जयशंकर ने की पाकिस्‍तान की जमकर धुलाई, क्‍या अब खत्‍म हो चुका है सार्क? जानें क्‍यों भविष्‍य पर उठे सवाल

नई दिल्‍ली: पाकिस्‍तान में शहबाज सरकार के गठन के बीच भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन या सार्क को तत्‍काल फिर से आगे बढ़ाने की संभावना को खारिज कर दिया है। जयशंकर ने पाकिस्‍तान का नाम लिए बिना कहा कि वह आतंकवाद का विभिन्‍न तरीके से इस्‍तेमाल कर रहा है। इसमें सार्क के अन्‍य सदस्‍यों के खिलाफ भी इस्‍तेमाल शामिल है। उन्‍होंने कहा कि सार्क इसलिए संकट में है क्‍योंकि इसका एक सदस्‍य देश खुलकर आतंकवाद का समर्थन कर रहा है। आतंकिस्‍तान बन चुके पाकिस्‍तान की इन करतूतों के बीच जयशंकर ने जहां इस्‍लामाबाद की पोल खोलकर रख दी, वहीं सार्क के भविष्‍य पर भी गंभीर सवाल उठने लगे हैं।

जयशंकर ने कहा कि सार्क इसलिए संकट में है क्‍योंकि आपके पास तब एक क्षेत्रीय संगठन नहीं हो सकता है जब दूसरे देश के खिलाफ खुलकर आतंकी घटनाओं को बढ़ावा दे रहा है। सार्क एक क्षेत्रीय संगठन है जिसमें भारत, अफगानिस्‍तान, बांग्‍लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, पाकिस्‍तान और श्रीलंका शामिल हैं। मोदी सरकार के आने से पहले तक सार्क की समय-समय पर बैठक होती रहती थी। साल 2016 से ही सार्क की प्रभावशीलता पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि 2014 में काठमांडू में हुए पिछले शिखर सम्मेलन के बाद से इसके द्विवार्षिक शिखर सम्मेलन नहीं हुए हैं। साल 2016 का सार्क शिखर पाकिस्‍तान की राजधानी इस्लामाबाद में आयोजित किया जाना था।

पाकिस्‍तान नेपाल पर सार्क के लिए डाल रहा दबाव

इस सम्‍मेलन को मौजूदा परिस्थितियों के कारण रद्द कर दिया गया था। दरअसल, जम्मू और कश्मीर के उरी सेक्‍टर में भारतीय सेना के शिविर पर आतंकवादी हमले के बाद भारत, बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने भाग लेने से इनकार कर दिया। इसके विपरीत, वहीं भारत ने सार्क की जगह पर बिम्सटेक को बढ़ावा शुरू कर दिया है जिसमें पाकिस्‍तान सदस्‍य है। विदेश मंत्री जयशंकर ने भी कहा कि बिम्सटेक के तहत सहयोग आगे बढ़ रहा है, और संगठन के भीतर बढ़ने की इच्छा है। भारत जहां बिम्‍सटेक को बढ़ावा दे रहा है, वहीं पाकिस्‍तान लगातार नेपाल पर दबाव डाल रहा है कि वह सार्क सम्‍मेलन को आयोजित कराए लेकिन भारत इस्‍लामाबाद की आतंकी नीतियों को देखते हुए इसके लिए तैयार नहीं है।

इससे पहले सार्क की वार्षिक विदेश मंत्री बैठक जो आमतौर पर न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) शिखर सम्मेलन के दौरान आयोजित की जाती है, को भी रद्द कर दिया गया था। साल 1985 में स्थापित सार्क का उद्देश्य जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना, आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, सामूहिक आत्मनिर्भरता बढ़ाना और सदस्य देशों के बीच आपसी विश्वास और समझ को बढ़ावा देना था। सार्क सर्वसम्मत निर्णयों के आधार पर काम करता है और विवादास्पद मुद्दों को चर्चा से बाहर रखता है। यह भारत और पाकिस्तान के बीच प्रतिद्वंद्विता के कारण शुरू से ही पंगु बना रहा है। पहले विचार था कि सार्क को भी यूरोपीय यूनियन की तरह से बनाया जाएगा लेकिन यह सपना अब खटाई में पड़ गया है।

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