भोपाल। मध्य प्रदेश में लोकतंत्र का महापर्व यानी मतदान शुक्रवार को संपन्न हो गया। वर्ष 2008, 2013 और 2018 में हुए तीन विधानसभा चुनावों से ज्यादा मतदान कर उत्साहित मतदाताओं ने पुराना रिकार्ड तोड़ दिया। अधिक मतदान के मायने और संकेतों को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है।
मतदाताओं के इस उत्साह के कारणों की चर्चा भी हो रही है। ‘नईदुनिया’ ने भी इसकी वजह तलाशने का प्रयास किया कि मतदान का रुझान हर चुनाव में क्यों बढ़ रहा है। निश्चित तौर पर मतदान के लिए जागरूकता तो बड़ा कारण है ही, एक बड़ी वजह ‘मोदी मैजिक’ भी है। हम बात आरंभ करते हैं वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव से, तब नरेंद्र मोदी भाजपा का चेहरा नहीं थे। तब मध्य प्रदेश में 69.52 प्रतिशत मतदान हुआ था। इसमें भाजपा को 36.81 प्रतिशत वोट मिले और सरकार बन गई।
2013 में मोदी भाजपा का चेहरा बन गए
वर्ष 2013 में मोदी भाजपा का चेहरा बन गए थे और इसी मोदी लहर में मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हुए। वर्ष 2013 में 72.69 प्रतिशत मतदान हुआ यानी तीन प्रतिशत से अधिक मतदान बढ़ा। भाजपा का मत प्रतिशत भी बढ़कर 44.87 तक पहुंच गया। कहीं न कहीं इसके पीछे मोदी का चेहरा ही था।
भाजपा की लोकप्रियता कम हुई
वर्ष 2018 के चुनाव में भी तीन प्रतिशत की वृद्धि के साथ मतदान का प्रतिशत 75.63 हो गया हालांकि भाजपा का मत प्रतिशत घटकर 41.02 पर आ गया। इस चुनाव को भाजपा ने स्थानीय चेहरों को सामने रखकर लड़ा था। यही कारण रहा कि मतदान बढ़ने के बावजूद भाजपा की लोकप्रियता (मत प्रतिशत) कम हो गई। इसे हम दूसरे दृष्टिकोण से भी समझ सकते हैं कि विधानसभा चुनाव के बाद जब लोकसभा चुनाव वर्ष 2019 में हुए तो भाजपा का मत प्रतिशत बढ़कर 58 हो गया।
मोदी मैजिक दिखा सकता है कमाल
वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में ‘एमपी के मन में मोदी- मोदी के मन में एमपी’ के नारे के साथ भाजपा ने यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा सामने रखकर चुनाव लड़ा। जनता ने भी इसे स्वीकारा और मत प्रतिशत का नया रिकार्ड बनाया। स्वाभाविक तौर पर ‘मोदी मैजिक’ के कारण मतदाताओं में यह उत्साह दिखाई दिया है।