वक्फ बिल पर तत्काल सुनवाई करें मीलॉर्ड; सिब्बल और सिंघवी की अर्जी पर CJI ने बता दिया

वक्फ संशोधन विधेयक की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली अर्जियां सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं। इन अर्जियों पर तत्काल सुनवाई करने की मांग सीनियर वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत में उठाई है। इस पर सोमवार को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने कहा कि अदालत में केसों की लिस्टिंग की एक मजबूत व्यवस्था है। इस तरह मौखिक तौर पर नहीं कहा जा सकता कि आप इस केस की तत्काल सुनवाई करें। यदि आपको किसी केस को अर्जेंट लिस्ट कराना है तो फिर उसके लिए पत्र लिखें और वह मेरे समक्ष लाया जाए। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि ऐसा पत्र पहले ही लिखकर जमा किया जा चुका है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि ठीक है फिर जब मेरे पास पत्र आ जाएगा तो मैं जरूरी कदम उठाऊंगा।

जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि ऐसी सभी अर्जियां मेरे समक्ष दोपहर में रखी जाती हैं। ऐसे में उसके लिए अलग से जिक्र करने की कोई जरूरत नहीं है। कपिल सिब्बल का कहना था कि अदालत तुरंत उस अर्जी की सुनवाई करे, जिसे जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के मुखिया मौलाना अरशद मदनी ने दायर किया है। ऐसी ही मांग अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और निजाम पाशा ने भी दोहराई। इन लोगों का कहना है कि वक्फ बिल असंवैधानिक है और कोर्ट को उसे खारिज कर देना चाहिए। पाशा और सिंघवी की ओर से उस अर्जी पर प्रतिनिधित्व किया जा रहा है, जिसे AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने दाखिल किया है। इस पर भी चीफ जस्टिस ने साफ कहा कि हम किसी मामले की लिस्टिंग से पहले उसके बारे में जानते हैं।

वक्फ बिल के खिलाफ दायर याचिकाओं में ऐक्ट को ही चैलेंज किया गया है। इस ऐक्ट में वक्फ बोर्ड के संचालन, रेगुलेशन के नियमों में बड़े बदलाव किए गए हैं। इसके तहत अब आदिवासी इलाकों में किसी संपत्ति को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता। इसके अलावा किसी मामले में वक्फ ट्राइब्यूनल के अलावा स्थानीय अदालतों से लेकर ऊपरी अदालतों तक में केस दाखिल हो सकते हैं औऱ उनका फैसला ही अंतिम माना जाएगा। मोदी सरकार का कहना है कि नए विधेयक से वक्फ बोर्ड का संचालन अच्छे से होगा और व्यवस्था में सुधार किया जा सकेगा। सरकारी सूत्रों का कहना है कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर मुतवल्लियों यानी केयरटेकर्स ने ही अवैध कब्जा जमा रखआ है।

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