खालिस्तान पर बयान को लेकर अपनी ही मां पर भड़का अमृतपाल सिंह, दे डाली खुली चेतावनी

पंजाब के खडूर साहिब सीट से सांसद अमृतपाल सिंह ने अपनी मां बलविंदर कौर के जरिए खालिस्तान को लेकर दिए गए बयान को सिरे से नकार दिया है. जेल में बंद सिख नेता ने अपनी टीम के जरिए जेल से लिखित बयान जारी किया है, जिसमें उसने खालिस्तान को लेकर उसकी मां ने जो बयान दिया था, उसे खारिज किया. पंजाब में अलगाववादियों के जरिए खालिस्तान के रूप में अलग देश बनाने की मांग लंबे समय से की जा रही है.

दरअसल, अमृतपाल की मां बलविंदर ने 5 जुलाई को कहा था, “अमृतपाल सिंह खालिस्तान समर्थक नहीं हैं. पंजाब के अधिकारों के लिए आवाज उठाना और युवाओं की भलाई के लिए काम करना किसी को खालिस्तान का समर्थक नहीं बनाता है. उन्होंने भारतीय संविधान के दायरे में रहकर चुनाव लड़ा. अब उन्होंने संविधान की शपथ भी ले ली है. ऐसे में उन्हें वैसा नहीं बताया जाना चाहिए.” वीडियो वायरल होने पर सिख कट्टरपंथियों ने बयान की आलोचना भी की थी. 

मेरे परिवार या समर्थकों से नहीं आना चाहिए ऐसा बयान: अमृतपाल सिंह

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार (7 जुलाई) को अमृतपाल सिंह का बयान भी वायरल होने लगा. इसमें उन्होंने कहा, “आज जब मुझे कल माता जी के जरिए दिए गए बयान के बारे में मालूम चला तो मैं बहुत दुखी हुआ. हालांकि मेरा मानना ​​है कि माता जी ने अनजाने में ऐसा कहा है. मेरे परिवार या मेरा समर्थन करने वाले किसी भी शख्स की तरफ से ऐसा बयान कभी नहीं आना चाहिए.”

खालसा राज का सपना अधिकार नहीं गर्व की बात: अमृतपाल सिंह

खडूर सांसद ने कहा, “खालसा राज का सपना देखना सिर्फ अधिकार नहीं बल्कि बेहद गर्व की बात है. अनगिनत सिखों ने इस सपने के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया है और हम इस पवित्र रास्ते से पीछे हटने की कल्पना भी नहीं कर सकते. मैंने अक्सर मंचों से ऐलान किया है कि अगर कभी भी पंथ और मेरे परिवार के बीच चयन करने का सामना करना पड़ा, तो मैं हमेशा बिना किसी हिचकिचाहट के पंथ को चुनूंगा.”

सिख राज्य से समझौते के बारे में नहीं सोचे परिवार, अमृतपाल ने दी चेतावनी

अमृतपाल सिंह ने आगे कहा, “बाबा बंदा सिंह बहादर के युवा साथी का ऐतिहासिक उदाहरण इस सिद्धांत के सबसे बड़े सबूत के तौर पर खड़ा है. जब मां ने अपने बेटे की सिख पहचान को नकार कर उसे बचाने की कोशिश की. फिर लड़के ने बहादुरी से कहा कि अगर उसकी मां दावा करती है कि वह सिख नहीं है तो वह मेरी मां नहीं हो सकती है. हालांकि, ये उदाहरण मौजूदा हालात के लिए थोड़ा कठोर है, लेकिन ये अटूट प्रतिबद्धता के सार को दिखाता है.”

उन्होंने कहा, “मैं स्पष्ट रूप से अपने परिवार को चेतावनी देता हूं कि सिख राज्य की अवधारणा से समझौता करने के बारे में उन्हें सोचना भी नहीं चाहिए. संगत के साथ बातचीत करते समय भविष्य में ऐसी चूक कभी नहीं होनी चाहिए.” हालांकि, यहां गौर करने वाली बात ये है कि जब अमृतपाल ने चुनाव लड़ा तो उस वक्त उसने खालिस्तान का जिक्र नहीं किया, बल्कि खुद को ड्रग्स के खिलाफ लड़ने वाले और धार्मिक उपदेश देने वाले शख्स के तौर पर प्रचारित किया. 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *