ग्वालियर। रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव का सबसे अधिक लाभ उठाने में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सफल रहे हैं। अंचल के आठों जिलों के लिए आठ हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव आए। इनमें से 3500 करोड़ का निवेश सिंधिया के क्षेत्र में हुआ है। गुना-शिवपुरी सहित दोनों अंचलों में चार लोकसभा क्षेत्र हैं। हालांकि आठों जिलों का केंद्र ग्वालियर ही है।
पहली बार सिंधिया ने भी ने अपने क्षेत्र में निवेश ले जाने में रुचि दिखाई है, क्योंकि कांग्रेस छोड़ने से पहले विरोधी उनके क्षेत्र में इस तरह का नैरेटिव बनाने में कामयाब हुए थे, इस क्षेत्र को महल से जुड़े रहने का क्या लाभ हुआ है। यही उनकी हार का कारण बना था। कान्क्लेव से सिंधिया की राजनीतिक जमीन मजबूत हुई। सिंधिया के औद्योगिक घरानों से संबंध-सिंधिया का अंचल के तीन अन्य सांसदों के मुकाबले राष्ट्र के प्रमुख औद्योगिक घराने से करीबी संबंध है।
अपने क्षेत्र में निवेश की मजबूत जमीन सिंधिया ने पहले से तैयार कर दी थी। रक्षा उपकरण इकाई, बदरवास में जैकेट निर्माण की इकाई और गुना में सीमेंट ग्राइडिंग यूनिट के लिए जमीन चिह्नित कर आवश्यक कागजी कार्रवाई पूरी कर दी थी। इन्ही तीनों यूनिटों में 3500 करोड़ रुपया का निवेश मिला है।
क्षत्रपों की प्रतिद्वंदिता का कारण नुकसान हुआ
अंचल में भाजपा के दो पावर केंद्र स्वाभिवक रूप से निर्मित हो गये हैं।इससे पहले सिंधिया की रुचि दोनों अंचलों के समान रूप से विकास में रहती थी। सिंधिया परिवार ने बानमोर,मालनपुर औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित करने में अहम भूमिका निभाई थी।सिंधिया का समूचे अंचल में दखल राजनीतिक प्रतिद्वंदियों का नापसंद है।इस कांक्लेव से इस बात के संकेत मिलते हैं कि सिंधिया ने पार्टी हाइकमान के सामने शिकवे-शिकायतों से बचने के लिए स्वयं को अपने क्षेत्र तक सीमित कर लिया है।