राजधानी दिल्ली के ओल्ड राजेन्द्र नगर कोचिंग हादसे से सभी परेशान हैं, जिसमें बेसमेंट में पानी भरने से तीन यूपीएससी कैंडिडेट्स की मौत हो गई. इस घटना के बाद छात्र राजेंद्र नगर में प्रशासन के खिलाफ प्रोटेस्ट कर रहे हैं साथ ही उन शिक्षकों से भी नाराज हैं जो यूपीएससी के दुनिया के सिलेब्रिटी टीचर हैं. इस हादसे के बाद गायब होने पर अवध ओझा और विकास दिव्यकीर्ति पर छात्र जमकर बरस पड़े. हाल ही में लल्लनटॉप को दिए हुए इंटरव्यू में अवध ओझा ने बताया कि वह छात्रों के प्रोटेस्ट में क्यों नहीं पहुंचे. इसके अलावा शिक्षाविद ने बेसमेंट में क्लास चलाने को लेकर काफी कुछ कहा और छात्रों के प्रदर्शन करने के तरीके पर भी कई सवाल उठाए हैं.
बेसमेंट में तीन बच्चों की मौत को लेकर क्या बोले अवध ओझा?
बेसमेंट में तीन बच्चों की मौत होने पर अवध ओझा ने दुख जताया और बेसमेंट में क्लासेस चलाने को एक गंभीर समस्या बताया. अवध ओझा ने इस बात का खुलासा भी किया एक बार बेसमेंट में दम घुटने से उनके दोस्त की भी मौत हो चुकी है. उन्होंने कहा कि मुझे बेसमेंट की क्लास मिल रही थी पूसा रोड पर चार लाख रुपये कम में. मालिक ने मुझसे कहा कि मैं आपको बेसमेंट 18 लाख रुपये में दे दूंगा. लेकिन मैंने कहा कि बेसमेंट में जाना ही नहीं है. मैं जानता हूं कि बेसमेंट की क्या स्थिति है और आज नहीं तो कल आप देख लेना ये सारी बेसमेंट बंद हो जाएंगी.
बेसमेंट में क्लास चलाने को लेकर नाराज हुए अवध ओझा
अवध ओझा ने कहा कि बेसमेंट एक कंसंट्रेशन कैंप की तरह है. आप अंदर चले गए तो आपकी भी कोई गारंटी नहीं है. उन्होंने बताया कि एक बार वह जब बेसमेंट में क्लासेस ले रहे थे तब भूकंप आ गया. बच्चे भागने लगे तो उन्होंने सुझाया कि भागने से कुछ नहीं होगा, धीरे-धीरे निकलिए. बेसमेंट मतलब आप ये मान कर चलो कि जो भी बेसमेंट में बैठा हुआ है उसकी जान तो दांव पर लगी हुई है.
कोचिंग सील होने को बताया अस्थायी
जब अवध ओझा से पूछा गया कि आप लोगों ने पहले कभी शिकायत की है कि जो मालिक हैं वो बेसमेंट में क्यों क्लासेस चला रहे हैं. इसपर अवध ओझा ने कहा कि कोचिंग के पास एक ही जवाब होता है कि आप अपने लिए फिर ऐसी कोचिंग देखिए जहां बेसमेंट में क्लास ना हो. जितनी बड़ी बड़ी कोचिंग हैं, सबके पास बेसमेंट में क्लास हैं. सारी कोचिंग सील नहीं हुई हैं. जो छोटी-छोटी कोचिंग चला रहे हैं उनको बंद कर दिया है लेकिन बड़ी बड़ी कोचिंग खुली हैं. इसपर जब उनको बताया गया कि दृष्टि आईएएस और बड़ी कोचिंग को भी सील किया गया है तो अवध ओझा ने कहा कि जब 2023 में मुखर्जी नगर कोचिंग में आग लगी तो बच्चों का कोचिंग से कूदता हुआ वीडियो देखा गया था, उस समय कहा था कि मुखर्जी नगर सील हो गया है लेकिन कहां सील हुआ था मुखर्जी नगर. 61 बच्चे ऑफिशियल रिकॉर्ड पर घायल हुए थे फिर वहां सारी चीजें चल रही थीं.
प्रोटेस्ट कर रहे छात्रों के लीडर से बात करना चाहते हैं अवध ओझा
हम इसपर चाहे कितना भी प्रोटेस्ट करें. मैं जानता हूं कि जो बच्चे प्रोटेस्ट कर रहे हैं, गुस्से में, जिसे भी गाली दे रहे हैं यह उनका हक है. वो गलत नहीं कर रहे हैं. वो एकदम गाली दे रहे हैं कि आप हमारे लिए क्यों नहीं लड़ रहे. लेकिन लड़ने का एक तरीका होता है. मैंने आज प्रोग्राम निकाला है. मैं इसी हफ्ते प्रदेश और केंद्र के लीडर से मिलूंगा और अपने प्रस्ताव को रखूंगा कि इसको ध्यान में रखा जाए कि भविष्य में ऐसी घटना होगी तो कोई ये नहीं कहेगा कि मैंने अवगत नहीं कराया था.
