भगवा रंग से बचें, तुलसी की माला छिपाएं, तिलक पोंछ दें और अपना सिर ढकें… यह सलाह अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कॉन) कोलकाता ने बांग्लादेश में अपने सहयोगियों और अनुयायियों को दी है. ताकि वो पड़ोसी देश में कट्टरपंथियों से बच सकें और अपनी रक्षा कर सकेंगे. इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने कहा कि मंदिरों और घरों के अंदर ही अपने धर्म का पालन करें, लेकिन बाहर निकलते समय सावधानी बरतें. उन्होंने कहा कि मैं सभी साधुओं और सदस्यों को सलाह देता रहा हूं कि संकट की इस घड़ी में खुद को बचाने की हर संभव कोशिश करें. मैं उन्हें भगवा कपड़े पहनने और माथे पर तिलक लगाने से बचने की सलाह देता हूं.
एक अंग्रेजी अखबार की खबर के अनुसार, राधारमण दास ने अपील की है कि अगर वो भगवा धागा पहनना चाहते हैं, तो इस तरह से पहने कि यह कपड़ों के अंदर छिपा रहे और गर्दन के आसपास दिखाई न दे. उन्हें हर संभव उपाय करना चाहिए, जिससे वे साधुओं की तरह न दिखें.”
बांग्लादेश में पुलिस ने रविवार को 54 इस्कॉन सदस्यों को भारत आने से रोका था.
इन्हें बेनापोल सीमा चौकी से वापस भेजा गया था. हालांकि, उनके पास वैध यात्रा दस्तावेज थे.
बांग्लादेश पुलिस ने ‘संदिग्ध यात्रा’ का हवाला देते हुए उन्हें आगे बढ़ने की इजाजत नहीं दी थी.
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं पर हमलों को लेकर भारत चिंता व्यक्त करता रहा है.
हिंदुओं पर बढ़ते जा रहे हैं हमले
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों और इस्कॉन भिक्षुओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ रही है. हाल ही में बांग्लादेश में आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास का एक कानूनी मामले में बचाव करने वाले अधिवक्ता रमन रॉय पर बर्बर हमला किया गया है और उनकी हालत बेहद गंभीर है. पश्चिम बंगाल के कोलकाता स्थित अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) के प्रवक्ता राधारमण दास ने इस हमले की जानकारी देते हुए बताया कि रॉय के घर में घुसकर तोड़फोड़ की और उन पर हमला किया. उन्होंने कहा कि रॉय का एकमात्र ‘कसूर था कि उन्होंने अदालत में चिन्मय कृष्ण दास का बचाव किया था. इस्कॉन कोलकाता के प्रवक्ता ने दावा किया कि इस हमले में रॉय गंभीर रूप से घायल हो गए हैं और वह फिलहाल आईसीयू में हैं.
“”बांग्लादेश में 17 करोड़ की आबादी में हिंदुओं की आबादी आठ प्रतिशत है. देश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर 50 से अधिक जिलों में 200 से अधिक हमले दर्ज किए गए हैं.””
उल्लेखनीय है कि मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में देश में अंतरिम सरकार के गठन के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं पर इस्लामी तत्वों द्वारा गंभीर हमला किया गया है. पिछले सप्ताह, बांग्लादेश सम्मिलित सनातन जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास, जो इस्कॉन बांग्लादेश से भी जुड़े हैं, उनकी गिरफ्तारी और जमानत से इनकार के बाद भारत ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में आगजनी और लूटपाट के साथ-साथ चोरी, तोड़फोड़ और देवी-देवताओं की मूर्तियों और मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले दर्ज हैं.
क्या है पूरा मामला
बांग्लादेश में स्थिति तब से तनावपूर्ण है जब आध्यात्मिक उपदेशक चिन्मय कृष्ण दास पर 25 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया. उन पर चटगांव में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराने के आरोप में देशद्रोह का आरोप लगाया गया. दास की गिरफ्तारी के बाद, 27 नवंबर को चटगांव कोर्ट बिल्डिंग क्षेत्र में पुलिस और आध्यात्मिक गुरु के कथित अनुयायियों के बीच झड़प के दौरान एक वकील की मौत हो गई थी. शुक्रवार को, भारत ने बांग्लादेश में ‘चरमपंथी बयानबाजी, हिंसा और उकसावे की बढ़ती घटनाओं’ पर चिंता व्यक्त की थी. विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत ने बांग्लादेशी सरकार के साथ हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर लक्षित हमलों का मुद्दा लगातार मजबूती के साथ उठाया है.
संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप करने की मांग की
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर कथित हमलों के खिलाफ सोमवार को प्रदर्शन किया. अत्याचारों को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप करने की मांग की. दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन में हिस्सा लेनेवाले लोगों ने बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा की मांग करते हुए नारेबाजी की.