संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने सुरक्षा परिषद में सुधार की प्रगति की रफ्तार पर भारत की ओर से असंतोष प्रकट करते हुए कहा कि कुछ देश हैं जो यथास्थिति पसंद करते हैं। उन्होंने कहा कि साथ ही किसी भी कीमत पर स्थायी श्रेणी में विस्तार का विरोध करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके पड़ोसी देशों को सदस्य बनने का अवसर मिल सकता है।
हरीश ने एक संवाद सत्र में कहा, ‘सुरक्षा परिषद का आज का ढांचा 1945 की स्थिति झलकाता है। यह आज की वास्तविकताओं को नहीं झलकाता।’ उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी के ‘स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स’ (एसआईपीए) में एक कार्यक्रम में ‘प्रमुख वैश्विक चुनौतियों पर प्रतिक्रिया: भारत का तरीका’ विषय पर व्याख्यान दिया।
उन्होंने उन्नत बहुपक्षवाद, आतंकवाद, जनसांख्यिकी, भारत की डिजिटल क्रांति से लेकर देश के युवा, जलवायु परिवर्तन, लोकतंत्र, स्वास्थ्य सेवा और टीकों जैसे प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर ‘भारत के तरीकों’ का विस्तृत अवलोकन दिया।
हरीश ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवीय क्षेत्र में ‘बहुत बढ़िया काम’ करता है, जो दुनिया भर में करोड़ों लोगों की मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करता है, साथ ही विकास के क्षेत्र में – बच्चों के स्वास्थ्य, सार्वजनिक स्वास्थ्य और श्रम के क्षेत्र में अपने विशेष संस्थानों के माध्यम से वह काम करता है।
उन्होंने कहा, ‘फिर भी आम आदमी के लिए उनकी धारणा, जिस नजरिए से वे संयुक्त राष्ट्र को देखते हैं, वह न तो मानवीय आयाम वाली है, न ही विकास आयाम या सार्वजनिक स्वास्थ्य आयाम वाली है। वे केवल यूक्रेन और पश्चिम एशिया जैसे क्षेत्रों में संघर्षों को रोकने में संयुक्त राष्ट्र की अक्षमता को देखते हैं। यही उनका दृष्टिकोण है और शायद यही एकमात्र पैमाना है जिससे वे संयुक्त राष्ट्र की दक्षता का आकलन करते हैं।’
हरीश ने प्रमुख व्याख्यान के बाद एक पैनल चर्चा में कहा कि इस बात पर आम सहमति है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘हां, इसमें सुधार की आवश्यकता है। इसमें विस्तार की आवश्यकता है। हालांकि कई देश यथास्थिति को प्राथमिकता देते हैं। जो पहले से ही स्थायी सदस्य हैं, वे इसे खाली नहीं करना चाहते हैं। जो पहले से ही स्थायी सदस्य हैं, वे वीटो को छोड़ना नहीं चाहते हैं। जो लोग महसूस करते हैं कि उनके पड़ोसियों को सदस्य बनने का मौका मिल सकता है, वे हर कीमत पर स्थायी श्रेणी में विस्तार का विरोध करेंगे।’
हरीश ने कहा, ‘देश इस तरह से बर्ताव करते हैं, बहुत कुछ लोगों की ही तरह।’ पाकिस्तान उस समूह का हिस्सा है जो भारत और जी4 के अन्य सदस्य देशों ब्राजील, जर्मनी और जापान के लिए सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट का विरोध करता है।
परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका ने सुरक्षा परिषद में सुधार के बाद उसमें स्थायी सदस्यता के भारत के प्रयास का पुरजोर समर्थन किया है।
चीन ने कहा है कि सुरक्षा परिषद में सुधार बहुपक्षीय शासन प्रणाली में सुधार का महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन उसने कुछ देशों और समूहों के तरीके की ओर इशारा किया है जो परिषद में सुधार की बात आने पर अपने खुद के हितों की बात करते हैं। हरीश ने प्रक्रिया को बहुत मुश्किल और जटिल बताया है।