छात्रों के मार्गदर्शन को लेकर अवध ओझा ने कहा कि जिस समस्या के लिए छात्र परेशान हैं, उस तरफ ये ध्यान नहीं दे रहे हैं. उनका ध्यान अवध ओझा और विकास दिव्यकीर्ति पर है. ओझा सर ये कहते हैं कि अगर तुम इतने समझदार और इतने ताकतवर बने होते तो यह स्थिति आती ही नहीं. मैं तो यह कहता हूं कि मानसिक शक्ति और शारिरिक शक्ति का विकास करना चाहिए. प्रोटेस्ट का अपना एक तरीका है. गांधी जी ने 2 साल आंदोलन चलाया उसमें ना कोई मारा गया और ना ही कोई पीटा गया, ना किसी पर पानी छिड़का गया, कुछ भी नहीं हुआ. उसकी तैयारी करनी पड़ती है. उतरकर कूदना नहीं होता है. जलियावाला बाग कब घटित हुआ 1919 में और नॉन कॉपरेशन मूवमेंट शुरू हुआ 1920 में, व्यवस्था करनी पड़ती है, स्वरूप बनाना पड़ता है.
आप कहते हो कि टीचर नहीं आए हैं और जब टीचर आते हैं तो आप उनके साथ बदसलूकी कर रहे हो, बॉयकॉट कर रहे हो. तनु जैन प्रोटेस्ट में गईं उन्होंने ट्वीट किया. अरे भई टीचर कोई भी आया, आया तो आपके दर्द सुनने के लिए. आप उसको बोलो तो कि ये दर्द है. जो टीचर गए उनको स्वीकारना चाहिए, बोलना चाहिए. उनके साथ बदसलूकी का क्या मतलब है. शांति बनाना है इस मुद्द् को उठाया है, आगे लेकर चलना है. सरकार को इस बात से अवगत कराना है कि हमारे सामने ये चुनौतियां हैं. सेफ्टी का कानून बनाना चाहिए. आंदोलन की समीक्षा होती है.
प्रोटेस्ट में क्यों नहीं गए अवध ओझा?
अवध ओझा ने आगे कहा कि एक बार बिहार के एक लड़के ने मुझे मैसेज किया कि सर हम चाहते हैं कि आप हमसे मिलने के लिए आएं लेकिन आप एक ख्याल करिए कि यहां सिर्फ तैयारी के छात्र नहीं है यहां और भी छात्र हैं तो कृपया करके आप अपनी सिक्योरिटी का भी ख्याल रखें. अगर मान लीजिए वहां कुछ हो जाता तो बाद में लोग मुझे कहते कि मास्टर आप क्यों गए, आप कूद गए आग में. आपको बच्चों से बात करनी चाहिए. मैंने कहा कि राजेंद्र नगर प्रोटेस्ट में जो लड़के हैं, उनको बुलाओ, उनसे हम बात करेंगे. ऐसे नहीं होता है कि भीड़ में गए कूद गए. भीड़ में अनसोशल एलीमेंट बैठे हुए हैं, अगर उन्होंने आग लगादी, अराजकता फैलादी फिर तो इनका करियर खत्म हो जाएगा.
बिहार के एक डीएम की हत्या हुई थी सिर्फ इसी बात पर. ये कौन जानता है कि आज वहां सिर्फ स्टूडेंट्स हैं. मैंने कहा कि इनका जो लीडर है उन्हें बुलाओ, बात करते हैं उनको एक ज्ञापन देते हैं. इनके मुद्दे को रखते हैं. कि अब कानून बनाया जाए. अवझ ओझा से पूछा गया कि मान लीजिए छात्रों ने ज्ञापन दिया और कोई एक्शन नहीं लिया गया तो आप लोग अपनी तरफ से क्या करेंगे.
आप और विकास दिव्यकीर्ति इस विरोध के केंद्र में कैसै आए?
सोशल मीडिया पर आलोचना होने पर अवध ओझा ने कहा कि विकास दिव्यकीर्ति और अवध ओझा केंद्र में इसलिए आए क्योंकि आज जो सोशल मीडिया का युग है उसपर अगर Rau’s IAS डाला जाएगा तो उसपर ना तो कोई सब्सक्राइबर आएगा और ना व्यूअरशिप आएगी. ये जो ऐलगोरिथम का खेल है, सोशल मीडिया का उसके चक्कर में आए. मेरी जो कोचिंग है अवध ओझा कोचिंग, अगर उसमें एक भी सेफ्टी मानक पूरा नहीं हुआ होगा तो मैं कोचिंग बंद कर दूंगा. मैं नहीं पढ़ाऊंगा. मैं छात्रों से हाथ जोड़कर कहता हूं कि जब ऑनलाइन क्लास चलती है तो सबको क्या जरूरत है दिल्ली आने की. इलाहाबाद का लड़का, इलाहबाद में रहकर नहीं पढ़ सकता. जो तुम 25 हजार रुपया यहां रूम रेंट दे रहे हो तुमको 5 हजार में बेहतरीन लाइब्रेरी की सुविधा अपने शहर में मिलेगी. अब दिल्ली वो लड़का आए जिसको लगता है कि हमारे घर में राजनेता हैं, ब्यूरोक्रैट हैं, जिसको लगता है कि वह घर पर रहकर नहीं पढ़ पाएगा वो आए और दिल्ली सिर्फ उनको आना चाहिए. बाकियों से हाथ जोड़कर निवेदन है कि ऑनलाइन में इतने बेहतरीन टीचर हैं और सब सही पढ़ाते हैं. अबके दौर में आपकी सुरक्षा आपके हाथ में है. अब तो हाइब्रिड सिस्टम भी आ गया है. आप ऑनलाइन मोड क्यों नहीं ले रहे हैं. क्या जरूरत है दिल्ली में आकर भीड़ लगाने की.