आप नेता अमानतुल्लाह खान पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, वक्फ संशोधन बिल को दी चुनौती

आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। खान ने कहा कि यह विधेयक मुसलमानों की धार्मिक और सांस्कृतिक स्वायत्तता को कम करता है। इतना ही नहीं मनमाने कार्यकारी हस्तक्षेप को सक्षम बनाता है। वहीं धार्मिक और धर्मार्थ कार्यों का प्रबंधन करने के अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कमजोर करता है।

वक्फ बिल के खिलाफ शीर्ष कोर्ट पहुंचे कांग्रेस-ओवैसीवक्फ संशोधन बिल के संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद कांग्रेस और एआईएमआईएम ने इसकी वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी-अपनी याचिकाओं में कहा है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक सांविधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है।जावेद ने आरोप लगाया है कि विधेयक वक्फ संपत्तियों और उनके प्रबंधन पर मनमाने प्रतिबंध लगाता है, जिससे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता कमजोर होती है। याचिका में कहा गया है कि प्रस्तावित कानून मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव करता है क्योंकि इसमें ऐसे प्रतिबंध लगाए गए हैं, जो अन्य धार्मिक बंदोबस्त में मौजूद नहीं हैं।विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य रहे बिहार के किशनगंज से लोकसभा सांसद ने कहा कि यह किसी के धार्मिक अभ्यास की पांच साल की अवधि के आधार पर वक्फ करने पर प्रतिबंध लगाता है। इस तरह की सीमा इस्लामी कानून या प्रथा में निराधार है और अनुच्छेद 25 के तहत धर्म को मानने और उसका पालन करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है।

याचिका में दावा किया गया है कि प्रतिबंध उन लोगों के खिलाफ भेदभाव करता है, जिन्होंने हाल ही में इस्लाम धर्म अपनाया है और धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए संपत्ति दान करना चाहते हैं। याचिका में कहा गया है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों की प्रकृति निर्धारित करने की शक्ति जैसे प्रमुख प्रशासनिक कार्यों को वक्फ बोर्ड से जिला कलेक्टर को सौंपता है। यह हस्तांतरण वक्फ प्रबंधन की स्वायत्तता को कमजोर करता है और अनुच्छेद 26 (डी) का उल्लंघन करता है।वहीं, एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी याचिका में इस विधायक को संविधान के खिलाफ और अवैध बताया है। उन्होंने कहा कि इसके प्रावधान संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का सरासर उल्लंघन है और इसे निरस्त किया जाना चाहिए। वक्फ संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों से पारित हो चुका है। राज्यसभा में 128 सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में और 95 ने विरोध में वोट दिया। वहीं, लोकसभा में 288 सदस्यों ने इसका समर्थन किया, जबकि 232 इसके खिलाफ थे।विधेयक के खिलाफ कई राज्यों में प्रदर्शनवक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ शुक्रवार को कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन हुआ। जुमे की नमाज के बाद पश्चिम बंगाल, गुजरात, बिहार, झारखंड, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और असम सहित कई राज्यों में मुस्लिम समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए। प्रदर्शन में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हुए।

उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में पुलिस हाई अलर्ट पर है। फ्लैग मार्च जारी है। लखनऊ में दरगाहों और मस्जिदों की ड्रोन से निगरानी की जा रही है। कोलकाता और अहमदाबाद में सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने वक्फ विधेयक को वापस लेने के लिए नारेबाजी की। पुलिस ने अहमदाबाद में विरोध प्रदर्शन करने पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) की गुजरात इकाई के अध्यक्ष और उनके करीब 50 सदस्यों को हिरासत में लिया।

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