उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग याचिका को जनहित याचिका (पीआईएल) में तब्दील कर दिया। याचिका में निर्णय लेने के लिए गृह मंत्रालय (एमएचए) को निर्देश देने की मांग की गई है। न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने मामले को जनहित याचिकाओं से निपटने वाली रोस्टर बेंच को भेज दिया। उन्होंने स्वामी के इस रुख पर गौर किया कि मामले में जनहित शामिल है।
हालांकि अदालत ने कहा स्वामी गृह मंत्रालय को निर्देश जारी करने के लिए कोई लागू करने योग्य संवैधानिक अधिकार प्रदर्शित करने में विफल रहे हैं। न्यायमूर्ति नरूला ने स्पष्ट किया हमने गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ जनहित याचिका पर सुनवाई करेगी।
स्वामी ने लोकसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने के लिए उनके अभ्यावेदन पर निर्णय लेने के लिए गृह मंत्रालय (एमएचए) को निर्देश देने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
स्वामी ने 2019 में गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि बैकऑप्स लिमिटेड नामक एक कंपनी वर्ष 2003 में यूनाइटेड किंगडम में पंजीकृत हुई थी और गांधी इसके निदेशकों और सचिवों में से एक थे। भाजपा नेता ने कहा कि 10 अक्टूबर 2005 और 31 अक्टूबर 2006 को दाखिल कंपनी के वार्षिक रिटर्न में गांधी ने अपनी राष्ट्रीयता ब्रिटिश बताई थी।
याचिका में कहा गया है कि 17 फरवरी 2009 को कंपनी के विघटन आवेदन में गांधी की राष्ट्रीयता फिर से ब्रिटिश बताई गई थी। स्वामी ने कहा कि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 9 और भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 का उल्लंघन है।
गृह मंत्रालय ने 29 अप्रैल, 2019 को गांधी को पत्र लिखकर उनसे इस संबंध में एक पखवाड़े के भीतर तथ्यात्मक स्थिति से अवगत कराने को कहा था। हालांकि, स्वामी ने तर्क दिया कि उनके पत्र के पांच साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद, गृह मंत्रालय की ओर से अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है कि इस पर क्या निर्णय लिया गया है।