगम में 66 वार्ड हैं। इनमें 60 वार्ड शहरी और छह वार्ड ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के हैं।

अभी नगर निगम के पास इन सभी वार्डों से रजिस्टर्ड संपत्तियों की संख्या लगभग साढ़े तीन लाख है। अब जीआइएस मैपिंग के दौरान नई संपत्तियों को जोड़ने के साथ ही पुरानी संपत्तियों के सही साइज की जानकारी भी निगम के पास पहुंच रही है। जीआइएस सर्वे को संपत्तिकर के पोर्टल से भी लिंक किया गया है।

ऐसे में यदि किसी वार्ड में संपत्तियों ने टैक्स नहीं भरा है, तो वह नक्शे में लाल रंग में नजर आएंगी। वहीं जिन संपत्तियों ने कर जमा कर दिया है, वे हरे रंग में नजर आएंगी। गड़बड़ी को रोकने के लिए इस जानकारी को आम जनता के साथ भी साझा किया जाएगा यानी व्यक्ति किसी वार्ड में मौजूद अपनी संपत्ति के टैक्स के बारे में जानकारी ले सकता है।

इसका लाभ यह होगा कि यदि संपत्तिकर का अमला भी टैक्स जमा करने में कोई गड़बड़ी करता है, तो इसे तुरंत पकड़ा जा सकेगा और संपत्ति स्वामी भी इसमें आपत्ति दर्ज करा सकेगा। निगम ने प्रत्येक वार्ड के हिसाब से सर्वे शुरू किया है और प्राथमिक डाटा सामने आने के बाद संपत्तियों को चिह्नित कर वसूली भी की जा रही है।

नोटरी की संपत्तियों से वसूली की तैयारी

निगम के सामने अभी यह समस्या है कि नोटरी के आधार पर जिन संपत्तियों की खरीद-फरोख्त की गई है, उनसे संपत्तिकर की वसूली नहीं की जाती है। इसका कारण है कि संपत्तिकर की वसूली करने और रसीद देने पर लोग इसका गलत इस्तेमाल कर संपत्ति के स्वामित्व का दावा करते हैं। ऐसे में निगम द्वारा इन संपत्तियों की न तो प्रापर्टी आइडी जनरेट की जाती है और न ही टैक्स की वसूली होती है।

इससे निगम को ही राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में निगमायुक्त अमन वैष्णव द्वारा नई व्यवस्था लागू करने की तैयारी की जा रही है। इसमें नोटरी की संपत्तियों को चिह्नित करने के बाद उनसे मैनुअल संपत्तिकर की वसूली की जाएगी। इसके लिए रसीद कट्टे बनाए जाएंगे, जिस पर साफ उल्लेख होगा कि ये रसीद किसी भी तरह से स्वत्व व स्वामित्व का निर्धारण नहीं करती है। जल्द ही इसका प्रस्ताव मेयर इन काउंसिल और फिर परिषद में भेजा जाएगा।

नोटरी की संपत्तियों से वसूली की तैयारी

निगम के सामने अभी यह समस्या है कि नोटरी के आधार पर जिन संपत्तियों की खरीद-फरोख्त की गई है, उनसे संपत्तिकर की वसूली नहीं की जाती है। इसका कारण है कि संपत्तिकर की वसूली करने और रसीद देने पर लोग इसका गलत इस्तेमाल कर संपत्ति के स्वामित्व का दावा करते हैं। ऐसे में निगम द्वारा इन संपत्तियों की ना तो प्रापर्टी आइडी जनरेट की जाती है और ना ही टैक्स की वसूली होती है।

इससे निगम को ही राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में निगमायुक्त अमन वैष्णव द्वारा नई व्यवस्था लागू करने की तैयारी की जा रही है। इसमें नोटरी की संपत्तियों को चिह्नित करने के बाद उनसे मैनुअल संपत्तिकर की वसूली की जाएगी। इसके लिए रसीद कट्टे बनाए जाएंगे, जिस पर साफ उल्लेख होगा कि ये रसीद किसी भी तरह से स्वत्व व स्वामित्व का निर्धारण नहीं करती है। जल्द ही इसका प्रस्ताव मेयर इन काउंसिल और फिर परिषद में भेजा जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *