इस्लामाबाद: पाकिस्तान एक ऐसा देश है, जिसने लंबे समय तक आतंकवाद को बढ़ावा दिया और इस मुद्दे पर दुनिया की आंखों में धूल झोंकने का भी काम किया है। भारत के जम्मू कश्मीर और कई इलाकों में पाक में पनाह पाए आतंकी नेटवर्कों की ओर से की गई हिंसा किसी से छुपी नहीं है। भारत ने बार बार पाकिस्तान से इन आतंकी अड्डों पर लगाम लगाने की अपील की लेकिन इस्लामाबाद ने हमेशा इसे नजरअंदाज किया है। हाल के वर्षों में वक्त का पहिया घूमा है और अब पाकिस्तान को उसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है जो वह अक्सर भारत पर थोपता रहा है। पाकिस्तान ने बन्नू छावनी पर हाल ही में हुए आतंकवादी हमले के बाद अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से इस पर प्रभावी कार्रवाई का आह्वान किया। इस्लामाबाद ने अफगानिस्तान के भीतर आतंकवादी समूहों की मौजूदगी पर अपनी गंभीर चिंता दोहराई जो पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं।
फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने लगातार अपनी चिंताओं को अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के सामने उठाया है और उनसे आतंकवादियों को अफगान धरती का उपयोग करने से रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई करने का आग्रह किया है। वहीं काबुल ने लगातार अपनी धरती पर आतंकी गुटों की मौजूदगी से इनकार करते हुए पाक की चिंताओं को खारिज किया है। ऐसे ही जैसे जब भारत डिमार्शेस और डॉजियर भेजता है और पाकिस्तान आरोपों को साफ साफ नकार देता है। पाकिस्तान ने जैसे भारत के आरोपों और सबूतों को लगातार नकारा है, उसी तरह अफगानिस्तान ने भी अपनी धरती से आतंकवाद के बारे में पाकिस्तान की चिंताओं को खारिज कर उसे सबक दिया है।
क्या अपना रुख बदलेगा पाकिस्तान?
पाकिस्तान ने हालिया समय में आतंकी हमलों में महत्वपूर्ण सैन्य नुकसान झेला है। पाकिस्तान इसके बाद अफगानिस्तान के साथ जुड़ने के लिए मजबूर हो गया है। हालांकि इसकी बहुत कम संभावना है कि पाकिस्तान भारत के प्रति सहानुभूति रखेगा औरअपने तरीके बदल देगा। इसके बजाय वह चीन से मिले हथियारों से लैस आतंयों को जम्मू कश्मीर भेजने में व्यस्त है। भारत अक्सर मुख्य रूप से आतंकवाद और सुरक्षा मुद्दों से संबंधित पाकिस्तान को डिमार्शेस और डोजियर जारी करता रहा है। भारत ने पाकिस्तान को लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) जैसे समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बाध्य भी किया। जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पाकिस्तानी बलों की ओर से संघर्ष विराम उल्लंघन के विरोध में भी भारत ने डिमार्श जारी किया है।
भारत ने पाकिस्तान को आतंकी गतिविधियों, घुसपैठ की कोशिशों और आतंकी संगठनों को समर्थन के सबूतों वाले डोजियर भी सौंपे हैं। इनमें 26/11 के बाद के मुंबई हमले शामिल हैं, जहां भारत ने पाकिस्तानी नागरिक अजमल कसाब की भूमिका सहित लश्कर-ए-तैयबा की संलिप्तता के विस्तृत सबूतों के साथ पाकिस्तान को कई दस्तावेज सौंपे थे। 2016 में पठानकोट एयर बेस हमले के बाद भारत ने कॉल रिकॉर्ड सहित जैश-ए-मोहम्मद की संलिप्तता के सबूत साझा किए। 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारत ने जैश-ए-मोहम्मद की भूमिका और उसके नेता मसूद अजहर की संलिप्तता के सबूत देने वाले दस्तावेज सौंपे। इसी तरह 2019 में भारतीय वायुसेना के पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक के बाद भारत ने हमलों के कारणों और लक्षित स्थान पर आतंकवादी गतिविधियों के सबूतों को रेखांकित करते हुए एक डिमार्शे जारी किया।
आतंकी समूहों पर कार्रवाई के लिए पाकिस्तान पर राजनयिक दबाव बनाने के लिए इन डिमार्श और डोजियर को अक्सर अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ साझा किया जाता रहा है। हालांकि पाकिस्तान अक्सर इन दस्तावेजों में प्रस्तुत साक्ष्यों पर विवाद करता है या उन्हें अस्वीकार करता है। ऐसे में आज कहा जा सकता है कि अफगानिस्तान की ओर से जो जवाब मिल रहा है, वो पाकिस्तान के लिए सबक है, जिससे इस्लामाबाद को सीखने की जरूरत है।