चीन, पाकिस्तान पर नजर.. भारत बनाने जा रहा है तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर, जानें कैसी है तैयारी

नई दिल्ली: हाल ही में चीन ने अपना तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान टेस्ट के लिए समंदर में उतारा। इसी बीच भारत में भी तीसरे विमानवाहक युद्धपोत की डिमांड तेजी से उठने लगी। अब इस मुद्दे पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बड़ा अपडेट दिया है। उन्होंने कहा कि भारत जल्द ही अपना तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर बनाना शुरू कर देगा। हम केवल उसी पर नहीं रुकेंगे। इसके बाद हम पांच, छह और एयरक्राफ्ट कैरियर बनाएंगे। एक इंगलिश न्यूजपेपर को दिए इंटरव्यू में राजनाथ सिंह ने कहा कि नौसेना में लंबित प्रस्ताव का वो जिक्र कर रहे। इसमें INS विक्रांत के समान आकार का एक और स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने का प्रस्ताव है।

अभी भारत के पास हैं दो एयरक्राफ्ट कैरियर

आईएनएस विक्रांत का वजन 45,000 टन था और जिसे सितंबर 2022 में कमीशन किया गया था। आईएनएस विक्रांत के अलावा भारत के पास एक और कैरियर है, जिसका नाम आईएनएस विक्रमादित्य है। इसे 2013 में रूस से मंगाया गया था। समुद्री एयरक्राफ्ट कैरियर रखना लॉन्ग टर्म प्लान का हिस्सा है, इसके जरिए डेक से फाइटर जेट को लॉन्च और रिकवर कर सकते हैं। अब तक, भारत भी तीन विमानवाहक पोत रखने की बात करता रहा है।

तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर पर कैसी है तैयारी जानिए

रक्षा को लेकर बनी संसद की स्थायी समिति ने पिछले साल जनवरी में तीसरे समुद्री एयरक्राफ्ट कैरियर की आवश्यकता का सुझाव दिया था। इसमें कहा गया था कि एक एयरक्राफ्ट कैरियर की पहुंच दूर-दराज के द्वीप क्षेत्रों में सैन्य हवाई अड्डों से कहीं बेहतर है। चीन के पास अभी दो ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट कैरियर हैं – लिओनिंग और शांदोंग। 1 मई को, इसने अपनी अगली पीढ़ी के एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान का एक हफ्ते का समुद्री परीक्षण शुरू किया। यह चीन का तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर है और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट से लैस पहला है।

युद्धपोत को लेकर बाकी देशों का हाल जानिए

अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर डेक से फाइटर जेट लॉन्च करने के लिए इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट की तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। कैटापल्ट लॉन्च जेट को भारी पेलोड ले जाने और दो जेट के लॉन्च के बीच के समय को कम करने की अनुमति देता है। 80,000 टन वजनी युद्धपोत फुजियान, ब्रिटेन, फ्रांस, भारत और जापान में बने एयरक्राफ्ट कैरियर से भी बड़ा है। सिर्फ भारत और चीन ही नहीं, दूसरे एशियाई देश भी समुद्र में अपनी ताकत बढ़ाने और एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने की होड़ में हैं। जापान ने हेलीकॉप्टर कैरियर जेएस इजुमो को एयरक्राफ्ट कैरियर से एफ-35 को उड़ाने की कवायद तेज की है। उधर दक्षिण कोरिया की योजना 2030 तक एयरक्राफ्ट कैरियर को लॉन्च करने की है।

भारत के पहले कैरियर के बारे में जानिए

भारत ने अपना पहला कैरियर एचएमएस हरक्यूलिस 1961 में ऑपरेट किया था। इसे यूके से सेकेंड हैंड खरीदा गया था और इसका नाम बदलकर ‘आई.एन.एस. विक्रांत’ कर दिया गया था। 1997 में सेवामुक्त होने से पहले इसने पूर्वी मोर्चे पर 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारत का दूसरा कैरियर एचएमएस हर्मीस था, जिसे यूके. से ही खरीदा गया था। इसका नाम बदलकर आईएनएस विराट कर दिया गया। इसे 1987 में शामिल किया गया था और 2017 में इसे सेवामुक्त कर दिया गया।

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