असम में हिंदू अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं. असम में हिंदुओ पर अत्याचार हो रहा है. उन्हें अपने घर-बार छोड़ कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा है. इसकी बड़ी वजह है बांग्लादेशी मूल के मुसलमान. यह आरोप कोई और नहीं, खुद मुख्यमंत्री हिमांता बिस्वा सरमा का है. लेकिन इस आरोप में कितनी सच्चाई है? पिछले दिनों हमने आपको बारपेटा से ग्राउंड रिपोर्ट बताई थी. आज हम आपको नगांव से ग्राउंड रिपोर्ट बताएंगे, जो वहां की असलियत बता रही है. यहां हिंदू समाज के लोग डरे हुए हैं लेकिन क्यों.
असम को मियां मुसलमानों का असम नहीं बनने देंगे’
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा शपथ ले चुके हैं कि वो असम को मियां मुसलमानों का असम नहीं बनने देंगे. सवाल है कि क्या असम में हिंदू खतरे में हैं. हिंदुओं की संख्या घट रही है. ऐसे ही सच को जानने के लिए बारपेटा के बाद ZEE NEWS की टीम असम के नगांव जिले पहुंची है, जहां हिंदू आबादी लगातार घट रही है.
ये बेहद ही चौंकाने वाला खुलासा है. इससे पहले की हम सच्चाई की और परतों को खोलें.. पहले आप को बता दें कि पिछले 24 अगस्त को नगांव के धींग में एक नाबालिग के साथ गैंग रेप की घटना हुई थी. जिसमें पीड़िता हिंदू थी और और आरोपी मुस्लिम थे.
नगांव छोड़कर क्यों जा रहे हिंदू?
इस घटना के बाद असम के सीएम हिमंता ने भी कहा था कि साज़िश के तहत हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है. ऐसी ही घटनाओं के बाद अब ध्यान इस और जा रहा है कि नगांव में क्यों हिंदू समुदाय के लोग खुद को डरा हुआ बता रहे है.
वैसे आपको बता दें कि नगांव आसामिया हिंदुओं की आस्था का केंद्र भी है. ऐसे में इस डर के साये में रह रहे लोग मंदिर के पांच किलोमीटर तक के इलाकों की रक्षा खुद ही कर रहे हैं.
दस साल में 4 प्रतिशत घट गए हिंदू
आपको बता दें कि 2011 की जनगणना के अनुसार, नगांव में 61.47% हिंदू और 34.22% मुसलमान थे. अब मुस्लिमों की आबादी 41 प्रतिशत है, जबकि हिंदुओं की आबादी घटकर 57 प्रतिशत हो चुकी है, जो पिछले स्तर से कम है. असम में 12 से 13 जिलों में हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं.
सूत्रों के मुताबिक असम में हर 10 साल में मुस्लिम आबादी 11 लाख बढ़ जाती है. हिंदुओं के इस डर पर मुस्लिम समाज सीधे तौर पर असम सरकार को जिम्मेदार बताता है. जाहिर है मुस्लिम समुदाय इसे राजनीति से जोड़ रहा है..तो वहीं हिंदू समाज की चिंता घटती संख्या के साथ बढ़ती जा रही है.
सरकार ने बिप्लब शर्मा कमेटी की रिपोर्ट स्वीकार की
सरकार इसे मुस्लिम एग्रेशन कह रहा है, मुस्लिम पक्ष सरकारी पक्ष की राजनीति करार दे रहा है. इस बीच जस्टिस बिप्लब कुमार शर्मा के रिपोर्ट से 52 शिफारिश सरकारें ने ग्रहण कर लिया है, जिसमे असमिया लोगो की संस्कृति, भाषा और जमीन के अधिकार को अहमियत दी गई है.