एग्जिट पोल्स के नतीजों पर सतर्क हुई कांग्रेस, हॉर्स ट्रेडिंग से बचने के लिए प्लान हैं तैयार

पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल ने राजनीतिक पार्टियों, खासतौर से कांग्रेस और भाजपा को, खुश होने का मौका दे दिया है। हालांकि एग्जिट पोल एक अनुमान होता है, लेकिन इसके बावजूद सियासत के मौजूदा दौर में इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। दोनों ही पार्टियों ने एग्जिट पोल के अनुमानों के बाद आगे की रणनीति पर विचार शुरू कर दिया है। कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने इस बात से इनकार नहीं किया है कि वे सतर्क नहीं हैं। उन्होंने माना कि पार्टी, भले ही एग्जिट पोल को अंतिम नतीजा नहीं मान रही, लेकिन कई मायने में इस रिजल्ट को हल्के में भी नहीं ले रही। चुनावी राज्यों के प्रभारियों, प्रदेशाध्यक्षों और वरिष्ठ नेताओं के साथ बातचीत शुरू हो गई है। सरकार बनाने के लिए कई विकल्पों पर विचार हो रहा है। खास बात है कि इस बार कांग्रेस पार्टी में किसी भी तरह से कोई टूट न होने पाए, इसके लिए प्लान ‘ए’ से लेकर ‘डी’ सब तैयार किए जा रहे हैं। ‘हॉर्स ट्रेडिंग’ फैक्टर, कांग्रेसी विधायकों के नजदीक न आने पाए, इसके लिए पुख्ता रणनीति तैयार की जा रही है।

मध्यप्रदेश में कुछ एग्जिट पोल के नतीजों ने भाजपा को बंपर जीत का भरोसा दिया है, लेकिन कांग्रेस पार्टी उससे चिंतित नहीं है। कांग्रेस के नेता भी कमर कस चुके हैं। मध्यप्रदेश कांग्रेस के नेता कमलनाथ ने आह्वान किया है कि कांग्रेस के सभी कार्यकर्ता पूरी ताकत से मैदान में आ जाएं। भाजपा चुनाव हार चुकी है। कुछ एग्जिट पोल जानबूझकर इसलिए बनाए गए हैं कि कांग्रेस कार्यकर्ता निराश हों और झूठा माहौल दिखाकर अधिकारियों पर दबाव बनाया जाए। यह षड्यंत्र कामयाब होने वाला नहीं है। कांग्रेस के सभी पदाधिकारी, जिला अध्यक्ष, जिला प्रभारी, मोर्चा संगठनों के प्रमुख और प्रकोष्ठ के पदाधिकारी अपने-अपने काम में जुट जाएं और निष्पक्ष मतगणना कराएं। हम सब जीत के लिए तैयार हैं। हम सब एकजुट हैं। आपको कोई भी समस्या लगती है तो आप सीधे मुझसे बात करें। 3 दिसंबर को कांग्रेस पार्टी की सरकार बन रही है।

कांग्रेसी नेता के मुताबिक, पार्टी का अपना सर्वे, मध्यप्रदेश में भी उत्साहवर्धक है। यहां पर कांग्रेस पार्टी को एक ही चिंता है कि कांटे की टक्कर में कहीं भाजपा, किन्हीं हथकंडों की मदद से सत्ता पर काबिज न हो जाए। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी, 15 साल बाद सत्ता में लौटी थी। कमलनाथ ने सरकार बनाई, लेकिन 15 माह बाद ही पासा पलट गया। हालांकि 230 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 116 सीटें चाहिए। कांग्रेस पार्टी के हिस्से 114 सीटें आई थीं। कांग्रेस ने बसपा, सपा और निर्दलीयों के समर्थन से सरकार बनाई। भाजपा के खाते में 109 सीटें आई थीं।

कांग्रेस नेता ने बताया, भले ही राजस्थान को लेकर कुछ एग्जिट पोल, कांग्रेस और भाजपा में तगड़ी फाइट बता रहे हैं। कई जगहों पर भाजपा को आगे बताया जा रहा है। यहां पर भी कांग्रेस पार्टी खुद को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है। तेलंगाना में कांग्रेस की एकतरफा जीत बताई जा रही है। छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस को बढ़त है। पार्टी को 40-50 सीटें मिलने का अनुमान बताया गया है। राजस्थान में एक्सिस माई इंडिया और टुडेज चाणक्या ने कांग्रेस की बढ़त बताई है। इन अनुमानों में कांग्रेस को 86 से 106 सीटें मिल सकती हैं।

दूसरी तरफ, एक एजेंसी के सर्वे में भाजपा को 108 से 128 सीटें मिलने का दावा किया जा रहा है। कांग्रेस पार्टी, राजस्थान और मध्यप्रदेश को लेकर सतर्कता बरत रही है। इसके लिए पार्टी ने वरिष्ठ पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंप दी है। ए, बी, सी व डी प्लान के तहत कई बातें शामिल हैं। जैसे, अगर पार्टी, सरकार के गठन से पांच-छह विधायक दूर हैं, दोनों ही दल लगभग बराबरी पर हैं, निर्दलीयों की स्थिति क्या है, छोटे दलों के साथ क्या बातचीत होनी है, इन सब बातों पर विचार किया जा रहा है। ये तय है कि कांग्रेस पार्टी अगर बहुमत के आंकड़े के करीब है तो सरकार बनाने का प्रयास करेगी। ऐसे दलों के साथ बातचीत की जाएगी, जिनकी विचारधारा कांग्रेस या इंडिया गठबंधन के एजेंडे से मेल खाती है। दूसरा, हॉर्स ट्रेडिंग से कांग्रेसी विधायकों को बचाकर रखा जाएगा। कुछ वरिष्ठ नेताओं को छोटे ग्रुपों में विधायकों को संभालकर रखने की जिम्मेदारी दी गई है।

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