सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देने में कोई अपवाद नहीं रखा है। कोर्ट ने ये भी कहा कि ‘फैसले का आलोचनात्मक विश्लेषण स्वागत योग्य है।’ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक को अंतरिम जमानत से संबंधित बयानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केजरीवाल के वकील के दावों और जवाबों पर विचार करने से इनकार कर दिया।
ईडी ने क्यों जताई केजरीवाल के भाषण पर आपत्ति?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी रैलियों के दौरान कह रहे हैं कि अगर जनता 25 मई को अगर आप ‘कमल’ का बटन दबाएंगी तो उन्हें वापस जेल जाना पड़ेगा, लेकिन अगर जनता ने INDIA गठबंधन के उम्मीदवारों के समर्थन में वोट दिया तो उन्हें 2 जून को जेल नहीं जाना पड़ेगा। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत देते हुए जो शर्त लगाईं थी, उनमें एक शर्त ये भी थी कि वे लोगों के बीच दिल्ली शराब घोटाले के बारे में बात नहीं करेंगे।
ईडी की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ‘केजरीवाल का बयान व्यवस्था के मुंह पर तमाचा है।’ उन्होंने कहा कि ‘याचिकाकर्ता (अरविंद केजरीवाल) खुद को खास समझ रहे हैं, जबकि हम उनके मामले को भी सामान्य मामले की तरह देख रहे हैं। कृप्या ये देखें कि रिहा होने के पहले ही दिन उन्होंने क्या कहा। क्या ये मामले के बारे में नहीं है।’ इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि ‘नहीं, उन्होंने केस के बारे में बात नहीं की है। यह उनकी अवधारणा है और हम इस बारे में कुछ नहीं कह सकते। हम कह चुके हैं कि हमारा आदेश साफ था और हम स्पष्ट तौर पर कह रहे हैं कि हम किसी के लिए भी कोई अपवाद नहीं बना रहे हैं।’
शीर्ष अदालत दिल्ली शराब घोटाले में अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल की मुख्य याचिका पर सुनवाई कर रही थी। शीर्ष अदालत ने 10 मई को कथित दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी थी। कोर्ट ने उन्हें 2 जून को सरेंडर करने को कहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था।