उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन होने के बाद इंडिया अलाइंस में एक नई जान आ गई है. यूपी में सपा और कांग्रेस के कार्यकर्ता काफ़ी उत्साहित हैं और अब एक नई ताक़त के साथ चुनाव की तैयारी में जुटे हैं. जल्द ही इस गठबंधन में कई और नए छोटे-छोटे दल भी शामिल हो सकते हैं. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इस बात का एलान कर चुके हैं कि और दल भी उनके साथ आएँगे. वहीं अब सपा अध्यक्ष की नज़र मायावती के वोट बैंक पर भी लगी हुई है.
यूपी में कांग्रेस 17 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए राज़ी हो गई हैं. जबकि 63 सीटें सपा और इंडिया गठबंधन में शामिल होने वाले दलों के लिए हैं. इनमें से एक पश्चिमी यूपी की नगीना सीट को सपा आज़ाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर आजाद को दे सकती है. इस बात को लेकर चर्चा है कि सपा यहां चंद्रशेखर आज़ाद को अपना समर्थन देकर उतार सकती है.
मायावती की काट बनेंगे चंद्रशेखर!
दरअसल पश्चिमी यूपी में भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आज़ाद का दलितों के बीच अच्छा ख़ासा प्रभाव है. चंद्रशेखर आज़ाद भी मायावती की जाटव जाति से आते हैं. पश्चिमी यूपी में कुल 22 फ़ीसद दलित वोटर्स हैं इनमें से 12 फ़ीसद जाटू हैं और 10 फ़ीसदी में अन्य दलित जातियां है. ऐसे में चंद्रशेखर आज़ाद को मायावती की काट के तौर पर देखा जा सकता है. उनके आने से बड़ी संख्या में दलित वोटर इंडिया गठबंधन के पाले में आने की उम्मीद है.
चंद्रशेखर को समर्थन देने पर कही ये बात
हाल में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से चंद्रशेखर आज़ाद को टिकट दिए जाने पर सवाल पूछा गया था तो उन्होंने कहा कि वो हमारे यहां हैं. हम देख लेंगे क्या करना है उन्हें लेकर पार्टी में बात कर लेंगे. अखिलेश का ये बयान इसलिए अहम हो जाता है कि बसपा सुप्रीमो मायावती अकेले चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी हैं. ऐसे में चंद्रशेखर को आगे करके अखिलेश दलित मतदाताओं को अपने साथ ला सकते हैं.
सपा अध्यक्ष लगातार यूपी में ओबीसी और दलितों को साथ जोड़ने की कोशिश भी कर रहे हैं. वो कई मंचों से इस बात भी दोहरा चुके हैं अगर लोहिया वादी और अंबेडकरवादी समाज के लोग साथ आते हैं तो उन्हें कोई नहीं हरा सकता. यही नहीं बसपा के कई ऐसे नेता जो बसपा के संस्थापक कांशीराम के साथ राजनीति का पाठ पढ़ चुके हैं वो भी अब सपा के साथ आ गए हैं.