दिग्विजय की हार पर बोले विधायक- मेरा संकल्प पूरा:दांगी ने कहा-हमें किले से बाहर किया था, हमने जिले से बाहर किया

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह अपने जीवन का आखिरी लोकसभा चुनाव अपने ही “गढ़” राजगढ़ में हार गए। उन्हें भाजपा प्रत्याशी रोड़मल नागर ने करीब डेढ़ लाख वोटों से हराया। भाजपा को यहां 758643 वोट मिले जबकि कांग्रेस को 612654 मत ही हासिल हुए। जीत का अंतर 146089 वोटों का रहा।

दिग्विजय की हार से खिलचीपुर से भाजपा विधायक हजारीलाल दांगी काफी खुश हैं। वजह भी वे खुद ही बताते हैं, ‘सालों पहले दिग्विजय सिंह ने हमें राघोगढ़ स्थित अपने किले से बाहर निकाल दिया था। किले से बाहर आते समय हमने संकल्प लेकर कहा था- दिग्गी राजा तुमने हमें किले से निकाला है, हम तुम्हें एक दिन हराकर जिले से बाहर निकालेंगे।’

बसपा के बाद भाजपा में शामिल हुए

हजारीलाल दांगी की राजनीति कांग्रेस से ही शुरू हुई थी। तब वे दिग्विजय सिंह के बहुत करीबी माने जाते थे। 1998 में कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने खिलचीपुर विधानसभा सीट से जीत भी दर्ज की थी। 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें अपना उम्मीदवार नहीं बनाया। इस पर वे अपने समर्थकों के साथ टिकट की आस में राघौगढ़ किले पर पहुंचे। यहां उन्हें टिकट तो नहीं मिली लेकिन किले से बाहर जरूर निकाल दिया गया था।

हजारीलाल ने दुखी होकर तब बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया और चुनाव लड़े। हालांकि, कांग्रेस के प्रियव्रत सिंह से हार गए।

कुछ समय बाद दांगी बसपा छोड़कर बीजेपी में आ गए। उन्होंने 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रियव्रत सिंह को हराया। 2018 में प्रियव्रत सिंह से ही हारे। 2023 के विधानसभा चुनाव में दांगी ने एक बार फिर कांग्रेस के प्रियव्रत सिंह को हरा दिया।

खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र से मिले सबसे ज्यादा वोट

विधायक हजारीलाल दांगी ने  बातचीत में कहा, ‘खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के लिए आज बहुत खुशी का दिन है। एक बार कार्यकर्ता 100 गाड़ियां लेकर राघौगढ़ किले में मेरे लिए टिकट मांगने गए थे। तब राघौगढ़ किले से यह फरमान जारी किया गया था कि आप लोग बाहर निकल जाइए, वरना सबको बंद करवा दूंगा।

तब मैंने यह संकल्प लिया था कि आपने हजारी मास्टर के कार्यकर्ताओं को किले से बाहर किया है, मास्टर जब तक जिंदा रहेगा, तब तक तुम्हें जिले से बाहर करने के लिए संघर्ष करता रहेगा। मतदाताओं ने हजारी मास्टर की बात रखी। पूरे लोकसभा क्षेत्र में खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र से सबसे अधिक 39620 वोट से हम जीते हैं। यह मेरे कार्यकर्ताओं की मेहनत का फल है।’

33 साल बाद चुनावी मैदान में उतरे थे पूर्व सीएम दिग्विजय

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह 1991 लोकसभा चुनाव के 33 साल बाद राजगढ़ सीट से किस्मत आजमाने आए थे। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कई बार दोहराया कि यह उनके जीवन का अंतिम चुनाव है, लेकिन उनकी इस अपील का मतदाताओं पर कोई असर नहीं दिखा। वे राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र की 8 विधानसभा में 7 विधानसभा हारे, सिर्फ राघौगढ़ जीत पाए।

राजगढ़ लोकसभा सीट की 8 विधानसभा सीटों में मिले वोट

विधायक जयवर्धन सिंह (कांग्रेस), राघौगढ़: विधानसभा चुनाव में 4505 वोट से जीते कांग्रेस विधायक ने यहां पार्टी के प्रदर्शन को सुधारा। लोकसभा चुनाव में यहां कांग्रेस को 11484 वोट की लीड मिली। यहां कांग्रेस को 93371 जबकि भाजपा को 81887 वोट मिले।

विधायक प्रियंका मीणा (भाजपा), चाचौड़ा: विधानसभा चुनाव में 61,570 वोट से जीतीं भाजपा विधायक ने कांग्रेस को बढ़त नहीं बनाने दी। लोकसभा चुनाव में यहां कांग्रेस को 78521, भाजपा को 88426 वोट मिले। कांग्रेस 9905 वोट के अंतर से हारी।

विधायक नारायण पंवार (भाजपा), ब्यावरा: विधानसभा चुनाव में 36211 वोट से जीते भाजपा विधायक व मंत्री ने कांग्रेस को रोककर रखा। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 80364, भाजपा को 97922 वोट मिले। कांग्रेस 17558 के अंतर से हारी।

विधायक अमर सिंह यादव (भाजपा), राजगढ़ः यादव विधानसभा चुनाव में 22539 वोट से जीते थे। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 79550, भाजपा को 92941 वोट मिले। कांग्रेस 13391 वोट के अंतर से हारी।

विधायक हजारीलाल दांगी (भाजपा), खिलचीपुरः विधानसभा चुनाव 13678 वोट से जीते विधायक यादव ने कांग्रेस को और ज्यादा अंतर से हराया। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 66767 वोट, भाजपा को 107387 वोट मिले। कांग्रेस 39620 से हारी।

विधायक गौतम टेटवाल (भाजपा), सारंगपुरः टेटवाल विधानसभा चुनाव में 23054 वोट के अंतर से जीते थे। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 73689 जबकि भाजपा को 85816 वोट मिले। कांग्रेस 12127 वोटों से हारी।

विधायक मोहन शर्मा (भाजपा), नरसिंहगढ़ः विधानसभा चुनाव में 31915 वोट के अंतर से जीते शर्मा ने कांग्रेस को और ज्यादा अंतर से हराया। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 72888 वोट, भाजपा को 99742 वोट मिले। कांग्रेस 26854 वोटों से हारी।

विधायक भेरू सिंह बापू (कांग्रेस), सुसनेरः विधानसभा चुनाव में 12645 वोटों से जीतकर आए कांग्रेस विधायक भेरू सिंह अपनी विधानसभा नहीं बचा पाए। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 67378 वोट जबकि भाजपा को 104307 वोट मिले। कांग्रेस यहां 36929 वोटों के अंतर से हारी।

दिग्विजय सिंह को खिलचीपुर में मिली सबसे बड़ी हार

राजगढ़ लोकसभा सीट के चुनाव में दिग्विजय सिंह को सबसे बड़ी हार खिलचीपुर में ही मिली है। यहां वोटों का अंतर 39 हजार 620 रहा। सबसे छोटी हार चाचौड़ा विधानसभा सीट पर 9905 वोट की है। 2023 के विधानसभा चुनाव में चाचौड़ा में भाजपा की प्रियंका मीणा ने दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह को 61 हजार 570 वोटों के अंतर से हराया था।

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