भारत और मालदीव के बीच राजनयिक विवाद की शुरुआत हो गई है. मालदीव की राजधानी माले में मौजूद भारतीय उच्चायुक्त को देश के विदेश मंत्रालय ने समन भेजा है. द्वीपीय देश की तरफ से ये कदम तब उठाया गया है, जब भारत ने भी नई दिल्ली में मौजूद मालदीव के राजदूत को तलब किया था. भारत की तरफ से लिए गए राजनयिक एक्शन के कुछ ही घंटों के भीतर ही मालदीव में रिएक्शन देखने को मिला है.
मालदीव में मौजूद भारतीय उच्चायोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उच्चायुक्त को मिले समन की जानकारी दी. उच्चायोग ने ट्वीट किया, ‘मालदीव में भारत के उच्चायुक्त मुनु महावर ने आज मालदीव के विदेश मंत्रालय के राजदूत डॉ अली नसीर मोहम्मद के साथ एक पूर्व-निर्धारित बैठक की. इस बैठक में दोनों राजनयिकों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की है.’ मुनु महावर ने नवंबर 2021 में मालदीव में भारतीय उच्चायुक्त की जिम्मेदारी संभाली थी.
मालदीव के राजदूत को किया गया तलब
दरअसल, भारतीय उच्चायुक्त को ऐसे समय पर समन भेजा गया है, जब सोमवार (8 जनवरी) को भारत में मालदीव के राजदूत इब्राहिम साहिब को समन किया गया. राजदूत इब्राहिम से मालदीव के कई मंत्रियों के जरिए भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई टिप्पणियों पर कड़ी चिंता व्यक्त की गई. वहीं, मालदीव सरकार ने पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों को लेकर रविवार को ही तीन डिप्टी मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया.
नए राष्ट्रपति के आगमन से बिगड़े रिश्ते
भारत और मालदीव के रिश्ते काफी पुराने हैं. मालदीव को जब भी संकट का सामना करना पड़ा है, तब-तब भारत उसकी मदद के लिए आगे आया है. कोरोनावायरस महामारी के दौरान भारत ने वैक्सीन की खेप मालदीव को पहुंचाई थी. इसके अलावा 2014 में जब मालदीव में पानी का संकट खड़ा हो गया था, तब भारत ने अपने जहाजों में पानी भरकर देश के लोगों की प्यास बुझाई थी. हालांकि, हाल के सालों में मालदीव में भारत विरोधी अभियान की शुरुआत हुई है.
मालदीव में हाल ही में राष्ट्रपति चुनाव जीतने वाले मोहम्मद मोइज्जु के आगमन के साथ तो दोनों देशों के रिश्ते और भी ज्यादा बिगड़ गए हैं. राष्ट्रपति मोइज्जु को चीन समर्थक माना जाता है और ऐसा उनके शपथ लेते ही साबित भी हो गया. मोहम्मद मोइज्जू ने राष्ट्रपति बनते ही मालदीव की सुरक्षा के लिए तैनात भारतीय सैनिकों को यहां से जाने को कहा. उन्होंने अपने चुनाव अभियान के दौरान ही ‘इंडिया आउट’ मुहिम चलाई थी. उनकी सरकार भारत के खिलाफ रही है.
क्या है मौजूदा विवाद?
दरअसल, जनवरी के पहले हफ्ते में प्रधानमंत्री मोदी ने लक्षद्वीप की यात्रा की और वहां की कुछ तस्वीरों को शेयर किया. इसके बाद सोशल मीडिया पर चर्चा होने लगी कि भारत मालदीव के विकल्प के तौर पर लक्षद्वीप को तैयार कर रहा है. इसे लेकर मालदीव के कुछ नेताओं को मिर्ची लग गई और उन्होंने भारत और पीएम मोदी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करना शुरू कर दिया. आपत्तिजनक टिप्पणी करने वालों में मालदीव के डिप्टी मंत्री भी शामिल रहे.
मालदीव की मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, युवा मंत्रालय में डिप्टी मंत्री- मालशा शरीफ, मरियम शिउना और अब्दुल्ला महजूम माजिद ने लक्षद्वीप की यात्रा के बाद प्रधानमंत्री मोदी के पोस्ट के लिए उनकी आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि यह केंद्र शासित प्रदेश को मालदीव के वैकल्पिक पर्यटन स्थल के रूप में पेश करने का एक प्रयास है. उन्होंने कुछ आपत्तिजनक शब्दों का भी इस्तेमाल किया. इसके बाद मालदीव सरकार ने तीनों को सस्पेंड कर दिया.