क्या होता है डेटोनेटर, जिसके जरिए आर्मी की स्पेशल ट्रेन को उड़ाने की गई साजिश, NIA कर रही जांच

नई दिल्ली: देश में यात्री ट्रेनों के बाद अब आर्मी की स्पेशल ट्रेन को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया गया है। ताजा घटना 18 सितंबर को मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले के नेपानगर इलाके से सामने आई है। जहां रेलवे ट्रैक पर 10 मीटर की दूरी में पटाखे जैसी तेज आवाज करने वाले 10 डेटोनेटर लगा दिए गए। इनके ऊपर से आर्मी की स्पेशल ट्रेन गुजरी। डेटोनेटर फटने से हुई तेज आवाज से सकते में आए लोको पायलट ने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन रोकी। फिलहाल, जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं मिली है।

आर्मी की ट्रेन को नुकसान पहुंचाने की कोशिश

शुरुआती तफ्तीश में सामने आया है कि यह डेटोनेटर रेलवे ने नहीं बल्कि अज्ञात लोगों ने लगाए थे। जिनका मकसद आर्मी ट्रेन को किसी न किसी रूप में नुकसान पहुंचाने का था। डेटोनेटर एक्सपायर बताए गए हैं। घटना की संवेदनशीलता को देखते हुए इसमें मध्यप्रदेश पुलिस के साथ-साथ एनआईए भी जांच में जुटी है। मामला आर्मी से जुड़ा होने की वजह से इसमें खासी गोपनीयता बरती जा रही है। मामले में सेंट्रल रेलवे के सीपीआरओ डॉक्टर स्वप्निल नीला से बात की गई। उन्होंने इस घटना की तो पुष्टि की, लेकिन साथ में यह भी कहा कि मामला आर्मी से जुड़ा होने की वजह से इस बारे में और जानकारी साझा नहीं की जा सकती। तफ्तीश जारी है।

रेलवे के डेटोनेटर से रची साजिश

रेलवे सूत्रों ने बताया कि आमतौर पर रेलवे तेज आवाज करने वाले डेटोनेटर कोहरे और ऐसी स्थिति में इस्तेमाल करता है। जहां ट्रेन को एक तय समय से पहले इमरजेंसी में रोकना होता है। ऐसे में जहां ट्रेन को रोकना होता है, वहां से करीब 1200 मीटर पहले यह तीन स्टेज पर तीन डेटोनेटर लगाए जाते हैं। लेकिन इस घटना में केवल 10 मीटर की दूरी में ही 10 डेटोनेटर लगा दिए गए थे। शुरुआती जांच में पता लगा है कि यह डेटोनेटर रेलवे के ही थे। जिन्हें चोरी किया गया। हो सकता है कि और भी डेटोनेटर चोरी किए गए हों।

रेलवे की पकड़ में नहीं आ पा रहे आरोपी

पिछले कुछ समय से लगातार ट्रेनों को पटरी से उतारने की कोशिशें की जा रही हैं। लेकिन एक भी बड़ी घटना में रेलवे असल आरोपी तक नहीं पहुंच पाई है। दावा किया जा रहा है कि आरपीएफ और जीआरपी समेत गैंगमैन और लाइनमैनों की पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि एक भी घटना में कोई आरोपी रेलवे लाइन पर इस तरह का ऑब्जेक्ट रखते हुए रंगे हाथों नहीं पकड़ा जा सका है। आखिर आरपीएफ और जीआरपी की इंटेलिजेंस बार-बार क्यों फेल हो रही है। अगर इस तरह की साजिश करने वालों को जल्द नहीं पकड़ा गया तो आशंका है कि देश में कहीं कोई बड़ा हादसा ना हो जाए।

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