बीजेपी और केंद्र सरकार में ‘कम’ हुई एमपी की धाक, अब ज्योतिरादित्य सिंधिया ही हैं दिल्ली में दमदार!

भोपाल: साल 2023 के आखिरी में मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव ने प्रदेश का राजनीतिक समीकरण को पूरी तरह बदल दिया है। जहां कई केंद्रीय मंत्री अब मध्य प्रदेश में भेज (शिफ्ट) दिए गए हैं। वहीं, केंद्र में मध्य प्रदेश के मंत्रियों की संख्या एकदम से कम हो गई है। अब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया एक मात्र ऐसे नेता हैं जो मध्य प्रदेश की ओर से केंद्र में सबसे मजबूत चेहरा हैं। विधानसभा चुनाव के बाद उनकी स्थिति और मजबूत दिखाई दे रही है।

सिंधिया की मजबूती के पीछे कई कारण हैं। एक तो ग्वालियर, चंबल क्षेत्र के मजबूत नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अब मध्य प्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष बन गए हैं। दूसरे नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल अब मध्य प्रदेश सरकार में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कब काम का संभाल रहे हैं। वहीं, मंडला से सांसद और केंद्रीय मंत्री फगन सिंह कुलस्ते मंडला जिले की निवास विधानसभा सीट से चुनाव हार गए हैं। भले ही वह अब भी केंद्रीय मंत्री का पद संभाल रहे हों, लेकिन विधान सभा में चुनाव के बाद, केंद्र सरकार में उनकी पूछ परख कम हो गई है।

सिंधिया हैं दिल्ली में दमदार

उधर, पूर्व संगठन महामंत्री (महासचिव) कैलाश विजयवर्गीय ने भी पद इस्तीफा दे दिया है। वे अब मध्य प्रदेश में नगरीय प्रशासन मंत्री बन गए हैं। ऐसे में अब ज्योतिरादित्य सिंधिया एकमात्र ऐसे नेता रह गए हैं, जो मजबूती के साथ केंद्र में मध्य प्रदेश का नेतृत्व कर रहे हैं। मध्य प्रदेश के एक और नेता सत्यनारायण जटिया है, जिन्हें साल 2022 में भाजपा संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति का सदस्य बनाया गया है। वह भी प्रभावी चेहरा हैं, लेकिन वे संगठन के मजबूत चेहरे हैं, सरकार में उनका बड़ा दखल नहीं है। अगर सरकार की बात की जाए तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ही मोदी सरकार में मध्य प्रदेश का प्रमुख चेहरा बने हुए हैं।

इसलिए मजबूत हुए सिंधिया

गौरतलब है कि वर्ष 2018 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री वी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने ज्योतिरादित्य सिंधिया (तब कांग्रेस में) को उपेक्षित कर दिया था। उसके बाद से सिंधिया निराश हो गए थे और 11 मार्च 2020 को उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया। बाद सिंधिया समर्थक विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। इसके चलते प्रदेश से कांग्रेस सरकार गिर गई थी। बाद में सिंधिया को भाजपा ने राज्यसभा भेजा और उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया।

नवंबर 2023 में प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में तीन केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते को विधानसभा चुनाव में मैदान में उतर गया था। इनमें से तोमर और पटेल चुनाव जीत गए। जबकि कुलस्ते हार गए। तत्कालीन भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी विधानसभा चुनाव जीते हैं। इसके बाद अब केंद्र में मध्य प्रदेश के नेताओं की उपस्थिति बहुत कम हो गई है। इस कारण केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ही एकमात्र चेहरे हैं, जो मध्य प्रदेश का नेतृत्व मोदी सरकार में कर रहे हैं। सिंधिया का ससुराल गुजरात का बड़ौदा राजघराना है। यही कारण है कि वे पीएम नरेंद्र मोदी के और करीबी हो गए हैं।

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