लाओस में भारतीय युवाओं के साथ अमानवीय बर्ताव के हैरान करने वाले मामले सामने आए हैं। भारतीयों को टारगेट पूरा न करने पर बिजली के झटके दिए जाते थे और भूखा तक रखा जाता था। दरअसल इन भारतीय युवाओं को लाओस में मानव तस्करी कर ले जाया गया था। उन्होंने सोशल मीडिया पर संभावित पीड़ितों से दोस्ती करने का टारगेट दिया जाता था। अगर वे अपना टारगेट पूरा नहीं कर पाते तो उन्हें बिजली के झटके दिए जाते थे। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मंगलवार को इस हाई-प्रोफाइल मानव तस्करी और साइबर धोखाधड़ी मामले में चार्जशीट दाखिल की है।
NIA ने लाओस स्थित लॉन्ग शेंग कंपनी के सीईओ सुदर्शन दराडे के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। इसमें कहा गया है कि भारतीय युवाओं को निजी कमरों में भूखा रखने और कोड़े मारने जैसी अमानवीय सजाएं भी दी गईं। भारत भर से सैकड़ों युवाओं को लाओस में उच्च स्तरीय नौकरियों का झांसा देकर बुलाया गया, जहां उन्हें साइबर अपराधों में मजबूर किया गया। इस मामले में सुदर्शन दराडे को मुख्य आरोपी बताया गया है।
दराडे नासिक का निवासी है और इस साल जून में एनआईए मुंबई द्वारा गिरफ्तार किया गया था। दराडे इस मामले में चार्जशीट किया गया छठा आरोपी है और जैरी जैकब और गॉडफ्रे अल्वारेस के बाद गिरफ्तार होने वाला तीसरा व्यक्ति है। तीन और लोग, जिनमें दो विदेशी नागरिक भी शामिल हैं, वे इस मामले में फरार घोषित किए गए हैं। एनआईए ने दराडे के मोबाइल फोन से भारी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री बरामद की है। दराडे ने एनआईए को फरार आरोपियों सनी गोंसाल्वेस, विदेशी नागरिक निउ निउ और एल्विस डू के बारे में जानकारी दी है।
जांच में खुलासा हुआ है कि दराडे की कंपनी लॉन्ग शेंग लाओस के बोकेओ प्रांत में स्थित है। यह युवा भारतीयों को बैंकॉक के रास्ते गोल्डन ट्रायंगल लाओस पीडीआर में तस्करी करके ले जाती थी। कंपनी युवाओं के साथ व्हाट्सएप इंटरव्यू करती थी और उन्हें नौकरी के नियुक्ति पत्र भेजती थी। दराडे के निर्देश पर जैकब इन युवाओं को गोल्डन ट्रायंगल लाओस ले जाने की व्यवस्था करता था। लेकिन जब ये युवा लाओस पहुंचते, तो उन्हें क्रिप्टोकरंसी से जुड़ी ऑनलाइन धोखाधड़ी करने के लिए मजबूर किया जाता था।
जांच में यह भी सामने आया कि जो युवा साइबर धोखाधड़ी करने से मना करते थे, उन्हें बंद कमरों में भूखा रखा जाता था और कोड़े मारे जाते थे। यहां तक कि जो युवा सोशल मीडिया पर संभावित पीड़ितों से दोस्ती करने का टारगेट पूरा नहीं कर पाते थे, उन्हें बिजली के झटके दिए जाते थे। इस मामले ने न केवल साइबर धोखाधड़ी, बल्कि मानव तस्करी और युवाओं के साथ किए गए अमानवीय व्यवहार की गंभीरता को उजागर किया है। एनआईए इस मामले में और भी गहराई से जांच कर रही है और फरार आरोपियों की तलाश जारी है।