भारतीय वायु सेना की MRFA डील पर दसॉ की नजर, क्या फ्रांस से 114 राफेल विमान खरीदेगा भारत

पेरिस: फ्रांस को भारत से राफेल मरीन के लिए अनुरोध पत्र (एलआरओ) प्राप्त हुआ है। इसमें 26 राफेल मरीन को खरीदने से संबंधित कायदे-कानूनों का जिक्र है। राफेल-एम का सौदा अपने अंतिम चरण में है, लेकिन इसे बनाने वाली कंपनी डसाल्ट एविएशन की निगाह भारतीय वायु सेना के बहुप्रतीक्षित 114 लड़ाकू विमानों के कॉन्ट्रैक्ट पर है। एलओआर एक निविदा दस्तावेज (टेंडर डॉक्यूमेंट) की तरह है जिसमें भारत सरकार ने राफेल मरीन विमान पर अपनी सभी आवश्यकताओं और क्षमताओं को निर्दिष्ट किया है। यह विमान वाहक पोत- आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य से संचालित होगा। कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर करने में अभी कुछ समय बाकी है, क्योंकि फ्रांस अभी एलओआर का मूल्यांकन करेगा और 26 जेट के लिए लागत वार्ता शुरू होने से पहले स्वीकृति पत्र या एलओए के साथ भारत को जवाब देगा। अनुबंध पर हस्ताक्षर 2024 में होने की उम्मीद है।

राफेल का किन विमानों से है मुकाबला

दसॉ एविएशन ने सरकार-से-सरकार अनुबंध (गवर्मेंट टू गवर्मेंट डील) में भारतीय वायु सेना के लिए 36 राफेल विमान सौंपने के बाद विश्व स्तर पर इस लड़ाकू जेट की मांग में वृद्धि देखी है। हाल ही में, फ्रांसीसी मीडिया ने दावा किया कि जर्मनी के वीटो के बाद यूरोफाइटर टाइफून के अनुबंध जीतने की संभावना कम होने के बाद डसाल्ट एविएशन ने सऊदी अरब को 54 राफेल की आपूर्ति करने का सौदा जीता है। भारतीय वायु सेना के टेंडर के लिए दसॉ एविएशन का राफेल दुनिया भर के तीन अन्य प्रमुख लड़ाकू जेट विमानों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है। इसमें बोइंग के एफ/ए-18 और एफ/15ईएक्स, लॉकहीड मार्टिन के एफ-21, एसएएबी के ग्रिपेन शामिल हैं। भारत इन 114 विमानों को मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) डील के तहत खरीदने की कोशिश कर रहा है।

MRFA को अधूरा व्यवसाय क्यों मान रही डसाल्ट

राफेल ने 2013 में 126 जेट विमानों के लिए पिछला टेंडर जीता था, जिसे 2007 में भारतीय वायुसेना ने जारी किया था। उस डील को मीडियम मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) खरीद कार्यक्रम कहा जाता था। लेकिन 2015 में, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डील को रद्द कर दिया और लगभग 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सौदे में फ्रांस से 36 राफेल खरीदे। यही कारण है कि दसॉ एविएशन 114 जेट के लिए इस एमआरएफए को “अधूरे” व्यवसाय के रूप में देखता है।

आईएएफ चरणबद्ध तरीके से एमआरएफए के छह स्क्वाड्रन को शामिल करने की योजना बना रहा है। कार्यक्रम को डीएपी-2020 की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत आगे बढ़ाया जाएगा। आठ प्रकार के विमानों के लिए प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई हैं।

भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी

राफेल पर स्वदेशी हथियारों को तैनात करेगा भारत

एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा कि एएसक्यूआर (एयर स्टाफ गुणात्मक आवश्यकताएं) को अंतिम रूप दे दिया गया है, और ओईएम (मूल उपकरण निर्माताओं) के साथ विस्तृत बातचीत हुई है। चयनित श्रेणियों की स्वदेशी सामग्री और ‘मेक इन इंडिया’ प्रावधानों के लिए ओईएम प्रतिबद्धताएं मांगी जा रही हैं। भारत में निर्मित किए जा रहे एमआरएफए पर स्वदेशी रूप से विकसित ए-ए (एयर-टू-एयर) और ए-जी (एयर-टू-ग्राउंड) हथियारों को इंटीग्रेट करने की परिकल्पना की गई है। हालांकि, विशेषज्ञ दसॉ के राफेल, बोइंग के F-15EX और साब के JAS-39 ग्रिपेन के बीच प्रतिस्पर्धा को देखते हैं।

2018 से एमआरएफए पर काम कर रहा भारत

भारतीय वायु सेना ने एमआरएफए के लिए 2018 में RFI जारी किया और अरबों डॉलर के सौदे के लिए दुनिया भर के विमान निर्माताओं से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली। नए एएसक्यूआर स्थापित करने के बाद आईएएफ आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) के लिए एक प्रस्ताव भेजने के लिए सरकार की मंजूरी का इंतजार कर रही है। एक साल से एमआरएफए डील पर कोई हलचल नहीं हुई है। भारतीय वायुसेना के पूर्व उप प्रमुख एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी ने एयरो इंडिया 2023 (फरवरी में आयोजित) के दौरान पत्रकारों से कहा था कि अगले तीन से चार महीनों में सरकार से एओएन की उम्मीद है। नवंबर बीत रहा है और भारतीय वायुसेना को अभी तक एओएन प्रदान नहीं किया गया है, जिसके पास वर्तमान में 31 स्क्वाड्रन की ताकत है और लड़ाकू स्क्वाड्रन की यह ताकत लगातार घटती जा रही है।

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